scorecardresearch
 

दिल टूटने पर इतना दुख और दर्द क्यों होता है... साइंटिस्ट ने खोजा इसका जवाब

दिल टूटने पर इतना दर्द क्यों होता है? क्यों कुछ लोग इससे जल्दी उबर जाते हैं, जबकि कुछ लोग इसकी वजह से मानसिक और शारीरिक रूप से बीमार हो जाते हैं. रिसर्च बताता है कि दिल के टूटने से होने वाले दर्द का असर सिर्फ दिमाग पर नहीं होता. कुछ लोग परेशान होते हैं तो कुछ खुश हो जाते हैं.

Advertisement
X
दिल टूटने पर कोई जल्दी दुख से बाहर आ जाता है, किसी को बहुत समय लगता है... पर क्यों. (फोटोः गेटी)
दिल टूटने पर कोई जल्दी दुख से बाहर आ जाता है, किसी को बहुत समय लगता है... पर क्यों. (फोटोः गेटी)

किसी से प्यार की शुरुआत होना और फिर उसमें गंभीरता से पड़ जाना एक बेहद तीव्र भावना होती है. लोग इसमें अजीबोगरीब हरकत करते हैं. खुश होते हैं. प्रेमी या प्रेमिका को याद करके हंसते हैं, मुस्कुराते हैं. बात न हो तो परेशान हो जाते हैं. कसमें खाते हैं. वादे करते हैं. 

Advertisement

जैसे ही रिश्ता टूटता है, भयानक दर्द होता है. दिमाग काम करना बंद कर देता है. शरीर पर भी इसका उलटा असर पड़ता है. दिल, दिमाग संबंधी बीमारियां हो सकती हैं. जानिए इसके पीछे का विज्ञान. दिल टूटने के बाद शरीर और मन में जो उलटा असर होता है. दर्द होता है. उसके लिए हॉर्मोन्स जिम्मेदार होते हैं. इन्हें हार्टब्रेक हॉर्मोन्स (Heartbreak Hormones) कहते हैं. 

Why Heartbreak Hurts?

साइंटिफिक वजह बताने से पहले आपको सामान्य वजह बता देते हैं. शरीर में स्ट्रेस से संबंधित हॉर्मोन्स ज्यादा निकलते हैं. जैसे- कॉर्टीसोल, एड्रिनेलिन और नोराएड्रिनेलिन. सिरोटोनिन और ऑक्सीटोसिन जैसे हैप्पी हॉर्मोन्स की मात्रा घटने लगती है. लेकिन ये पता करना जरूरी है कि दिल टूटने पर अधिकतर दर्द क्यों होता है? 

दिल टूटने पर दर्द क्यों होता है? 

इंग्लैंड की प्रसिद्ध डॉक्टर डेबोराह ली कहती हैं कि दिल टूटने का बुरा असर सिर्फ दिमाग पर ही नहीं होता. यह पूरे शरीर को झंकझोर देता है. क्योंकि जब आप प्यार में होते हैं, तब आपके शरीर में हॉर्मोन्स की मात्रा बढ़ जाती है. इसमें गले लगने वाला हॉर्मोन, जिसे कडल हॉर्मोन (Cuddle Hormone) कहते हैं, वो ज्यादा निकलता है. ये है ऑक्सीटोसिन. 

Advertisement

फील गुड हॉर्मोन डोपामाइन (Dopamine) ज्यादा निकलता है. लेकिन जैसे ही आपका ब्रेकअप होता है. या किसी भी तरह से प्रेमी या प्रेमिका धोखा देता है. या अलग होते हैं. तब इन अच्छे हॉर्मोन्स की मात्रा तेजी से कम होती है. तनाव बढ़ाने वाले हॉर्मोन्स जैसे कॉर्टीसोल की मात्रा तेजी से बढ़ती है. फिर आपको बेचैनी होती है. गुस्सा आता है. चिड़चिड़े हो जाते हैं. 

Why Heartbreak Hurts?

दिल टूटने को लोग सोशल रिजेक्शन मानते हैं

कॉर्टीसोल की मात्रा बढ़ने से ब्लड प्रेशर बढ़ जाता है. वजन बढ़ने लगता है. शरीर में दर्द होता है. मुंहासे या दाने निकलते हैं. किसी के ब्रेकअप को आप उसकी पर्सनल प्रॉबलम नहीं कह सकते हैं. मनोवैज्ञानिक तौर पर इसे सामाजिक तिरस्कार (Social Rejection) कहते हैं. इससे दिमाग का वह हिस्सा प्रभावित होता है, जिससे आपको शरीर का दर्द महसूस होता है. 

