चेन्नई में इंग्लैंड के खिलाफ जारी टेस्ट मैच में टीम इंडिया के पक्ष में अबतक कुछ भी नहीं रहा है. टॉस हो या DRS, ये टीम इंडिया के खिलाफ ही रहा. पहली पारी में इंग्लैंड ने 578 रनों का पहाड़ जैसा स्कोर स्कोर बनाया. जवाब में बल्लेबाजी करने उतरी टीम इंडिया को शुरुआती झटके लगे हैं.
550 से ज्यादा रन बनाने के बाद इंग्लैंड का अब यहां से मैच हारना मुश्किल है. यहां से या तो वो जीत सकती है या मैच ड्रा हो सकता है. लड़ाई अब टीम इंडिया के लिए है. उसके सामने चेन्नई टेस्ट बचाने की चुनौती है. इंग्लैंड अगर इस मजबूत स्कोर तक पहुंची है तो इसके लिए टीम इंडिया की कमजोर रणनीति रही है. (फोटो- PTI)
एडिलेड टेस्ट में हार के बाद कप्तानी संभाल रहे विराट कोहली ने चेन्नई टेस्ट में कुछ ऐसी गलतियां की हैं, जिसका नतीजा टीम इंडिया को भुगतना पड़ रहा है. सबसे पहले टीम इंडिया के चयन पर सवाल उठा. 2019 में आखिरी टेस्ट खेलने वाले कुलदीप यादव को अंतिम ग्यारह से बाहर रखा गया है. उनकी जगह शाहबाज नदीम को टीम में जगह दी गई है. (फाइल फोटो)
शाहबाज नदीम चेन्नई टेस्ट में प्रभाव नहीं छोड़ सके. चेन्नई की पिच स्पिनर्स को सपोर्ट करती है, लेकिन नदीम इंग्लिश बल्लेबाजों पर दबाव डालने में नाकाम रहे. अपना दूसरा टेस्ट खेल रहे नदीम ने 44 ओवर डाले और 2 विकेट ही ले सके. कुलदीप को टीम में नहीं शामिल करने पर गौतम गंभीर और माइकल वॉन जैसे दिग्गजों ने सवाल भी उठाया. (फोटो- PTI)
DRS लेने में चूक- विराट कोहली DRS को लेकर असहज रहे हैं. महेंद्र सिंह धोनी की मौजूदगी में कोहली DRS के लिए हमेशा उनपर निर्भर रहे. DRS लेने में धोनी को माहिर माना जाता था और कोहली को उनकी कमी महसूस भी हो रही है. हालांकि, धोनी को रिटायर हुए लंबा समय हो गया है. चेन्नई टेस्ट में कोहली ने तीन DRS लिए और तीनों उनके खिलाफ रहे. दो DRS तो उन्होंने लगातार दो ओवरों में लिए.
DRS को खोने का असर ये हुआ है कि इंग्लैंड की पारी में कई ऐसे मौके आए जब लगा कि मामला करीबी हो सकता है और तब कप्तान कोहली के पास कोई विकल्प नहीं बचा था. उन्हें फील्ड अंपायर के ही निर्णय पर संतोष करना पड़ा.
रूट पर नहीं बनाया दबाव- चेन्नई टेस्ट में अगर इंग्लैंड मजबूत स्थिति में है तो इसका श्रेय जो रूट को जाता है. अपने 100वें टेस्ट को यादगार बनाते हुए उन्होंने 218 रनों की शानदार पारी खेली. रूट ने अपनी मैराथन पारी में गेंदबाज और फील्डर को कम ही मौके दिए. स्पिनर्स को खेलने में वो माहिर हैं और चेन्नई में उन्होंने दिखा भी दिया. रूट 218 रन तक पहुंचे तो इसके लिए उन्हें विरोधी कप्तान कोहली का भी धन्यवाद करना चाहिए, क्योंकि रूट जब शतक की ओर बढ़ रहे थे तो कोहली ने उनपर दबाव बनाने की कोशिश भी नहीं की.
आमतौर पर जब बल्लेबाज 90 और 100 रनों के बीच में होता तो विरोधी कप्तान अपने मुख्य गेंदबाजों को आक्रमण पर लाते हैं, लेकिन कोहली ने ऐसा नहीं किया. गेंद पुरानी हो चुकी थी और ऐसे में अश्विन को अगर गेंद सौंपी जाती तो वो रूट पर दबाव बना सकते थे. कोहली के निर्णय पर कमेंट्री बॉक्स में बैठे कमेंटेटर्स ने भी सवाल उठाए. कमेंटेटर्स इस बात की चर्चा कर रहे थे कि हो सकता है कोहली अश्विन को फ्रेश रखना चाहते हों और उनसे नई गेंद डलवाएं, क्योंकि हाल के दिनों में देखा गया है कि अश्विन नई गेंद से भी विकेट झटके हैं.
समय पर नई गेंद नहीं लेना- दूसरे दिन के खेल के आखिरी घंटे में टीम इंडिया के पास नई गेंद लेने का मौका था. लेकिन कोहली से यहां पर भी चूक हुई. कप्तान कोहली को भरोसा था कि पुरानी गेंद से उनके स्पिनर इंग्लैंड के आखिरी विकेट निकाल देंगे, लेकिन ऐसा नहीं हुआ. जो रूट जब पारी के 154वें ओवर में आउट हुए थे, तब इंग्लैंड का स्कोर था 477 रन. इसके 6 ओवर बाद कोहली के पास नई गेंद लेने का मौका था. लेकिन उन्होंने तीसरे दिन का इंतजार किया और इसका फायदा इंग्लैंड को मिला. रूट के आउट होने के बाद इंग्लैंड के आखिरी तीन विकेट 101 रन जोड़े.