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भयानक गर्मी, तगड़ी उमस... भारी बारिश, 10 दिन में कैसे बदल गया दिल्ली-NCR का मौसम?

दिल्ली ने 10 दिन में ही भयानक गर्मी. फिर भारी उमस और तेज बारिश का मौसम देखा. यह मौसम के अचानक बदलने की चरम स्थिति है. यानी एक्स्ट्रीम क्लाइमेट चेंज. जिस हिसाब से ग्लोबल वॉर्मिंग बढ़ रही है. भविष्य में ऐसी घटनाएं और भी देखने को मिल सकती हैं.

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दिल्ली में बारिश के बीच जलभराव वाली सड़क से गुजरते वाहन. (फोटोः पीटीआई)
दिल्ली में बारिश के बीच जलभराव वाली सड़क से गुजरते वाहन. (फोटोः पीटीआई)

10 दिन के अंदर राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र समेत दिल्ली ने एक्स्ट्रीम क्लाइमेट चेंज (Extreme Climate Change) देखा है. 50 डिग्री वाली गर्मी से रिकॉर्ड तोड़ बारिश तक. कहां गर्मी पसीने छुड़ा रही थी. अब पानी में डूबी दिल्ली रुला रही है. एक हफ्ते से कुछ ही ज्यादा दिनों में मौसम ने ऐसी पलटी मारी... जिसका अंदाजा भी किसी को नहीं था. 

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अब लगातार ऐसा ही मौसम हो रहा है. जलवायु परिवर्तन का असर इतना भयानक कि मौसम बहुत तेजी से बदल रहा है. दिक्कत ये है कि क्या अब ये फिर होगा. एकदम हो सकता है. दिल्ली और आसपास के इलाकों पर लगातार जलवायु संबंधी संकट मंडरा रहा है. जानते हैं कैसे? 

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दिल्ली में बारिश के बाद पानी से भरी सड़क से गुजरता एक बाइक सवार. (फोटोः हार्दिक छाबड़ा/इंडिया टुडे)

जिस हिसाब से गर्मी बढ़ रही है. तापमान ऊपर जा रहा है, उसका असर अरब सागर पर पड़ रहा है. अरब सागर तेजी से गर्म हो रहा है. जिसकी वजह से मई, जून और जुलाई में पश्चिमी विक्षोभ (Western Disturbance) काफी एक्टिव हो रहा है. कई बार तेजी से दिल्ली-एनसीआर की तरफ आ रहा है. इसकी वजह से 28 जून को दिल्ली में भयानक जलभराव हुआ. 

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27-28 की रात मॉनसून से टकराया था पश्चिमी विक्षोभ

दिल्ली और एनसीआर के कई इलाकों में 27 और 28 की दरम्यानी रात काफी तेज बारिश हुई. कई इलाकों में बाढ़ जैसी नौबत आ गई. इसके पीछे वजह थी मॉनसून और पश्चिमी विक्षोभ का मिलना. इस समय पश्चिमी विक्षोभ तेजी से और कई बार आ रहा है. यह मॉनसून को और खतरनाक मौसम में बदल रहा है. 

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पिछले कुछ वर्षों में दक्षिणपश्चिम मॉनसून औऱ पश्चिमी विक्षोभ का मिलना दुर्लभ घटना ज्यादा देखने को मिल रही है. पश्चिमी विक्षोभ का व्यवहार भी गर्मी की वजह से बदल रहा है. 27-28 की रात हुई बारिश इतनी तगड़ी थी कि इंदिरा गांधी इंटरनेशनल एयरपोर्ट के टर्मिनल 1 की छत ही गिर गई. एक की मौत हुई, आठ जख्मी हो गए. 

एक ही रात में इतनी बारिश जो पूरे मॉनसून में होती है

शहर के कई इलाकों में भारी मात्रा में पानी भर गया. मौसम विभाग की माने तो 28 जून की सुबह 8.30 बजे तक 228 मिलिमीटर बारिश हो गई. इससे पहले 28 जून 1936 में इससे ज्यादा 235.3 मिलिमीटर बारिश हुई थी. हैरानी इस बात की है कि लंबे समय तक पश्चिमी विक्षोफ की वजह से 31 मई से 19 जून के बीच बंगाल की खाड़ी में मॉनसून अटक गया था. लेकिन पश्चिम में स्थिति अलग थी. 

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भारी बारिश के बाद रेलवे ब्रिज के नीचे जमा पानी में फंसा एक ट्रक. (फोटोः हार्दिक छाबड़ा/इंडिया टुडे)

पश्चिमी विक्षोभ आया, उसके साथ साइक्लोनिक सर्कुलेशन बना. असल में पश्चिमी विक्षोभ एक्स्ट्रा-ट्रॉपिकल तूफान होते हैं. ये सबट्रॉपिकल जेट के साथ यात्रा करते हैं. इनकी वजह से हिंदूकुश, काराकोरम और पश्चिमी हिमालय में बारिश आती है. खासतौर से सर्दियों के मौसम में. नमी से भरे इन तूफानों की जरूरत होती है ताकि पानी की कमी न हो. कृषि में मदद मिल सके. 

राजस्थान के ऊपर बना था साइक्लोनिक सर्कुलेशन

मौसम विभाग ने 27 जून को कहा था कि पश्चिमी विक्षोभ की वजह से दिल्ली-एनसीआर के ऊपर लो प्रेशर एरिया बन रहा है. पश्चिमी विक्षोभ से जुड़ा साइक्लोनिक सर्कुलेशन उत्तर-पश्चिम राजस्थान के ऊपर मौजूद था. दुनिया भर के मौसम विज्ञानी ये मानते हैं कि भारत में मई, जून और जुलाई के महीने में पश्चिमी विक्षोभ की मात्रा और तीव्रता बढ़ती जा रही है. 

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दिल्ली के लुटियंस के पास सड़क पर जमा पानी. (फोटोः हार्दिक छाबड़ा/इंडिया टुडे)

विक्षोभ और मॉनसून मिलकर लाते हैं केदारनाथ जैसी घटनाएं

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पिछले 20 साल में जून के महीने में पश्चिमी विक्षोभ की संख्या दोगुनी हो गई है. पहले 50 बार आता था. अब दोगुना आता है. जब यह मॉनसून से टकराता है, तब इसकी वजह से फ्लैश फ्लड, बाढ़, लैंडस्लाइड, बेतहाशा बाढ़ आती है. जैसे 2013 में केदारनाथ में हुआ था. या फिर पिछले साल हिमाचल प्रदेश में हुआ. 

दूसरी वजह भारी मात्रा में अरब सागर का गर्म होना

दूसरी सबसे बड़ी वजह ये है कि भारत के उत्तर-पश्चिम इलाके में भारी मात्रा में नमी जमा हो रही है. इसकी वजह है गर्म अरब सागर. अरब सागर की गर्मी की वजह से उत्तर-पश्चिम भारत और मध्य भारत में नमी बढ़ जाती है. इसकी वजह से ज्यादा बारिश होती है. मौसम विभाग का मानना है कि भविष्य में भी इस तरह के मौसम के रहने की उम्मीद है. 

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