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RIP Mangalyaan: मंगलयान के नहीं रहने पर क्या नुकसान होगा भारत को?

ISRO का मंगलयान मिशन खत्म हो चुका है. मार्स ऑर्बिटर मिशन यानी MOM से संपर्क टूट चुका है. इस मिशन ने इसरो और भारत को बहुत कुछ दिलाया. लेकिन अब, जब इसके जीवन का अंत हो चुका है तो इससे देश और इंडियन स्पेस एजेंसी को क्या नुकसान होगा? मंगलयान के नहीं रहने से क्या नुकसान हुआ हमारा?

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End of Mangalyaan: मंगलयान मिशन से संपर्क टूट चुका है. उसका ईंधन और बैटरी भी खत्म हो चुके हैं. (फोटोः PTI)
End of Mangalyaan: मंगलयान मिशन से संपर्क टूट चुका है. उसका ईंधन और बैटरी भी खत्म हो चुके हैं. (फोटोः PTI)

पहले खुशी की बात...  मंगलयान (Mangalyaan) की लॉन्चिंग के बाद ही भारत दुनिया के उन चुने हुए देशों में शामिल हो गया था, जिन्होंने मंगल ग्रह के लिए मिशन छोड़ा. करीब 11 महीने की यात्रा करने के बाद मंगलयान मंगल ग्रह के नजदीक पहुंचा. ये थी भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन यानी ISRO की सबसे बड़ी उपलब्धि. फिर आती है सबसे ज्यादा गर्व की बात... पहली बार में किसी देश की स्पेस एजेंसी ने अपने अंतरिक्षयान को मंगल तक पहुंचाया. उसकी कक्षा में सेट किया. नतीजा... पूरी दुनिया में इसरो और देश का सिर फक्र से उठ गया था. 

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5 नवंबर 2013 को मंगलयान मिशन PSLV रॉकेट के जरिए श्रीहरिकोटा से लॉन्च किया गया था. (फोटोः PTI)
5 नवंबर 2013 को मंगलयान मिशन PSLV रॉकेट के जरिए श्रीहरिकोटा से लॉन्च किया गया था. (फोटोः PTI)

सात बिंदुओं में पढ़िए मंगलयान की उपलब्धियां

1. छह महीने के मिशन के लिए मंगलयान भेजा गया था. क्या आपने देखा कि यह कितने साल जिंदा रहा. आठ साल और आठ दिन तक. अपनी आखिरी सांस तक लाल ग्रह के चारों तरफ चक्कर लगाता रहा. ये किसी वैज्ञानिक चमत्कार से कम नहीं है. मंगलयान ने भारत के लिए क्या-क्या नहीं किया? 

2. कभी मंगल ग्रह की सबसे दूर जाकर तस्वीर ली. तो कभी उसके बेहद नजदीक. यानी हाइली एलिप्टिकल ऑर्बिट जियोमेट्री से लेकर नजदीकी प्वाइंट तक. इसी ऑर्बिट की वजह से इसरो के वैज्ञानिक मंगल का फुल डिस्क मैप (Full Disc Map) बना पाए. 

3. ये तो कुछ भी नहीं. पहली बार मंगल ग्रह के चंद्रमा डिमोस (Deimos) की तस्वीर तब ली, जब मंगलयान मंगल ग्रह की अंडाकार ऑर्बिट में सबसे दूर चक्कर लगा रहा था. इसके पहले देश में किसी ने डिमोस की तस्वीर नहीं देखी थी. 

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ये है ISRO के मंगलयान मिशन का आधिकारिक लोगो. (फोटोः इसरो)
ये है ISRO के मंगलयान मिशन का आधिकारिक लोगो. (फोटोः इसरो) 

4. मंगलयान के मार्स कलर कैमरा (Mars Colour Camera) ने 1100 से ज्यादा तस्वीरें भेजीं. जिसकी मदद से इसरो ने एक मार्स एटलस (Mars Atlas) बनाया है. जिसमें आप मंगल ग्रह के अलग-अलग स्थानों की तस्वीरें देख सकते हैं. उनके बारे में जान सकते हैं. मंगलयान की वजह से और उसपर 35 से ज्यादा रिसर्च पेपर्स प्रकाशित हुए. वह भी पीयर रिव्यूड जर्नल्स में. 

