बढ़ती सर्दी के साथ कोहरे का कहर भी दिख रहा है. उत्तर भारत कोहरे की चादर में लिपट चुका है. पंजाब से लेकर प्रयागराज तक. आखिर सर्दियों में इतना कोहरा आता कहां से है? कोहरा बनता कैसे है? पहले ये जान लेते हैं कि कोहरा बनता कैसे है? जब पानी से निकली भाप अपने गैस फॉर्म में गाढ़ी हो जाती है, तो वह कोहरे की तरह दिखती है.
यानी हवा में पानी के बेहद छोटे-छोटे कण तैरते रहते हैं. आप असल में इन्हीं पानी की छोटी बूंदों को देखते हैं. गैस तो दिखती नहीं, लेकिन जब वह गाढ़ी होती है, तो आपको दिखने लगती है. भाप के साथ भी ऐसा ही होता है. जब जलस्रोतों के ऊपर सर्द हवा हल्के गर्म नमी वाली हवा से मिलती है, तब नमी वाली हवा ठंडी होने लगती है.
ह्यूमेडिटी 100 फीसदी पहुंच जाती है. तब जाकर कोहरा यानी फॉग बनता है. अब इसमें धुआं और प्रदूषण वाली जहरीली हवा मिलती है, तो वह स्मोग बन जाता है. इसकी वजह से लोगों को सांस और फेफड़ों संबंधी दिक्कतें होने लगती हैं.
सर्दियों में ही क्यों बनता है कोहरा?
असल में दक्षिण की तरफ से गर्म और नमी वाली हवा आती है. जबकि मेडिटेरेनियन की तरफ से सर्द हवा आती है. जब ये जमीन के जलस्रोतों के ऊपर मिलती हैं, तो कोहरा बनाना शुरू कर देती है. यानी जमीन की गर्मी और ऊपर तैरती सर्द हवा के बीच फंसी पानी की नमी. ये तीनों मिलकर भी स्थानीय स्तर पर कोहरा बना देते हैं. इसलिए आपको किसी जगह ज्यादा तो किसी जगह कम कोहरा दिखता है.
कितने प्रकार का कोहरा होता है?
कोहरे को आम भाषा में जमीनी बादल कहा जाता है. लेकिन ये कई प्रकार के होते हैं. पहला... एडवेक्शन फॉग (Advection Fog) तब बनता है जब किसी ठंडी सतह के ऊपर नमी वाली हवा गुजरती है. इससे जमीन के ठीक ऊपर आसपास के इलाके में कोहरा दिखता है. अक्सर तालाब, झील और घास के मैदानों में सुबह-सुबह दिखता है. दूसरा... रेडिएशन फॉग (Radiation Fog) अक्सर जमीन या घाटियों में देखने को मिलता है. ये बहुत ही नियंत्रित माहौल में बनता है. यानी जमीन से निकलने वाली रेडिएशन से हवाएं ठंडी होती हैं. तापमान गिरता है. ऊपर से गुजरती हुई नमी वाली गर्म हवा मिलती है तो कोहरा बन जाता है.
तीसरे नंबर यानी अपस्लोप फॉग (Upslope Fog) तब बनता है जब किसी ढलान वाली जगह से हवा ऊपर उठती है. असल में यह स्ट्रेटस क्लाउड बनाते हैं. ये आमतौर पर बेहद ऊंचाई वाले इलाकों में बनते हैं. चौथा है स्टीम फॉग (Steam Fog) को आर्कटिक सी स्मोक भी कहते हैं. यह धरती के उत्तरी इलाके में बनता है. वहां पर कोहरा इसलिए बनता है क्योंकि बर्फ से निकलने वाली भाप जमने लगती है. आर्कटिक झीलों, तालाबों पर दिखती है.
पांचवें तरीके का कोहरा है फ्रंटल फॉग (Frontal Fog) में कई तरह की सबकैटेगरी है. यानी ये कई तरह से बन सकता है. इसमें वार्म फ्रंट प्री फ्रंटल फॉग, कोल फ्रंट पोस्ट फ्रंटल फॉग और फ्रंटल पैसेज फॉग. प्री और पोस्ट फॉग तब बनता है जब किसी सर्दी वाली जगह पर बारिश होती है. फ्रंटल पैसेज कई तरह से बन सकता है. आखिरी है आइस फॉग (Ice Fog) यानी इसमें बर्फ के छोटे-छोटे कण होते हैं. ये बेहद ज्यादा सर्दी वाले इलाकों में बनता है. जहां तापमान माइनस 29 डिग्री सेल्सियस या उससे ज्यादा नीचे गिरता है.
कोहरे से क्या इंसानों को नुकसान होता है?
हम इंसानों को कोहरे की वजह से दो तरह का असर होता है. पहला... अगर कोहरे में ज्यादा देर सांस लेते हैं, तो आपके नाजुक फेफड़ों में सर्दी लग सकती है. क्योंकि आपके फेफड़ों में नमी वाली हवा जाती है. गीली-गीली सी. इसकी वजह से आपको खांसी, छींक, जुकाम हो सकता है. जिनकी इम्यूनिटी कम है उन्हें दिक्कत ज्यादा हो सकती है. इससे ब्रोन्काइटिस (Bronchitis) हो सकता है. ध्यान नहीं देने पर खांसी के दौरे आ सकते हैं.
दूसरा ये कि अगर कोहरे के साथ प्रदूषण मिलकर स्मोग बन रहा है तो सतर्क हो जाइए. क्योंकि उसमें सल्फर की मात्रा बढ़ जाती है. सल्फर डाईऑक्साइड कोहरे में मिलकर आपके फेफड़ों को सीज करने लगते हैं. इससे आपको दमा हो सकता है. जितना ज्यादा घना स्मोग होगा, नुकसान उतना ही ज्यादा होगा. इसलिए बचने के लिए सर्दियों में अगर आपको कोहरे के साथ दिक्कत हो तो मास्क लगाकर ही रहें.