अमेरिका ने अपने आसमान को और सुरक्षित कर लिया है. अब अमेरिका के दुश्मनों की मिसाइल उनके हवाई क्षेत्र में घुस नहीं पाएगी. क्योंकि मिसाइलों पर अंतरिक्ष से नजर रखने के लिए अमेरिका ने दो गुप्त सैटेलाइट्स छोड़े हैं. बताया जा रहा है कि ये दोनों सैटेलाइट्स मिसाइल ट्रैकिंग का काम करेंगे. यहां तक कि चीन या रूस या उत्तर कोरिया हाइपरसोनिक मिसाइल भी लॉन्च करते हैं, तब भी अमेरिका के ये सैटेलाइट्स तुरंत इसकी जानकारी पेंटागन को दे देंगे.
ये दोनों सैटेलाइट्स एटलस-5 (Atlas-V) रॉकेट के जरिए फ्लोरिडा स्थित केप केनवरल स्पेस फोर्स स्टेशन से लॉन्च किया गया. अमेरिकी स्पेस फोर्स ने इस मिशन को USSF-12 नाम दिया है. रॉकेट के पहले और दूसरे स्टेज साढ़े चार मिनट के लिफ्टऑफ के बाद सेपरेट हो गए थे. इसके बाद सेंटॉर इंजन ने दो बार और बर्न किया. फिर दोनों सैटेलाइट्स को धरती से 35,900 किलोमीटर ऊपर जियोसिंक्रोनस ऑर्बिट में तैनात हो चुके हैं.
सैटेलाइट्स में किस तरह के यंत्र, इसका खुलासा नहीं
दोनों सैटेलाइट्स में से एक का नाम है वाइड फील्ड ऑफ व्यू (WFOV) सैटेलाइट. यह अमेरिकी स्पेस फोर्स स्पेस सिस्टम कमांड (SSC) का टेस्टिंग प्लेटफॉर्म है जो नई पीढ़ी का मिसाइल सर्विलांस टेक्नोलॉजी है. दूसरे सैटेलाइट में अमेरिका के डिपार्टमेंट ऑफ डिफेंस के कई टेक्नोलॉजी डेमॉन्स्ट्रेटर पेलोड्स हैं. इसे USSF-12 Ring नाम दिया है. दोनों ही सैटेलाइट्स में लगे यंत्रों यानी पेलोड्स की जानकारी सार्वजनिक नहीं की गई है.
जेम्स वेब टेलिस्कोप का लेंस बनाने वाली कंपनी भी शामिल
USSF-12 Ring को नॉर्थ्रोप ग्रुमन कंपनी ने बनाया है. इसमें छह अत्याधुनिक पेलोड्स हैं जिनका खुद का प्रोपल्शन सिस्टम है. यानी अगर इनपर कोई खतरा आता है तो ये अपनी ऑर्बिट खुद ही बदल देंगे. WFOV में छह फीट लंब इमेजिंग सेंसर लगा है. जिसे L3Harris टेक्नोलॉजी ने बनाया है. यह वही कंपनी है जिसने नासा के हबल और जेम्स वेब स्पेस टेलिस्कोप को लेंस और ऑप्टिकल यंत्र दिए थे. यानी इसके पास ऐसी तकनीक है जो दुनिया को बेहद स्पष्ट तरीके से देख सकती है. तस्वीरें ले सकती हैं. वीडियो बना सकती है.
अमेरिका ने ऐसा क्यों किया?
रूस (Russia) कुछ दिन पहले एक एनीमेटेड वीडियो जारी किया था, जिसमें उसने अपने हाइपरसोनिक किंझल मिसाइल (Kinzhal Missile) से अमेरिका पर हमला करते विजुअल दिखाया था. माना जाता कि किंझल की गति ध्वनि की गति से पांच गुना ज्यादा है. यह दुनिया के किसी भी कोने में हमला कर सकती है. इसकी रेंज में पूरी धरती आती है. अंतरिक्ष में तैनात वर्तमान टेक्नोलॉजी सिर्फ बैलिस्टिक मिसाइलों को ट्रैक कर सकती है. लेकिन हाइपरसोनिक मिसाइलों को नहीं कर सकती थी.
MISSION SUCCESS! United Launch Alliance's #AtlasV accomplished #USSF12, delivering two satellites to geosynchronous orbit to test new technologies for U.S. national security. Success #151 for ULA! Thank you to our customers @SpaceForceDoD and @USSF_SSC!https://t.co/Pai63LxmZT pic.twitter.com/Jtey6NLfab
— ULA (@ulalaunch) July 2, 2022
अमेरिका ने बनाया नया सिस्टम
हाइपरसोनिक मिसाइलों को ट्रैक करने के लिए अमेरिकी डिपार्टमेंट ऑफ डिफेंस ने ओवरहेड पर्सिसटेंट इंफ्रारेड प्रोग्राम (OPIR) बनाया. यह वर्तमान और अगली पीढ़ी के हाइपरसोनिक मिसाइलों को ट्रैक कर सकते हैं. यानी रूस की किंझल मिसाइल भी इनकी नजर से बच नहीं सकती.