पांच बार की विश्व चैंपियन और ओलंपिक कांस्य पदक विजेता मुक्केबाज एमसी मेरी कॉम ने आज अपनी उपलब्धियों में राष्ट्रमंडल खेलों का स्वर्ण भी जोड़ लिया. पहली और संभवत: आखिरी बार राष्ट्रमंडल खेलों में भाग ले रहीं 35 साल की मेरी कॉम ने महिलाओं के 48 किलो ग्राम भार वर्ग के फाइनल में उत्तरी आयरलैंड की क्रिस्टिना ओहारा को 5-0 से हराया.
मेरी कॉम ने मुकाबले को लगभग एकतरफा बना दिया. पांच महीने पहले एशियाई चैंपियनशिप में स्वर्ण जीतने वाली मेरीकॉम ने जनवरी में इंडिया ओपन जीता था. उन्होंने बुल्गारिया में स्ट्रांजा मेमोरियल टूर्नामेंट में भी रजत पदक जीता था.
मेरी कॉम ने ऐसे जीता गोल्ड मेडल
ओहारा के पास मेरीकोम के दमदार पंच और फिटनेस का जवाब नहीं था. कॉमनवेल्थ खेलों में पहली बार पदक हासिल करने वाली मेरी कॉम ने पहले राउंड में सब्र दिखाया और मौकों का इंतजार किया. उन्हें मौके भी मिले जिसे उन्होंने अपने पंचों से बखूबी भुनाया. मेरी कॉम अपने बाएं पंच का अच्छा इस्तेमाल कर रही थीं.
मेरी का जबरदस्त प्रदर्शन
मेरी कॉर्म धीरे-धीरे आक्रामक हो रही थीं. दूसरे राउंड में मेरी कॉम ने अपना अंदाज जारी रखा. वहीं, क्रिस्टिना कोशिश तो कर रहीं थी, लेकिन उनके पंच चूक रहे थे. वहीं, मेरी कॉम मुकबला आगे बढ़ने के साथ और आक्रामक हो गईं और अब जैब के साथ अपने लेफ्ट हुक का भी अच्छा इस्तेमाल कर रही थीं. अब वह अपने फुटवर्क का अच्छा इस्तेमाल करते हुए क्रिस्टिना पर दबाव बनाए हुए थीं.मेरी कॉम के संघर्ष की कहानी
35 साल की मेरी कॉम एक किसान की बेटी हैं. दूसरे महिला एथलीटों की तरह ही मेरी के लिए बॉक्सिंग में अपना करियर बनाना आसान नहीं था. मेरी कॉम ने जब बॉक्सिंग शुरू की थी, तो उन्हें अपने घर से कोई समर्थन नहीं मिला. घर वाले मेरी कॉम के बॉक्सिंग के खिलाफ थे, लेकिन उनकी कड़ी मेहनत और लगन ने उनके घर वालों को झुकने के लिए मजबूर कर दिया. तीन बच्चों की मां ने जब भी बॉक्सिंग रिंग में कदम रखा, कामयाबी ने उनके कदम चूमें हैं.