भारत सरकार के रक्षा मंत्रालय (Defence Ministry) ने ब्रह्मोस एयरोस्पेस प्राइवेट लिमिटेड (BrahMos Aerospace Pvt. Ltd.) से 1700 करोड़ रुपये की डील की है. इसके तहत ब्रह्मोस कंपनी रक्षा मंत्रालय को ड्युल-रोल कैपेबल सरफेस-टू-सरफेस ब्रह्मोस मिसाइल (Dual Role Capable Surface-to-Surface BrahMos Missile) देगी. इस मिसाइल के मिलते ही भारतीय नौसेना (Indian Navy) की ताकत में कई गुना इजाफा हो जाएगा.
ड्युल-रोल कैपेबल ब्रह्मोस मिसाइल का क्या मतलब है? नई ब्रह्मोस मिसाइल सरफेस-टू-सरफेस यानी सतह से सतह पर मार करने वाली मिसाइल है. डिफेंस की भाषा में सतह से सतह यानी पोत से पोत. न कि जमीन. जमीन के लिए लैंड (Land) शब्द का उपयोग होता है. यानी ड्युल रोल कैपेबल मतलब लैंड-टू-सरफेस, सरफेस-टू-लैंड, सरफेस-टू-सरफेस, लैंड-टू-लैंड अटैक करने की क्षमता. यानी दुश्मन इस मिसाइल के दगते ही घनचक्कर बन जाएगा. उसे समझ ही नहीं आएगा कि किस तरह की मिसाइल से हमला हो रहा है.
हाल ही में देश का पहला स्वदेशी एयरक्राफ्ट कैरियर INS Vikrant भारतीय नौसेना में शामिल हुआ है. इसमें बराक मिसाइलें लगी हैं. भविष्य में ड्युल-रोल कैपेबल ब्रह्मोस या VLSRAM मिसाइलें भी तैनात की जा सकती है. इससे अरब सागर में पाकिस्तान और बंगाल की खाड़ी के इलाके में चीन की हरकतों को रोकने में मदद मिलेगी. यह तकनीक कई तरह से काम आ सकती है. इसे नौसेना के अन्य युद्धपोतों पर भी तैनात कर सकते हैं. आइए जानते हैं कि आखिर ब्रह्मोस मिसाइल (BrahMos Missile) इतनी खास क्यों है?
ब्रह्मोस मिसाइल भारतीय सेना का ब्रह्मास्त्र
ब्रह्मोस मिसाइल (BrahMos Missile) को जल, जमीन या हवा कहीं से भी दागा जा सकता है. इसका टारगेट किसी भी दिशा में क्यों न हो उसकी मौत पक्की है. भारतीय सेनाएं लगातार तीनों दिशाओं में इस मिसाइल के अलग-अलग वैरिएंट का परीक्षण करती रहती हैं, ताकि दुश्मनों को ये याद रहे कि भारत के पास एक ब्रह्मास्त्र है.
फाइटर जेट्स के साथ ब्रह्मोस हो जाता है और घातक
सुखोई-30 एमकेआई इंडियन एयरफोर्स के सबसे घातक फाइटर जेट्स में एक है. ये जेट 2120 KM प्रतिघंटा की स्पीड से उड़ता है. इसकी रेंज भी 3000 KM है. इस विमान में ब्रह्मोस के एक्सटेंडेड एयर वर्जन को लगाया जाएगा ताकि दुश्मन की धज्जियां उड़ाई जा सकें. सुखोई नजदीक से या दूर से भी दुश्मन के बंकरों, अड्डों, कैंपों, टैंकों आदि पर सीधा और सटीक हमला करके वापस आ सकता है. पिछले साल दिसंबर में इसका सफल परीक्षण हुआ था. इस मिसाइल को सुखोई के हिसाब से ही विकसित किया गया है. लेकिन इसे देश के अन्य फाइटर जेट्स में लगा सकते हैं. भविष्य में इस मिसाइल को मिकोयान मिग-29के, हल्के लड़ाकू विमान तेजस और राफेल में भी लगाया जाएगा. पनडुब्बियों के लिए ब्रह्मोस का नया वैरिएंट बनाया जा रहा है.
दुश्मन की नजर में नहीं आना ही सबसे बड़ी खासियत
ब्रह्मोस मिसाइल (BrahMos Missile) की खासियत यही है कि यह दुश्मन की नजर में नहीं आती. हवा में ही रास्ता बदलने की काबिलियत है. भागते, मुड़ते टारगेट को भी नष्ट कर सकती है. यह सिर्फ 10 मीटर यानी 33 फीट की ऊंचाई पर भी उड़ान भर सकती है. यानी दुश्मन के राडार पर नजर नहीं आएगी. इसे मार गिराना लगभग अंसभव है.
ब्रह्मोस मिसाइल के चार नौसैनिक वैरिएंट्स हैं. पहला- युद्धपोत से दागा जाने वाला एंटी-शिप वैरिएंट, दूसरा युद्धपोत से दागा जाने वाला लैंड-अटैक वैरिएंट. ये दोनों ही वैरिएंट भारतीय नौसेना में पहले से ऑपरेशनल हैं. तीसरा- पनडुब्बी से दागा जाने वाला एंटी-शिप वैरिएंट. सफल परीक्षण हो चुका है. चौथा- पनडुब्बी से दागा जाने वाला लैंड-अटैक वैरिएंट.
An #MoU of Rs 1700cr signed between #MoD & M/s BrahMos Aerospace Pvt Ltd for acquisition of additional dual-role capable Surface-to-Surface BrahMos missiles, which will enhance operational capability of the #IndianNavy. pic.twitter.com/72brpPLRxB
— A. Bharat Bhushan Babu (@SpokespersonMoD) September 22, 2022
कहां-कहां तैनात है ब्रह्मोस मिसाइल, जानिए इन युद्धपोतों के नाम
भारतीय नौसेना ने INS Ranvir - INS Ranvijay में 8 ब्रह्मोस मिसाइलों वाला लॉन्चर लगाया है. इसके अलावा INS Teg, INS Tarkash और INS Trikand में भी यही लॉन्चर सिस्टम लगा है. शिवालिक क्लास फ्रिगेट में भी फिट है. कोलकाता क्लास डेस्ट्रॉयर में भी तैनात है. INS Visakhapatnam में सफल परीक्षण हो चुका है. नीलगिरी क्लास फ्रिगेट में भी ब्रह्मोस की तैनाती की योजना चल रही है.
नेवल वर्जन ब्रह्मोस बेहद ताकतवर और घातक है
युद्धपोत से लॉन्च की जाने वाली ब्रह्मोस मिसाइल 200KG वॉरहेड ले जा सकती है. यह मिसाइल 4321 KM प्रतिघंटा की रफ्तार. इसमें दो स्टेज का प्रोप्लशन सिस्टम लगा है. पहला सॉलिड और दूसरा लिक्विड. दूसरा स्टेज रैमजेट इंजन (Ramjet Engine) है. जो इसे सुपरसोनिक गति प्रदान करता है.