आधी दुनिया... क्या है इसका मतलब? बोलचाल की भाषा में महिलाएं, यानी स्त्री और विज्ञान की भाषा में मादा होमोसेपियंस (Female Homosapiens). साल 2021 में जो दुनिया की आबादी थी. उसमें 49.58 फीसदी महिलाएं थीं. इनसे थोड़े ही ज्यादा पुरुष थे. 50.42 फीसदी. पर दोनों में ताकतवर कौन है? पुरुष या महिला?
इस पर सामाजिक चर्चा करनी ही नहीं है. हम बात करते हैं विज्ञान की. क्योंकि इंसानों की आबादी बढ़ाने में. इंसानी समाज को विकसित करने में नर और मादा होमोसेपियंस दोनों का बराबर योगदान है. दुनिया के ज्यादातर इलाकों में पुरुष सत्तात्मक समाज है. लेकिन अगर आप धरती पर और समुद्र में देखेंगे तो पता चलेगा कि कई प्रजातियों में मादा ज्यादा प्रभावी, ताकतवर होती हैं. उनका ही फैसला और कानून चलता है.
जब बात आती है महिलाओं की तो आपको बता दें कि विज्ञान भी यह मानता है कि महिलाएं, पुरुषों की तुलना में ज्यादा ताकतवर होती हैं. बेहतर होती हैं. कैसे... पढ़िए नीचे
महिलाएं ज्यादा जीती हैं
ग्लोबल जेरोंटोलॉजी रिसर्च ग्रुप की माने तो दुनिया में 43 लोगों ने 110 साल की उम्र पार की है. जिसमें से 42 महिलाएं थीं. एक मां, पत्नी, होम मैनेजर, बहन, दोस्त, अन्नपूर्णा (खाना खिलाने वाली) और न जाने क्या-क्या. अब तो मैनेजर, टीचर, पायलट, बॉक्सर, क्रिकेटर... जाने दीजिए हर फील्ड में महिलाएं हैं. शानदार कर रही हैं. विज्ञान मानता है कि महिलाएं बायोलॉजिकली, पर्यावरण के हिसाब से और सामाजिक दिक्कतों को बर्दाश्त करने के लिए बेहतर बनाई गई हैं. क्योंकि ये इन तीनों में बेहतर सामंजस्य स्थापित करती हैं.
बुरी स्थितियों में बेहतर सर्वाइवल
प्राकृतिक आपदाएं हों, सामाजिक मुसीबतें हों या घरेलू दिक्कतें. महिलाएं ज्यादा सर्वाइव करती हैं. सूखा पड़ जाए. एक्सट्रीम लेवल का खराब मौसम हो. बीमारियां हों. उनकी इम्यूनिटी पुरुषों से बेहतर होती है. जब महिलाओं के गर्भ में बच्चा विकसित हो रहा होता है, तब वो उसे दुनिया भर की बीमारियों, संक्रमण से बचाती हैं. तो सोचिए जब गर्भ में लड़कियां होती होंगी तो उनके सर्वाइवल का चांस कितना ज्यादा बढ़ जाता होगा.
दर्द सहने की क्षमता ज्यादा होती है
अब तो पुरुष भी पार्लर जाकर थ्रेडिंग कराने लगे हैं. वैक्स कराने लगे हैं. लेकिन पहली बार कराने वाले को जो दर्द होता है. जान निकल जाती है. महिलाएं इन दर्द को आराम से सह लेती हैं. पीरियड्स का दर्द हो या फिर डिलिवरी का. ये दर्द अगर पुरुषों को सहना होता तो, न जाने क्या ही होता. इस पर कई वैज्ञानिक संस्थानों पर स्टडी हो चुकी है. ये बात प्रमाणित है. कहा तो यहां तक जाता है कि अगर डिलिवरी वाला दर्द पुरुष को सहना पड़े तो उसकी मौत हो जाए.
