चेन्नई की निजी एयरोस्पेस कंपनी अग्निकुल कॉसमोस का रॉकेट अग्निबाण 7 अप्रैल 2024 को श्रीहरिकोटा से लॉन्च होना था. यह उसकी पहली सबऑर्बिटल उड़ान होती है. यह रॉकेट पूरी तरह से 3डी है. इसका नाम है अग्निबाण सबऑर्बिटल टेक्नोलॉजिकल डेमॉन्सट्रेटर (Agnibaan SOrTeD).
इसकी लॉन्चिंग सतीश धवन स्पेस सेंटर से होनी थी. लेकिन लॉन्च से करीब 129 मिनट पहले ऑटोमेटेड लॉन्च सिक्वेंस के दौरान पता चला कि रॉकेट में लगे दो हार्डवेयर में कम्यूनिकेशन की दिक्कत है. इसे जल्द ही ठीक करके फिर से लॉन्च किया जाएगा.
अगली बार लॉन्चिंग सफल होती है, अगर यह रॉकेट सफलतापूर्वक धरती के लोअर अर्थ ऑर्बिट में पहुंचता है, तो अग्निकुल देश की दूसरी निजी रॉकेट भेजने वाली कंपनी बन जाएगी. इसके पहले स्काईरूट एयरोस्पेस (Skyroot Aerospace) ने अपना रॉकेट भेजा था.
सिंगल स्टेज का रॉकेट, पहले से तय मार्ग पर जाएगा
अग्निबाण रॉकेट सिंगल स्टेज का रॉकेट है. जिसके इंजन का नाम है अग्निलेट इंजन. यह इंजन पूरी तरह से थ्रीडी प्रिंटेड है. यह 6 किलोन्यूटन की ताकत पैदा करने वाला सेमी-क्रायोजेनिक इंजन है. इस रॉकेट को पारंपरिक गाइड रेल से लॉन्च नहीं किया जाएगा. यह वर्टिकल लिफ्ट ऑफ करेगा. पहले से तय मार्ग पर जाएगा. रास्ते में ही तय मैन्यूवर करेगा.
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लॉन्च सफल हुआ तो इन चीजों की पुष्टि होगी
अग्निकुल के सह-संस्थापक और सीईओ श्रीनाथ रविचंद्रन ने बताया कि यह एक सबऑर्बिटल मिशन है. अगर यह सफल होता है, तो हम यह जांच पाएंगे कि हमारा ऑटोपॉयलट, नेविगेशन और गाइडेंस सिस्टम सहीं से काम कर रहे हैं या नहीं. साथ ही हमें लॉन्चपैड के लिए किस तरह की तैयारी करनी हो वो भी पता चल जाएगा.
ISRO इस लॉन्च के लिए अग्निकुल की मदद कर रहा है. उसने श्रीहरिकोटा में एक छोटा लॉन्च पैड बनाया है. जो अन्य लॉन्च पैड से करीब 4 किलोमीटर दूर है. यह लॉन्च पैड स्टेट-ऑफ-द-आर्ट टेक्नोलॉजी से लैस है. यहां से निजी कंपनियों के वर्टिकल टेकऑफ करने वाले रॉकेट्स को लॉन्च किया जा सकता है.
इस कंपनी में लगा है आनंद महिंद्रा का पैसा
देश के जाने-माने उद्योपति आनंद महिंद्रा ने अग्निकुल कॉसमोस की फंडिंग की है. अग्निकुल एक स्पेस स्टार्टअप है जिसे कुछ युवाओं ने मिलकर बनाया है. आनंद महिंद्रा ने करीब 80.43 करोड़ रुपए की फंडिंग की है. इस प्रोजेक्ट में आनंद महिंद्रा के अलावा पाई वेंचर्स, स्पेशल इन्वेस्ट और अर्थ वेंचर्स ने भी निवेश किया है.
अग्निकुल कॉसमोस की शुरुआत साल 2017 में हुई थी. इसे चेन्नई में स्थापित किया गया. इसे श्रीनाथ रविचंद्रन, मोइन एसपीएम और आईआईटी मद्रास के प्रोफेसर एसआर चक्रवर्ती ने मिलकर शुरू किया था. अग्निबाण 100 किलोग्राम तक के सैटेलाइट्स को धरती की निचली कक्षा में स्थापित करने में सक्षम है.