भारत में एक विश्वविद्यालय को अल्पसंख्यक का दर्जा मिलना, अल्पसंख्यक समुदाय से जुड़ाव, स्थापना का उद्देश्य, मैनेजमेंट, छात्र समुदाय और सिलेबस आदि समेत कुछ विशेष मानदंडों के आधार पर होता है. यह दर्जा संविधान के अनुच्छेद 30 के तहत दिया जाता है, जो अल्पसंख्यकों को अपनी शिक्षण संस्थाएं स्थापित करने और चलाने का अधिकार देता है.