पाकिस्तान का लाहौर हो या भारत की राजधानी दिल्ली. इस समय दोनों शहरों के फेफड़ों में जहर घुस रहा है. हवाएं जानलेवा हो चुकी हैं. सांसें घुटती जा रही है. लाहौर में AQI 1537 है, जबकि दिल्ली के जहांगीरपुरी में यह आंकड़ा 606 है. दिल्ली में 24 घंटे में 14 स्टेशनों पर एक्यूआई सीवियर यानी गंभीर कैटेगरी में दर्ज किया गया है.
लाहौर तो दुनिया का सबसे प्रदूषित शहर घोषित हो चुका है. लाहौर और उसके आसपास का इलाका इस समय धूल, उत्सर्जन और धुएं की वजह से प्रदूषण झेल रहा है. समाचार एजेंसी रॉयटर्स की खबर के मुताबिक इसकी वजह भारत के पंजाब और हरियाणा में जलाई जा रही पराली है. जिसका असर लाहौर और दिल्ली दोनों जगहों पर है.
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अगर ये दोनों राज्य पराली जलाकर प्रदूषण फैला रहे हैं, तो उसे फैलाने में साथ दे रहा है मौसम. जिसमें इस समय नमी है. हवा की गति धीमी है. तापमान में गिरावट है. ये मौसमी बदलाव धूल-धुआं को धीरे-धीरे फैला रहा है. विजिबिलिटी जीरो कर दे रहा है. दिल्ली एयरपोर्ट पर तो विमान सेवाएं देने वाली कंपनियों को चेतावनी भी जारी की गई है. ताकि वो अपनी उड़ानों को विजिबिलिटी के चलते डायवर्ट करने को तैयार रहें.
प्रदूषण की चौसर पर पॉलिटिक्स का पासा
सुप्रीम कोर्ट ने पिछले महीने एक फैसले में कहा था कि साफ हवा हर इंसान का फंडामेंटल अधिकार है. केंद्र और राज्य सरकार इस पर तत्काल एक्शन ले. लेकिन प्रदूषण के इस चौसर पर पार्टियां पॉलिटिक्स का पासा फेंक रही हैं. एकदूसरे पर प्रदूषण फैलाने का आरोप मढ़ रहे हैं. केंद्र और राज्यों के बीच जंग चल रही है. केंद्र और राज्य दोनों के नेता ये नहीं चाहते कि वो ताकतवर किसानों या उनके समूहों को नाराज करें.
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WHO की लिमिट से 50 गुना ऊपर प्रदूषण
दिल्ली में इस समय वर्ल्ड हेल्थ ऑर्गेनाइजेशन की तय लिमिट से 50 गुना ऊपर प्रदूषण चल रहा है. लाहौर की तो बात ही छोड़ दीजिए. वहां तो स्थिति नारकीय हो चुकी है. हर कोई घरों में एयर फिल्टर लगा नहीं सकता. हर साल अक्टूबर के मध्य से लेकर जनवरी तक गिरता तापमान और धीमे चलती हवा प्रदूषण को जकड़ लेती है.
प्रदूषण के लिए तीन पहाड़ भी जिम्मेदार
दिल्ली में रहने वाले 3 करोड़ से ज्यादा लोगों ने बुधवार की सुबह सांस लेने में दिक्कत महसूस की. प्रदूषण का स्तर 806 माइक्रोग्राम प्रति क्यूबिक मीटर था. यानी PM 2.5 तय लिमिट से 53 गुना ज्यादा. इसके अलावा दिल्ली में मौजूद कचरे के तीन पहाड़ भी प्रदूषण की सबसे बड़ी वजहों में से एक है. इनसे निकलने वाली जहरीली गैसें भी दिल्ली-एनसीआर की हवा को जानलेवा बनाती हैं.
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दिल्ली हो या लाहौर... प्रदूषण की यही पांच वजहें हैं
1. पराली जलाना... जहर बनने की शुरूआत
हर साल पंजाब और हरियाणा में जैसे ही ठंड का मौसम आने लगता है, पिछली फसलों के बचे हुए हिस्सों को जलाया जाता है. इन्हें पराली जलाना (Stubble Burning) कहते हैं. इस बार मॉनसून देरी से गया है तो पिछली फसल की सफाई और अगली फसल की तैयारी भी देर से शुरू हुई है. इसलिए इन राज्यों में खेतों में पराली जलाने का मामला भी लेट से शुरू हुआ. यानी ये लंबे समय तक चलेगा.
2. हवा की दिशा... जहर को पहुंचाने का काम
दिल्ली की हवा में जहर घोलने में बड़ा योगदान हवा का भी है. यानी हवा की दिशा (Wind Direction). हवा की दिशा, गति और नमी ये तीनों फैक्टर दिल्ली-NCR के फेफड़ों में जहर भरते हैं. मॉनसून के बाद और सर्दियों से पहले हरियाणा-पंजाब की तरफ से हवा दिल्ली की तरफ चलती है. ये हवा पाकिस्तान की तरफ से आती है. जिसमें बारी धूलकणों की मात्रा ज्यादा होती है.
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इस हवा के साथ पराली जलाने से निकलने वाला जहरीला धुआं भी आता है. चुंकि मॉनसून के जाने के ठीक बाद हवा में नमी होती है. ये भारी होती है, चारों तरफ स्मोग (SMOG) नीचे दिखता है. हवा की दिशा बदले तो स्थिति सुधर सकती है.
3. तापमान का बदलना... जहर को बढ़ाने का काम
दिल्ली की सर्दियों में लगातार होने वाले तापमान के बदलाव से भी प्रदूषण बढ़ता है. इसे टेंपरेचर इन्वर्शन (Temperature Inversion) कहते हैं. इससे ठंडी हवा के ऊपर गर्म हवा की परत बनती है. जिससे सारे प्रदूषणकारी तत्व सतह पर ही रुक जाते हैं. तापमान में बदलाव की वजह गाड़ियों से होने वाला प्रदूषण, उद्योग, पराली जलाना ... कुछ भी हो सकता है.
4. गाड़ियों से होने वाला प्रदूषण... सोने पर सुहागा
दिल्ली की आबादी शहर के क्षेत्रफल के हिसाब से ज्यादा है. साथ ही गाड़ियों की संख्या भी बहुत ज्यादा है. दिल्ली में 25 फीसदी PM2.5 उत्सर्जन गाड़ियों से होने वाले प्रदूषण की वजह से होता है. दिल्ली के अंदर और आसपास बनी इंडस्ट्री से निकलने वाले गैस और केमिकल्स की वजह से भी वायुमंडल में बदलाव आता है. प्रदूषण बढ़ता है.
5. प्रदूषण के अन्य सोर्स... जो बढ़ाते हैं मुसीबत
सूखे इलाकों से आने वाली सूखी हवा के साथ रेत के कण. दिवाली के दौरान पटाखों से निकलने वाले केमिकल और उत्सर्जन, घरेलू बायोमास का जलाना भी सर्दियों में प्रदूषण को बढ़ा देता है. IIT कानपुर की स्टडी के मुताबिक दिल्ली-एनसीआर में 17-26 फीसदी PM उत्सर्जन बायोमास के जलाने से होता है.