अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट काउंसिल (ICC) जून में होने वाले वर्ल्ड टेस्ट चैम्पियनशिप फाइनल से पहले विवादित ‘सॉफ्ट सिग्नल’ नियम में संशोधन करने को तैयार है. ‘सॉफ्ट सिग्नल ’नियम भारत और इंग्लैंड के बीच टी20 सीरीज के चौथे मैच के दौरान विवादों में आया था.
भारतीय पारी के दौरान सूर्यकुमार यादव और वॉशिंगटन सुंदर इस नियम का शिकार बने. भारतीय कप्तान विराट कोहली ने इस नियम की आलोचना की. कोहली ने कहा कि मैदानी अंपायर के पास 'मुझे नहीं पता' का ऑप्शन क्यों नहीं होता है.
दरअसल, सूर्यकुमार यादव पारी के 14वें ओवर में सैम कुरेन की गेंद पर डेविड मलान को कैच दे बैठे. रिप्ले में दिख रहा था कि गेंद जमीन को छू गई थी. लेकिन सॉफ्ट सिग्नल के चलते सूर्यकुमार को थर्ड अंपायर वीरेंदर शर्मा ने आउट दे दिया.
क्रिकबज की रिपोर्ट के मुताबिक, भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड (बीसीसीआई) के सचिव जय शाह ने गुरुवार को आईसीसी की बोर्ड बैठक में बहस की शुरुआत की. उन्हें अन्य सदस्यों का भी समर्थन मिला, जो इस बात से सहमत थे कि सॉफ्ट सिग्नल नियम को बदलने की जरूरत है.
आईसीसी ने आखिरकार भारत और न्यूजीलैंड के बीच वर्ल्ड टेस्ट चैम्पियनशिप के फाइनल से पहले ‘सॉफ्ट सिग्नल ’नियम में संशोधन करने का फैसला किया है. बता दें कि भारत और न्यूजीलैंड के बीच वर्ल्ड टेस्ट चैम्पियनशिप का फाइनल इंग्लैंड के साउथैंप्टन में खेला जाएगा. मुकाबला 18 से 22 जून तक खेला जाएगा.
क्या होता है सॉफ्ट सिग्नल
दरअसल, जब फील्ड अंपायर क्लोज कैच की सलाह लेने के लिए थर्ड अंपायर की सलाह लेता तो उसे सॉफ्ट सिग्नल भी बताना होता है. फील्ड अंपायर अपना फैसला बताता है और थर्ड अंपायर से ये सुनिश्चित करने के लिए कहता है कि वह गलत नहीं है. आईसीसी के नियम बताते हैं कि सॉफ्ट सिग्नल को पलटा भी जा सकता है, जब इसके पूरे सबूत हों कि सॉफ्ट सिग्नल गलत है. सूर्यकुमार के मामले में फील्ड अंपायर का सॉफ्ट सिग्नल आउट था और ऐसे में अगर थर्ड अंपायर पूरी तरह से कंफर्म होते कि गेंद जमीन को छू गई है तो वह नॉट आउट दे सकते थे.