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CWG 2018 : सतीश ने दर्द को भुलाकर भारत को दिलाया स्वर्ण पदक

तमिलनाडु के इस भारोत्तोलक ने कहा, ‘मेरी जांघ में इतना दर्द हो रहा था कि मेरे लिए बैठना भी मुश्किल था. सभी मेरा ध्यान रख रहे थे, जिससे मेरी उम्मीद बंधी.'

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सतीश
सतीश

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मौजूदा चैंपियन भारोत्तोलक सतीश शिवालिंगम (77 किग्रा) ने जांघ में दर्द के बावजूद 21 वें राष्ट्रमंडल खेलों में भारत को तीसरा स्वर्ण पदक दिलाया. सतीश ने कुल 317 किग्रा (144 किग्रा+173 किग्रा) भार उठाया तथा वह अपने प्रतिद्वंद्वियों से इतने आगे हो गए कि क्लीन एवं जर्क में अपने आखिरी प्रयास के लिए नहीं गए.

सतीश ने पदक वितरण समारोह के बाद कहा, ‘राष्ट्रीय चैंपियनशिप में क्लीन एवं जर्क में 194 किग्रा भार उठाने के प्रयास में मेरी जांघ में चोट लग गई थी और मुझे यहां पदक जीतने की उम्मीद नहीं थी. यह मांसपेशियों से जुड़ी समस्या है. मैं अब भी पूरी तरह फिट नहीं था, लेकिन मुझे खुशी है कि मैं तब भी स्वर्ण पदक जीतने में सफल रहा.’

तमिलनाडु के इस भारोत्तोलक ने कहा, ‘मेरी जांघ में इतना दर्द हो रहा था कि मेरे लिए बैठना भी मुश्किल था. सभी मेरा ध्यान रख रहे थे, जिससे मेरी उम्मीद बंधी. लेकिन, मैं पूरी तरह से आश्वस्त नहीं था. मैंने कड़ा अभ्यास नहीं किया था और मेरा शरीर अपनी सर्वश्रेष्ठ स्थिति में नहीं था, इसलिए मैं स्वर्ण पदक की उम्मीद कैसे कर सकता था.’

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स्नैच में सतीश और इंग्लैंड के रजत पदक विजेता जैक ओलिवर के बीच कड़ा मुकाबला देखने को मिला. इन दोनों ने अपने अगले प्रयास में ज्यादा वजन उठाया. ओलिवर आखिर में स्नैच में आगे रहने में सफल रहे, क्योंकि उन्होंने अपने दूसरे प्रयास में 145 किग्रा भार उठाया था.

आखिर में हालांकि सतीश क्लीन एवं जर्क में बेहतर प्रदर्शन करके अपना खिताब बचाने में सफल रहे. ओलिवर 171 किग्रा के दोनों प्रयास में नाकाम रहे और उन्हें इस तरह से 312 किग्रा (145 किग्रा+167 किग्रा) के साथ रजत पदक से संतोष करना पड़ा.

सतीश ने कहा, ‘ मैं भाग्यशाली रहा. अगर वह ( ओलिवर) उन दो प्रयास में नाकाम नहीं रहता, तो फिर मुझे उससे अधिक भार उठाना पड़ता और मैं पक्के तौर पर नहीं कह सकता कि मेरा शरीर उसकी इजाजत देता या नहीं. मैं वास्तव में काफी राहत महसूस कर रहा हूं.’

सतीश ने 2014 राष्ट्रमंडल खेलों में स्नैच में 149 और क्लीन एवं जर्क में 179 किग्रा सहित कुल 328 किग्रा भार उठाकर स्वर्ण पदक जीता. उनका स्नैच में 149 किग्रा भार अब भी खेलों का रिकॉर्ड है. प्रतियोगिता स्थल पर फिजियो नहीं होने के कारण भारोत्तोलकों को काफी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है. सतीश राष्ट्रमंडल चैंपियनशिप के मौजूदा स्वर्ण पदक विजेता भी हैं.

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