5. देश और इसरो के वैज्ञानिकों ने कभी नहीं सोचा था कि वो मात्र 450 करोड़ रुपये में इतना बड़ा मिशन पूरा करने जा रहे हैं. पहली बार में अपने अंतरिक्षयान को वो मंगल ग्रह तक पहुंचा पाएंगे. जबकि अमेरिका, रूस और यूरोप जैसे देश कई बार फेल होने के बाद मंगल ग्रह तक पहुंच पाए थे. मंगलयान के सही समय और एक ही बार में मंगल पर पहुंचने से ISRO की इज्ज़त दुनिया भर में बढ़ गई. उसे अलग-अलग देशों से सैटेलाइट लॉन्च करने के ज्यादा ऑर्डर मिलने लगे. 

6. इसरो को कई स्पेस कॉमर्स, सर्विस और सैटेलाइट इमेजरी के लिए डील्स मिले. सिर्फ एक मिशन से ही इसरो को इतना फायदा हुआ कि जिसके बारे में कुछ भी बता पाना मुश्किल है. मंगलयान सिर्फ एक वैज्ञानिक मिशन नहीं था. यह देश के लिए गौरव की बात थी. बच्चे, छात्र-छात्राओं, मीडिया और अंतरराष्ट्रीय साइंस-तकनीकी समुदाय के लिए रोचक विषय बन गया था. भारत की युवा पीढ़ी में साइंस और इसरो को लेकर जिज्ञासा बढ़ी. करीब तीन साल तक सिर्फ मंगलयान और इसरो की चर्चा होती रही. खबरें छपती रहीं. लोगों के बीच इसरो के अन्य मिशनों को लेकर जिज्ञासा बढ़ गई. 

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मंगलयान द्वारा ली गई मंगल ग्रह के सबसे बड़ी घाटी वैलेस मैरीनेस की तस्वीर. (फोटोः ISRO)
मंगलयान द्वारा ली गई मंगल ग्रह के सबसे बड़ी घाटी वैलेस मैरीनेस की तस्वीर. (फोटोः ISRO)

7. क्या वैज्ञानिक स्टडी की मंगलयान ने? मंगलयान ने सौर ऊर्जा से संबंधित सोलर डायनेमिक्स की स्टडी की. मंगल के वायुमंडल के जरिए पूरे ग्रह पर आए धूल के तूफान की स्टडी की. मंगल ग्रह के एक्सोस्फेयर में हॉट आर्गन की खोज. मंगलयान के MENCA यंत्र ने बताया कि मंगल की सतह से 270 किलोमीटर ऊपर ऑक्सीजन और CO2 की कितनी मात्रा है. 

ये काम अब भी हो सकता है...

मंगलयान से मिले डेटा पर देश और दुनिया के साइंटिस्ट रिसर्च और स्टडी कर सकते हैं. देश के शैक्षणिक संस्थानों के स्टूडेंट्स इसरो से मंगल पर मिले डेटा, दस्तावेज और रिपोर्ट पर थीसिस बना सकते हैं. 

अब क्या नहीं होगा... 

1. भारत को मंगल ग्रह से संबंधित डेटा के लिए अमेरिका, यूरोप या अन्य देशों पर निर्भर रहना होगा. 
2. जब तक नया मंगलयान यानी मंगलयान-2 नहीं जाता, तब तक मंगल ग्रह से कोई खबर नहीं आएगी. 
3. कोई नया नक्शा नहीं बन पाएगा. न ही किसी तरह का नया रिसर्च हो पाएगा. 

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