मानसिक सहनशक्ति भी अधिक
इमोशन जर्नल में प्रकाशित एक स्टडी के मुताबिक महिलाएं अपने दुख और दर्द को ज्यादा बेहतर तरीके से नियंत्रित करती हैं. इसके पीछे उनकी प्रजनन क्षमता जिम्मेदार है. वो पर्यावरणीय रसायनों के प्रति ज्यादा संवेदनशील होती हैं. जबकि पुरुष इस मामले में तथाकथित पुरुषत्व के चलते पीछे रह जाते हैं. ब्रेकअप होने पर पुरुषों से ज्यादा दर्द महिलाओं को महसूस होता है. लेकिन दिखता कम है. जल्दी रिकवर भी हो जाती हैं.
महिला ज्यादा बुद्धिमान लिंग है
पुरुषों के दिमाग का वजन भले ही ज्यादा हो. लेकिन जब बात आईक्यू लेवल की आती है, तब महिलाएं उन्हें पीछे छोड़ देती हैं. महिलाओं के दिमाग में मोटा कॉरटिक्स होता है. जो बुद्धिमत्ता और बेहतर परफॉर्मेंस देने के लिए काम करता है. उनकी संज्ञानात्मक शक्ति ज्यादा बेहतर होती है. इसलिए वो कोई भी स्किल जल्दी सीखती हैं. पुरुषों का दिमाग उम्र बढ़ने के साथ-साथ जल्दी खराब होता है, जबकि महिलाओं के साथ ऐसा नहीं है.
ज्यादा बेहतर समझा पाती हैं
जब बात आती है किसी बात को बेहतर तरीके से समझाने की तो महिलाएं इसमें भी आगे हैं. वो किसी चीज को ज्यादा अच्छे से रिपोर्ट कर पाती है. मान लीजिए आप डॉक्टर के पास गए. पुरुष अपनी समस्या ढंग से नहीं बता पाएगा. लेकिन महिला बता देगी.
पुरुषों से ताकतवर पैर होते हैं
अगर 30-30 साल के एक पुरुष और महिला हों. दोनों तंदुरुस्त हों. फिट हों. तो पुरुष की किक के बराबर ही महिला की किक होगी. उतनी ही घातक और ताकतवर. क्योंकि महिलाओं का निचला हिस्सा थोड़ा भारी होता है. इसलिए उनके पैर पुरुषों की तुलना में ज्यादा मजबूत होते हैं.
अब तक साहित्य था... अब इसके पीछे शरीर में मौजूद साइंस को समझिए...
पुरुष और महिला... ऐसे नहीं. इन दो शब्दों पर तो लड़ाई हो जाती है. इसे साइंस में कहते हैं नर और मादा. पुरुष माने नर होमो सेपियन और महिला माने मादा होमो सेपियन. मादा होमो सेपियन नर की तुलना में इतनी ताकत लाती कहां से. मादा की शारीरिक सरंचना. उसका इम्यून सिस्टम.
बेहतर हॉर्मोन्स से मिलती है बेहतर इम्यूनिटी
मादा होमो सेपियन के शरीर में ज्यादा मात्रा में हिस्टामाइन, सेरोटोनिन और प्रोटिएस निकलते हैं. ये हॉर्मोन हैं. ये निकलते हैं मास्ट सेल्स से. नर होमो सेपियन की तुलना में मादा होमो सेपियन में मास्ट सेल्स ज्यादा होती हैं. नर होमो सेपियन यानी पुरुषों के मास्ट सेल की तुलना में महिला के मास्ट सेल्स में 4000 से ज्यादा जीन्स होते हैं.
कई मादाओं को तो प्रजनन के लिए नरों की जरुरत नहीं
कैंसर से पुरुष ज्यादा मरते हैं. बल्कि महिलाएं कम. मादाओं का इम्यून सिस्टम नरों की तुलना में बेहतर होता है. ये सिर्फ इंसानों में ही नहीं हैं. कई अन्य जीवों की प्रजातियों में मादाओं के साथ है. कई जीवों की मादाएं तो नरों को कोई वैल्यू नहीं देतीं. उन्हें प्रजनन के लिए नरों की जरुरत ही नहीं होती.
