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ज्वालामुखी भी उड़ाते हैं धुएं के छल्ले... देखिए माउंट एटना का दुर्लभ Video

यूरोप के सबसे एक्टिव ज्वालामुखी ने हाल ही में धुएं के छल्ले उगले. यह बेहद दुर्लभ नजारा है. यह तब होता है जब नया क्रेटर बनता है. इसके वीडियो और फोटो सोशल मीडिया पर शेयर हो रहे हैं. आइए जानते हैं इन छल्लों के बनने का प्रोसेस...

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इटली के कैटेनिया में 06 अप्रैल, 2024 को सूर्यास्त के समय एटना ज्वालामुखी का दक्षिण-पूर्वी गड्ढा, गैसों और भाप के छल्लों का उत्सर्जन करता दिखाई दिया. भाप के छल्लों का बनना एक बहुत ही दुर्लभ घटना है जो केवल विशेष परिस्थितियों में होता है. (सभी फोटोः गेटी)
इटली के कैटेनिया में 06 अप्रैल, 2024 को सूर्यास्त के समय एटना ज्वालामुखी का दक्षिण-पूर्वी गड्ढा, गैसों और भाप के छल्लों का उत्सर्जन करता दिखाई दिया. भाप के छल्लों का बनना एक बहुत ही दुर्लभ घटना है जो केवल विशेष परिस्थितियों में होता है. (सभी फोटोः गेटी)

आपने अक्सर सिगरेट पीने वालों को धुएं के छल्ले (Smoke Rings) बनाते देखा होगा. लेकिन क्या आपको पता है कि ज्वालामुखी भी धुएं के छ्ल्ले उगलते हैं. यूरोप के सबसे बड़े एक्टिव ज्वालामुखी माउंट एटना (Mount Etna) ने हाल ही धुएं के छल्ले उगले. ये बात पिछले वीकेंड की है. इन छल्लों के वीडियो और फोटो सोशल मीडिया पर मौजूद हैं. 

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छल्लों के उगलने का Video यहां देखिए

ज्वालामुखी के क्रेटर से धुएं के छल्लों का निकलना एक बेहद दुर्लभ घटना है. ये आसानी से देखने को नहीं मिलता. इसके लिए बेहद सटीक पर्यावरण और माहौल होना चाहिए. माउंट एटना ने 6 अप्रैल 2024 को अपने क्रेटर से धुएं के छल्ले निकाले थे. इन छल्लों को वॉल्कैनिक वॉरटेक्स रिंग्स (Volcanic Vortex Rings) कहते हैं. 

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ये छल्ले ज्वालामुखी में बने नए क्रेटर से निकलते हैं. यह तब होता है जब ज्वालामुखी के पेट से गर्म गैस और भाप एक साथ निकलती है. तब क्रेटर से धुआं ऐसे निकलता है, जैसे कोई इंसान सिगरेट के धुएं से छल्ले बनाता है. 

Mount Etna Volcano Smoke Rings

किसी एक्सपर्ट की तरह निकाल रहा है स्मोक रिंग्स

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इटैलियन नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ जियोफिजिक्स और वॉल्कैनोलॉजी के ज्वालामुखी एक्सपर्ट बोरिस बेनके कहते हैं ये छल्ले देखने में बहुत खूबसूरत और हैरान करने वाले होते हैं. माउंट एटना ने ऐसे ही छल्ले निकाले जैसे कोई एक्सपर्ट इन्हें अपने मुंह से निकाल रहा हो. 

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धुएं के छल्लों को बनने की ये है वैज्ञानिक प्रक्रिया

बोरिस ने बताया कि ज्वालामुखी के अंदर सिलेंडर के आकार के वेंट होते हैं. पाइप जैसे. जो उसके पेट से सीधे जुड़े होते हैं. जहां गर्म मैग्मा यानी लावा होता है. जब ये पिघला हुआ लावा गैस से मिलता है, तब अंदर बुलबुले बनते हैं. ये बुलबुले नए क्रेटर से जब बाहर निकलते हैं, तब इस तरह के छल्लों का निर्माण होता है. 

Mount Etna Volcano Smoke Rings

क्रेटर-वेंट का सही आकार बनाता है ये छल्ले

अगर वेंट सिलेंडर के आकार के नहीं होते तो इस तरह के छल्लों का निर्माण नहीं होगा. क्योंकि उनके अंदर से निकलने वाली गैस का आकार बदल जाता है. लेकिन सिलेंडर वेंट ये बुलबुलों के रूप में बाहर आते हैं. इसके बाद हवा में जाते ही स्मोक रिंग बन जाते हैं. इन छल्लों में 80% भाप और 20% सल्फर डाईऑक्साइड होता है. 

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बर्बादी का सबब रहा है ज्वालामुखी माउंट एटना

माउंट एटना सबसे पहले 5 लाख साल पहले फटा था. इसकी वजह से सिसली कई बार बर्बाद हुआ. 2015 तक इससे निकलने वाले लावा की दीवार करीब डेढ़ किलोमीटर ऊंची हो गई. तब एयरपोर्ट बंद कर दिया गया था. कई गांव राख में तब्दील हो गए थे. इससे पहले 1979 में हुए विस्फोट से 9 पर्यटकों की जान गई थी. 

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