स्पेन (Spain) की एक महिला शायद दुनिया की पहली ऐसी महिला हैं जिन्हें 12 अलग-अलग तरह के ट्यूमर (Tumor) हुए. इनमें से 5 ट्यूमर कैंसरेरियस (Cancerous) थे और सात सामान्य. खास बात यह है कि इतने ट्यूमर उन्हें अपने जीवन के शुरुआती सालों में झेलने पड़े, यानी 30 साल की उम्र तक.
इस महिला के साथ ऐसा क्यों हुआ इसे जानने के लिए एक शोध किया गया. शोधकर्ताओं का कहना है कि ऐसा एक बेहद दुर्लभ अनुवांशिक स्थिति (Genetic condition) की वजह से हुआ है, जिसे पहले कभी देखा नहीं गया है. इस महिला की उम्र फिलहाल 36 साल है. 2014 में पेट से ट्यूमर निकाले जाने के बाद से ये रोग-मुक्त हैं.
महिला का जन्म 1986 में हुआ था. 2 साल की उम्र में, अपनी बाईं ऑडिटरी कैनाल में सारकोमा के लिए पहली बार उनकी कीमोथेरेपी हुई थी. इसके बाद वह कई साल किसी न किसी ट्यूमर से पीड़ित रहीं. खास बात यह थी कि हर ट्यूमर अलग तरह का था और शरीर के अलग-अलग जगहों पर हो रहा था. इन 12 में से कम से कम 5 ट्यूमर घातक थे, जो कैंसर में बदल गए थे.
जेनेटिक म्यूटेशन की वजह से हुए ट्यूमर
2017 में, शोधकर्ताओं ने महिला के जीन की जांच की जो आमतौर पर वंशानुगत कैंसर से जुड़े होते हैं. लेकिन उसमें कोई खतरे वाली बात नजर नहीं आई. हालांकि, जब जीनोम का पूरा विश्लेषण किया गया तो कुछ चौंका देने वाली चीजों का पता लगा. महिला के शरीर में म्न्यूटेशन के लिए MAD1L1 नामक जीन की दोनों कॉपियां पाई गईं.
MAD1 नामक प्रोटीन के लिए MAD1L1 कोड, कोशिका विभाजन (Cell division) और प्रसार (Proliferation) को रेग्यूलेट करने में अहम भूमिका निभाता है. हम सभी को इस जीन की दो कॉपियां विरासत में मिलती हैं- एक मां से और एक पिता से. अगर किसी व्यक्ति में इनमें से किसी एक पर म्यूटेशन होता है, तो जिस भ्रूण में इनकी दो म्यूटेटेड कॉपी चली जाती हैं वह हमेशा गर्भ में मर जाता है. लेकिन इस महिला की स्थिति पर शोध के लेखक मार्कोस मालुम्ब्रेस (Marcos Malumbres) का कहना है कि हम अभी भी यह नहीं समझ पाए हैं कि ऐसी भ्रूण अवस्था के दौरान ये भ्रूण (महिला) विकसित कैसे हो सकता है.
इन म्यूटेशन के प्रभावों के बारे में बताते हुए शोधकर्ताओं ने खुलासा किया कि इस तरह के कोशिका प्रसार की वजह से महिला की 30 से 40 प्रतिशत रक्त कोशिकाओं में क्रोमोसोम्स (Chromosomes) की संख्या गलत होती है. सामान्य परिस्थितियों में, सभी मानव कोशिकाओं में क्रोमोसोम के 23 पेयर होते हैं. हालांकि, यह कभी-कभी लोगों में मोज़ेक वेरिएगेटेड एयूप्लोइडी (mosaic variegated aneuploidy-MVA) नामक स्थिति में बदल जाता है.
चूंकि अधिकांश कैंसर कोशिकाओं में अतिरिक्त या क्रोमोसोम मिसिंग होते हैं, इसलिए एमवीए वाले लोग बीमारी के प्रति ज्यादा संवेदनशील हो सकते हैं. इससे जन्मजात दोष और बौद्धिक अक्षमता हो सकती है, लेकिन इस महिला में ऐसा कुछ नहीं था. बल्कि, महिला में कई और शारीरिक लक्षण दिखे जैसे माइक्रोसेफली. इन आनुवंशिक असामान्यताओं के बावजूद, शोध के लेखकों का कहना है कि भले ही महिला बार-बार होने वाली बीमारियों से गंभीर रूप से प्रभावित हुई हो, लेकिन वह एक सामान्य जीवन जीने में सक्षम रही है.
महिला ने हर बार बीमारी को कैसे हराया
वैज्ञानिकों ने किसी भी व्यक्ति में आज तक MAD1L1 जीन की दो म्यूटेटेड कॉपियां नहीं देखी थीं. इस मामले में एक खास बात और थी. वह स्थिति जिसकी वजह से महिला को कैंसर होने की संभावना हुई, उसी ने बीमारी से उबरने में महिला की मदद भी की. जिस सहजता से वह लगातार बीमारी से उबरी, उसे देखते हुए शोधकर्ताओं ने अनुमान लगाया कि उसका इम्यून सिस्टम ने एयूप्लोइड कैंसर कोशिकाओं (Aneuploid cancer cells) को टार्गेट करने और उन्हें खत्म करने की क्षमता विकसित की होगी.
साइंस एडवांसेज जर्नल में प्रकाशित इस शोध के मुताबिक, यह देखते हुए कि ज्यादातर कैंसर सेल्स ऐयूप्लोइड हैं, शोध के लेखकों का कहना है कि महिला की स्थिति को बेहतर ढंग से समझने पर यह पता लग सकता है कि बाकी मरीजों में ट्यूमर को खत्म करने के लिए इम्यून सिस्टम को कैसे स्टिम्यूलेट किया जा सकता है.