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हाइड्रोजन से चलने वाला दुनिया का पहला मालवाहक जहाज लॉन्च के लिए तैयार

समुद्र और हवा में प्रदूषण कम हो इसलिए अब ऐसा जहाज लगभग बन चुका है जो हाइड्रोजन से चलेगा. यह दुनिया का पहला मालवाहक जहाज (Cargo Vessel) होगा जो हाइड्रोजन का उपयोग ईंधन के तौर पर करेगा. इस जहाज को बनाया है फ्रांस की कंपनी Compagnie Fluvial de Transport (CFT) ने. इस जहाज को इस साल के अंत तक पेरिस की सीन नदी (Seine River) में चलाया जाएगा.

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हाइड्रोजन से चलने वाला दुनिया का पहला मालवाहक जहाज. फोटोः फ्लैगशिप्स प्रोजेक्ट
हाइड्रोजन से चलने वाला दुनिया का पहला मालवाहक जहाज. फोटोः फ्लैगशिप्स प्रोजेक्ट
स्टोरी हाइलाइट्स
  • पेरिस की सीन नदी में चलेगा कार्गो वेसल
  • साल के अंत तक उतारा जाएगा पानी में
  • इस जहाज से कई गुना कम होगा प्रदूषण

समुद्र और हवा में प्रदूषण कम हो इसलिए अब ऐसा जहाज लगभग बन चुका है जो हाइड्रोजन से चलेगा. यह दुनिया का पहला मालवाहक जहाज (Cargo Vessel) होगा जो हाइड्रोजन का उपयोग ईंधन के तौर पर करेगा. इस जहाज को बनाया है फ्रांस की कंपनी Compagnie Fluvial de Transport (CFT) ने. इस जहाज को इस साल के अंत तक पेरिस की सीन नदी (Seine River) में चलाया जाएगा. 

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इस जहाज को कंप्रेस्ड हाइड्रोजन से चलाया जाएगा जो इलेक्ट्रोलाइसिस प्रक्रिया से जहाज के अंदर ही बनाया जाएगा. इस जहाज को नदी में चलने के अनुसार ही बनाया गया है. CFT के डायरेक्टर मैथ्यू ब्लैंक ने कहा कि इस समय प्रदूषण बहुत ज्यादा है. इसे कम करने के लिए ऐसी टेक्नोलॉजी और परिवहन प्रणाली की जरूरत है जिससे प्रदूषण कम हो. 

मैथ्यू ने कहा कि हम इस कार्गो वेसल के जरिए कार्बन उत्सर्जन को कम करना चाहते हैं. इस प्रोजेक्ट का नाम फ्लैगशिप्स प्रोजेक्ट (Flagships Project) रखा गया है. हम दुनिया को दिखाना चाहते हैं कि इस तरह की टेक्नोलॉजी से भी पानी पर जहाज चलाए जा सकते हैं. पिछले 50 सालों में मालवाहक जहाजों ने समुद्र के जरिए विश्व व्यापार को नई ऊंचाइयां दी हैं. 

मैथ्यू ने कहा कि मालवाहक जहाजों की वजह से समुद्र और हवा दोनों में प्रदूषण भी काफी ज्यादा होता है. ये ग्रीनहाउस गैसों के उत्सर्जन में बड़ा योगदान देते हैं. जो कि पर्यावरण के लिहाज से सही नहीं है. ज्यादातर जहाज बंकर फ्यूल (Bunker Fuel) पर चलते हैं. इनकी वजह से कार्बन डाईऑक्साइड की मात्रा तेजी से बढ़ रही है. 

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बंकर फ्यूल (Bunker Fuel) पर चलने वाले जहाज कार्बन के छोटे-छोटे कण हवा में फेंकते हैं. ये दुनिया के दूसरे सबसे बड़े प्रदूषण फैलाने वाले जहाज होते हैं. इनकी वजह से क्लाइमेट चेंज होता है. फ्लैगशिप्स प्रोजेक्ट (Flagships Project) को साल 2018 में 6 मिलियन डॉलर्स यानी 44.79 करोड़ रुपए की फंडिंग से शुरू किया गया था. 

ये फंडिंग यूरोपियन यूनियन रिसर्च एंड इनोवेशन प्रोग्राम (European Union’s Research and Innovation program) के तहत दिया गया था. इस प्रोग्राम का आधिकारिक नाम होराइजन 2020 (Horizon 2020) है. इस फंडिंग से हमने एक जहाज बनाया है. बाकी पैसों से हम हाइड्रोजन ईंधन का उपयोग करके कार्गो ट्रांसपोर्ट को लेकर रिसर्च कर रहे हैं. 

पेरिस में हाइड्रोजन से चलने वाला एक कॉन्सेप्ट कार्गो वेसल अब भी चल रहा है. दो और कार्गो वेसल अब भी निर्माणाधीन हैं. समुद्र में चलने वाले बड़े मालवाहक जहाज को बनाना एक बड़ा लॉजिस्टिक चैलेंज है. क्योंकि पंरपरागत ईंधन से चलने वाले जहाजों में ईंधन यूनिट छोटे में इंस्टॉल हो जाता है. ये आसानी से कहीं भी ईँधन ले सकते हैं. जहां तक हाइड्रोजन ईंधन से चलने वाले जहाजों की बात है तो इसके लिए बड़े ईंधन की जरूरत होती है. 

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