टीम इंडिया ने शानदार प्रदर्शन करते हुए पहले वनडे में इंग्लैंड को 10 विकेट से मात दे दी. लंदन के ओवल में रोहित शर्मा की कप्तानी वाली टीम इंडिया के लिए यह जीत काफी स्पेशल रही, क्योंकि वनडे इंटरनेशनल के इतिहास में पहली बार भारत ने इंग्लैंड को 10 विकेट से पराजित किया है. टीम इंडिया की इस जीत के सूत्रधार तेज गेंदबाज जसप्रीत बुमराह रहे, जिन्होंने 6 अंग्रेज खिलाड़ियों को आउट किया. इस एकतरफा जीत ने टीम इंडिया की उस ऐतिहासिक जीत की याद दिला दी, जिसे उसने ठीक 20 साल पहले लॉर्ड्स में हासिल की थी.
दरअसल, 20 साल पहले 2002 में आज के ही दिन (13 जुलाई) भारत ने इंग्लैंड में यादगार जीत हासिल की थी. तब भारत ने नेटवेस्ट सीरीज के फाइनल में धूल चटाई थी. जीत के बाद कप्तान सौरव गांगुली ने लॉर्ड्स के बालकनी से शर्ट लहराई थी, जो फैंस कभी भूल नहीं सकते. फाइनल मुकाबले में इंग्लैंड ने भारत के सामने जीत के लिए 326 रनों का विशाल लक्ष्य रखा था. लेकिन युवराज सिंह (69) और मोहम्मद कैफ (नाबाद 87) ने शानदार बल्लेबाजी कर टीम इंडिया को तीन गेंदें शेष रहते 2 विकेट से रोमांचक जीत दिला दी थी.
इंग्लैंड के कप्तान नासिर हुसैन ने टॉस जीतकर पहले बल्लेबाजी करने का फैसला लिया. जहीर खान ने ओपनर निक नाइट (14) को जल्द ही चलता कर दिया, लेकिन दूसरे ओपनर मार्कस ट्रेसकोथिक पूरी लय में थे. ट्रेसकोथिक ने नासिर हुसैन के साथ दूसरे विकेट के लिए 185 रन जोड़कर इंग्लैंड को बड़े स्कोर की ओर अग्रसर कर दिया. नासिर हुसैन ने 115, जबकि ट्रेसकोथिक ने 109 रनों की शानदार पारियां खेलीं. आखिरी ओवरों में एंड्रयू फ्लिंटॉफ (40) ने ताबड़तोड़ बल्लेबाजी कर इंग्लैंड को 325/5 रनों तक पहुंचा दिया.
उस वक्त वनडे में 300 से ज्यादा रनों का टारगेट का पीछा करना असंभव सा माना जाता था. डेरेन गॉफ, एंड्रयू फ्लिंटॉफ और एलेक्स टूडर जैसे तेज गेंदबाजों के सामने तो ये और भी कठिन काम था. वीरेंद्र सहवाग (45) और सौरव गांगुली (60) ने पहले विकेट के लिए ताबड़तोड़ 106 रनों की साझेदारी कर भारतीय टीम को शानदार शुरुआत दिलाई. लेकिन सहवाग और गांगुली के आउट होते ही मैच में नाटकीय मोड़ आ गया. इसके बाद इंग्लिश गेंदबाजों ने दिनेश मोंगिया (9), राहुल द्रविड़ (5) और सचिन तेंदुलकर (14) को सस्ते में आउट कर भारतीय टीम की कमर तोड़ दी.
भारत ने 146 रन पर ही 5 विकेट खो दिए थे और जीत की राह मुश्किल लग रही थी. लेकिन इसके बाद युवराज सिंह और मोहम्मद कैफ ने 121 रनों की साझेदारी कर भारत की उम्मीदें एक बार फिर जगा दीं. 267 रन के स्कोर पर कोलिंगवुड ने युवराज को चलता कर इस साझेदारी का अंत कर दिया. लेकिन इसके बाद कैफ ने हरभजन सिंह के साथ आठवें विकेट के लिए 47 रनों की साझेदारी कर मैच को एक बार फिर से भारत की ओर झुका दिया.
मैच में एक नया मोड़ उस समय आया जब 48वें ओवर में फ्लिंटॉफ ने हरभजन (15) और कुंबले (0) के विकेट झटक लिए. भारत को आखिरी 13 गेंदों पर 12 रनों की जरूरत थी, ऐसे में जीत की पूरी जिम्मेदारी कैफ और जहीर के कंधों पर थी. दोनों ही खिलाड़ियों ने करोड़ों भारतीय फैंस की उम्मीदों पर खरे उतरते हुए भारत को यादगार जीत दिला दी.
फाइनल मुकाबले में भले ही युवराज सिंह और मोहम्मद कैफ ने भारत को जीत दिलाई थी. लेकिन मैच के असली हीरो तो कप्तान सौरव गांगुली बनकर उभरे. गांगुली ने शर्ट लहराकर सिर्फ ट्रॉफी जीत का जश्न ही नहीं बनाया, बल्कि वानखेड़े स्टेडियम में मिली हार का भी बदला ले लिया था. दरअसल, 3 फरवरी 2002 को मुंबई के वानखेड़े स्टेडियम में भारत-इंग्लैंड के बीच वनडे मुकाबला हुआ था.
उस मैच में इंग्लैंड ने भारत को पांच रनों से हराकर छह मैचों की सीरीज को 3-3 से ड्रॉ करवाया था. पहले बल्लेबाजी करते हुए इंग्लैंड ने सभी विकेट खोकर 255 रन बनाए थे. जवाब में पूरी भारतीय टीम 250 पर ऑलआउट हो गई थी. उस मैच में एंड्रयू फ्लिंटॉफ ने जीत के बाद टी-शर्ट उतारकर जश्न मनाया था. फ्लिंटॉप के उसी जीत के जश्न का जवाब सौरव गांगुली ने लॉर्ड्स में दिया.