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हवा खाने पहाड़ पर क्यों जाते हैं लोग... दिल्ली-मुंबई और वहां की हवा में क्या अंतर है? Scientifically समझिए

लोग हवा खाने पहाड़ पर क्यों जाते हैं? क्या हवा वहां सस्ती मिलती है या उसमें टेस्ट बढ़ जाता है. या फेफड़ा साफ हो जाता है. जिस हिसाब से मैदानों में प्रदूषण और स्मोग बढ़ रहा है, लोग भागेंगे साफ हवा के लिए. जाएंगे कहां... दिल्ली-NCR के आसपास तो कई हिमालयी राज्य हैं. आइए समझे हवा खाने की Scientific वजह.

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पहाड़ों पर जाकर साफ हवा लेना सेहत और मन के लिए फायदेमंद होता है. (फोटोः गेटी)
पहाड़ों पर जाकर साफ हवा लेना सेहत और मन के लिए फायदेमंद होता है. (फोटोः गेटी)

दिल्ली-NCR में नवंबर के तीसों दिन वायु गुणवत्ता बेहद खराब थी. यानी स्मोग और प्रदूषण सांसों में जहर घोल रहा था. ऐसे में जब आपके फेफड़े संक्रमित हो जाते हैं. सांस की नली में दिक्कत होने लगती है. लगातार खांसी आती है, तब डॉक्टर कहता है कि कुछ दिन पहाड़ पर बिता आइए. लेकिन इससे होता क्या है. हवा तो यहां दिल्ली में भी है. हवा पहाड़ों पर भी है. दोनों का अंतर समझ लेंगे तो आप ये भी जान जाएंगे कि इंसान हवा खाने पहाड़ों पर क्यों जाता है? 

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इसका जवाब कोई भी बतकही करने वाला इंसान बता देगा कि अरे भाई पहाड़ पर पॉल्यूशन कम है, इसलिए हवा साफ है. असल में वजह कुछ और है. दिल्ली-NCR जैसे शहरों में या मैदानों में हरियाली कम होती है. आबादी ज्यादा. गाड़ियां ज्यादा. इंडस्ट्री ज्यादा. लेकिन पहाड़ों पर आबादी, गाड़ियां और इंडस्ट्री की तुलना में हरियाली ज्यादा है. लोग काफी दूरी-दूरी पर बसते हैं. इसलिए उनके द्वारा निकाली जाने वाली हानिकारक गैसों के पेड़-पौधे साफ कर देते हैं. 

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ऐसा नहीं है कि पहाड़ों पर प्रदूषण नहीं फैलता. फैलता है. लेकिन छितराई हुई आबादी और फैली हुई हरियाली की वजह से कम पता चलता है. मैदानी इलाकों की तुलना में पहाड़ों की हवा ज्यादा हल्की और पतली होती है. वहां सांस लेने में दिक्कत भी होती है. लेकिन फिर भी आपको अच्छा लगता है. क्योंकि आप शहरों की तुलना में साफ हवा में सांस ले रहे होते हैं. 

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दिल्ली, नैनीताल और शिमला की हवा में क्या अंतर

दिल्ली में 21 दिसंबर 2022 को AQI यानी एयर क्वालिटी इंडेक्स 414 दर्ज किया गया. यानी खतरनाक. वहीं नैनीताल में 69 और शिमला में 91 है. आप जितना ज्यादा प्रदूषणमुक्त पहाड़ों की तरफ जाएंगे, आपको वायु की गुणवत्ता ज्यादा बेहतर मिलेगी. इसलिए आपको वहां की हवा ज्यादा साफ महसूस होती है. ऑक्सीजन दोनों जगहों पर एक जैसी ही बहती है, बस दिल्ली में प्रदूषण मिल जाता है. पहाड़ों पर यह कम हो जाता है. 

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लोगों को साफ हवा की जरुरत क्यों हैं? 

प्रदूषण मुक्त हवा यानी साफ हवा शरीर में ऑक्सीजन की मात्रा बढ़ाती है. इससे आपके व्हाइट ब्लड सेल्स (White Blood Cells) को बेहतर काम करने की क्षमता मिलती है. ये वही कोशिकाएं हैं जो आपके इम्यूनिटी को मजबूत बनाती है. अगर ये कमजोर पड़ी तो आपको बैक्टीरिया या बीमारियों से लड़ने में दिक्कत होगी. इसलिए साफ हवा के सहारे में आप शरीर में ज्यादा से ज्यादा ऑक्सीजन जमा करते हैं. इसलिए भी लोग पहाड़ों पर जाते हैं. 

किसी को पहाड़ पर क्यों जाना चाहिए? 

अगर आप लगातार शहर में रह रहे हैं, जहां प्रदूषण बहुत ज्यादा है. AQI खराब रहता है तो आपको अपने डॉक्टर की सलाह पर कुछ दिनों में पहाड़ों पर जाना चाहिए. या फिर कोई भी ऐसी जगह जहां हवा साफ हो. जरूरी नहीं कि वो पहाड़ ही हो. शहरों में पॉल्यूटेंट्स ज्यादा होते हैं. जिनसे लोगों को दमा जैसी दिक्कत होती है. क्रोनिक ऑब्सट्रक्टिव पल्मोनरी डिजीस (COPD), दिल संबंधी बीमारियां या फेफड़े से संबंधित बीमारियां हो जाती है. इनसे बचाव और इनके रोकथाम के लिए भी लोगों को डॉक्टर पहाड़ों पर जाने की सलाह देते हैं. बाकी कुछ दिन काम से फुरसत. या फिर आप वर्केशन कर सकते हैं. 

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साफ हवा से किस तरह के फायदे हैं? 

पहला फायदा ये होता है कि साफ हवा से शरीर में ऑक्सीजन की मात्रा बढ़ती है. इससे आपका डाइजेशन सही रहता है. साथ ही वजन घटाने में मदद करता है. ब्लड प्रेशर और हार्ट रेट को संतुलित करता है. जब आप प्रदूषण वाली जगह से दूर रहते हैं, तब आपके शरीर को ज्यादा मेहनत करनी पड़ती है. साफ हवा की वजह से शरीर में सीरोटोनिन (Serotonin) की मात्रा बढ़ती है. इसे हैप्पी हॉर्मोन कहते हैं. आप खुश महसूस करते हैं. खून में घुले हुए WBC ताकतवर होते हैं. आपके फेफड़ों में जमा टॉक्सिक मटेरियल बाहर निकल जाता है. ज्यादा ऊर्जा मिलती है. दिमाग तेज होता है. ध्यान ज्यादा लगता है. 

हो जाएं सावधान!, दिल्ली में फिर बढ़ा प्रदूषण

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