भारत और साउथ अफ्रीका के बीच तीसरा टेस्ट मैच निर्णायक मोड़ पर पहुंच गया है. साउथ अफ्रीका को जीत के लिए 111 रनों की दरकार है और उसके आठ विकेट बचे हुए हैं. खेल के चौथे दिन फैंस भारतीय टीम से यादगार प्रदर्शन की उम्मीद कर रहे हैं. वैसे, खेल के तीसरे दिन डीआरएस को लेकर एक बड़ा विवाद देखने को मिला.
साउथ अफ्रीका की दूसरी पारी के 21वें ओवर में रविचंद्रन अश्विन की गेंद पर डीन एल्गर को फील्ड अंपायर मराइस इरास्मस ने एलबीडब्ल्यू आउट दे दिया था. खुली आंखों से कोई भी बता सकता था कि गेंद आसानी से स्टंप पर जा लगती. बावजूद इसके अफ्रीकी कप्तान एल्गर ने डीआरएस ले लिया, जिसके बाद टीवी अंपायर ने उन्हें नॉटआउट करार दिया.
टीवी रिप्ले में दिखाई दे रहा था कि बॉल की इम्पैक्ट और पिचिंग लाइन में थी. लेकिन हैरानी भरी बात यह रही कि बॉल स्टंप को नहीं छू रही थी. तीसरे अंपायर के फैसले से फील्ड अंपायर इरास्मस भी हैरान दिखाई दिए. कप्तान विराट कोहली सभी भारतीय खिलाड़ियों ने स्टंप माइक के पास आकर इस फैसले को लेकर अपना गुस्सा उतारा.
खिलाड़ियों का गुस्सा स्वाभाविक था क्योंकि एक एंगल से देखें तो वह गेंद विकेट से जरूर टकराती और एल्गर आउट हो जाते. लेकिन तकनीक ही विलेन बनकर आ गई. सबसे पहले अश्विन ने गुस्सा इजहार करते हुए कहा, 'जीतने के लिए सुपरस्पोर्ट को दूसरे तरीके ढूंढना चाहिए.' सुपरस्पोर्ट ऑफिशियल्स साउथ अफ्रीकी ब्रॉडकास्टर है.
— ♡ (@kyakarungimain) January 13, 2022
भारतीय कप्तान विराट कोहली ने स्टंप माइक्रोफोन से कहा, 'अपनी टीम पर भी ध्यान दें, सिर्फ विरोधी टीम पर ही नहीं. हर समय लोगों को पकड़ने का प्रयास करते रहते हो.' ये सिलसिला बदस्तूर जारी रहा. विराट के बाद उप-कप्तान केएल राहुल की आवाज भी स्टंप माइक में कैद हो गई जिसमें वह कह रहे थे, 'पूरा देश मिलकर 11 खिलाड़ियों के खिलाफ खेल रहा है.'
महान बल्लेबाज सुनील गावस्कर ने भी डीआरएस पर सवाल खड़े किए हैं. गावस्कर ने कहा, 'गेंद एल्गर के घुटने पर लगी, उनकी लंबाई उतनी नहीं है, इसलिए मुझे नहीं लगा कि गेंद स्टंप्स के ऊपर से जाएगी. मुझे लगा कि कम से कम गेंद बेल्स को जरूर क्लिप करेगी और अंपायर्स कॉल रहेगा.'
पिछले साल भारत और न्यूजीलैंड के बीच मुंबई टेस्ट में भी ऐसी ही एक घटना हुई थी, जब चेतेश्वर पुजारा को एजाज पटेल की गेंद घुटने के नीचे लगी और वह एलबीडब्ल्यू आउट हो गए थे. पुजारा ने डीआरएस लेने से पहले इशारा किया था कि उन्होंने गेंद को हिट किया था. लेकिन रिप्ले के अनुसार ऐसा नहीं दिखाई दिया, लेकिन गेंद स्टंप्स के ऊपर से जा रही थी.
डीआरएस विवाद के बाद बॉल बॉल-ट्रैकिंग तकनीक पर एक बार फिर सवाल खड़े हो गए हैं. बॉल ट्रैकिंग तकनीक एक स्वतंत्र निकाय हॉकआई की ओर से अधिकृत होता है, जो इस मामले मेजबान प्रसारक को डेटा प्रदान (रिले) करता है. इस तकनीक के लिए स्टेडियम में अलग अलग कोणों पर पर 6 कैमरे लगे होते हैं. इन सभी कैमरों का काम गेंद की Path (पाथ) को ट्रैक करना होता है.
इसके बाद कैमरे में कैप्चर की गई फोटोज का कम्प्यूटर थ्रीडी इमेज बनाता है. थ्रीडी इमेज बनाते समय गेंद की गति, उछाल और स्विंग को ध्यान में रखा जाता है, जिसके कारण एलबीडब्ल्यू (LBW) का फैसला करना आसान हो जाता है. सभी फोटो क्रेडिट: (twitter/ getty)