दिमाग के उस हिस्से की स्कैनिंग भी की गई थी. उन लोगों की जिनका हाल-फिलहाल में दिल टूटा था. उनके दिमाग की मैग्नेटिक रेसोनेंस इमेजिंग (MRI) की गई. उस समय उन्हें उनके पूर्व प्रेमी या प्रेमिका की तस्वीर दिखाई गई थी. तस्वीर देखते ही एमआरआई से पता चला कि दिमाग का वो हिस्सा एक्टिव हो गया जो शारीरिक चोट लगने पर होता है. इसे सेकेंडेरी सोमैटोसेंसर कॉर्टेक्स और डॉर्सल पोस्टीरियर इंसुला कहते हैं. 

Advertisement

Why Heartbreak Hurts?

टूटे दिल का दर्द किसी एक्सीडेंट से कम नहीं होता

दिमाग के इस हिस्से के इस तरह से एक्टिव होने से सीने में दर्द या पैनिक अटैक आ सकते हैं. ये दर्द महसूस करने वालों को लगता है कि वो तोड़ दिए गए हैं. उन्हें किसी ने खूब पीटा हो. यानी दिल टूटने पर भी वैसा ही शारीरिक दर्द महसूस होता है जैसे किसी समय चोट लगने पर होता हो. 

दिल टूटने के समय नर्वस सिस्टम के दो हिस्से काम करते हैं. पहला सिंपेथैटिक जो हार्ट रेट बढ़ाता है. वहीं, दूसरा पैरासिंपेथैटिक जो उसे काउंटर करता है. यानी शरीर को शांत रहने में मदद करता है. नर्वस सिस्टम के ये दोनों हिस्से उन्हीं हॉर्मोन्स से एक्टिव होते हैं जो दिल टूटने के समय निकलते हैं. 

Why Heartbreak Hurts?

दिल टूटने से मौत भी हो सकती है, रिसर्च में दावा

दिल टूटने से दिमाग और हार्ट दोनों पर तगड़ा असर होता है. इसकी वजह से दिल की इलेक्ट्रिकल एक्टिविटी डिस्टर्ब हो सकती है. दिल के धड़कने की दर कम हो सकती है. साइकोन्यूरोएंडोक्राइनोलॉजी नाम के जर्नल में रिपोर्ट छपी थी कि जब किसी का पति या पत्नी मर जाती है, तो 41 फीसदी संभावना होती है कि दूसरा पार्टनर पहले छह महीने में ही मर जाए. कमजोर दिल वालों को बेचैनी, थकान, तनाव, डिप्रेशन और कम नींद की समस्या होती है. 

Advertisement

ब्रोकेन हार्ट सिंड्रोम भी होता है लोगों को

ब्रोकेन हार्ट सिंड्रोम (Broken Heart Syndrome) एक दुर्लभ स्थिति है. इसे ताकोसुबो कार्डियोमियोपैथी भी कहते हैं. इसमें बहुत तेज तनाव होता है. तीव्र भावनाएं उमड़ती हैं. शारीरिक बीमारियां तेजी से हो सकती हैं. दिल के खून पंप करने की क्षमता सीधे तौर पर प्रभावित होती है. दिल कमजोर होता है. सीने में दर्द होता है. हार्ट अटैक भी हो सकता है. 

यह सदियों से होता चला आ रहा है, क्या ये जीन में है

सदियों से इंसान या किसी जानवर के पार्टनर के जाने पर उसे दुख होता है. वह रोता है. बीमार पड़ जाता है. लेकिन शायद ये हमारे जीन में है कि हम अपनी भावनाएं प्रदर्शित करके जिंदा रह पाते हैं. किसी भी सामाजिक या निजी बंधन से निकलने में यह जीन मदद करता है. इसकी वजह ये है कि आप अपने रोमांटिक पार्टनर के साथ सुरक्षित महसूस करते हैं. 

हैवी वर्कआउट करने से बढ़ सकता है हार्ट अटैक का खतरा

Advertisement
Advertisement