दो X क्रोमोसोम बनाता है महिला को ताकतवर
क्रोमोसोम्स में अंतर महिलाओं को ज्यादा ताकतवर बनाता है. उन्हें कैंसर से बचाता है. X क्रोमोसोम्स में 10 फीसदी जीन कंट्रोलिंग सब्सटेंस होते हैं. जिन्हें माइक्रो-आरएनए कहते हैं. इससे इम्यूनिटी तो सुधरती ही है लेकिन कैंसर से भी बचाती है. पुरुषों की तुलना में महिलाओं के लिए यह फायदेमंद है.
बेहतर इम्यूनिटी यानी जानदार WBC
महिलाओं के खून में मौजूद सफेद रक्त कणिकाएं यानी व्हाइट ब्लड सेल्स ज्यादा ताकतवर होते हैं. महिलाओं में WBC के अंदर मैक्रोफेजेस नाम की खास तरह की कोशिकाएं ज्यादा होती हैं, इसलिए वो नरों की तुलना में जल्दी ही बीमारियों से ठीक हो जाती है. बाहरी संक्रमण से ज्यादा मजबूती से लड़ती हैं. महिलाओं के शरीर में मौजूद टी सेल्स ज्यादा इंटरफेरॉन गामा छोड़ते हैं, इसलिए उन्हें सर्दी जुकाम से ठीक होने में कम समय लगता है.
पीरियड्स होना बहुत जरूरी है
महिलाओं को पीरियड्स आते हैं. यह उन्हें दिल संबंधी बीमारियों से बचाता है. आप पूछेंगे कैसे? असल में माहवारी के दौरान निकलने वाले आयरन की वजह से महिलाओं के शरीर में आयरन की कमी रहती है. पुरुषों की तुलना में उनके खून में आयरन कम रहता है. कई स्टडीज में इस बात को बताया गया है कि खून में ज्यादा आयरन मतलब दिल संबंधी बीमारियों का खतरा ज्यादा.
मादाओं का दिल ज्यादा मजबूत
इंग्लैंड के लिवरपूल जॉन मूर्स यूनिवर्सिटी के साइंटिस्ट डॉ. डेविड गोल्डस्पिंक कहते हैं कि 18 से 70 साल के बीच पुरुषों के दिल की ताकत 20 से 75 प्रतिशत गिर जाती है. जबकि महिलाओं के साथ ऐसा कुछ नहीं होता. ढलती उम्र के साथ उनके दिल की ताकत में कमी आने के मामले कम हैं. वैज्ञानिक अब भी इसकी वजह खोज रहे हैं.
ज्यादा बेहतर सूंघने की क्षमता
पुरुषों की तुलना में महिलाओं के पास सूंघने की क्षमता ज्यादा बेहतर होती है. जो उन्हें सुरक्षित बनाता है. महिलाएं ऐसे जहरीले पदार्थों, हवा या प्रदूषण से दूर रहती हैं. इसलिए वो पुरुषों की तुलना में ज्यादा सुरक्षित रहती हैं.
महिलाएं और ताकतवर कैसे बन सकती हैं...
सिगरेट न पीएं... जो महिला धूम्रपान (Smoke) करती है, उसे पुरुषों की तुलना में फेफड़े का कैंसर होने की आशंका 72 फीसदी ज्यादा रहती है.
सुपर-इम्यूनिटी पलट सकती है... महिलाओं की इम्यूनिटी ताकतवर होती है. लेकिन यह पलट सकती है. अगर उन्हें किसी तरह की ऑटोइम्यून बीमारी हो जाए तो दिक्कत ज्यादा होती है. जैसे लुपस, रह्यूमेटॉयड आर्थराइटिस और मल्टिपल स्क्लेरोसिस.
घुटने-टखने को बचा कर रखें... पुरुषों की तुलना में महिलाओं के घुटने और टखने कमजोर होते हैं. उन्हें ज्यादा चोट लगती है. पुरुषों की तुलना में उनके टखने और घुटनों के ऊपर की मांसपेशियां पतली होती हैं. हड्डियां ज्यादा छोटी और गोलाकार होती हैं.