टीम इंडिया ने कपिल देव की कप्तानी में ऐतिहासिक प्रदर्शन करते हुए 1983 का क्रिकेट वर्ल्ड कप जीता था. उस टूर्नामेंट में भारत ने उम्मीदों के विपरीत चौंकाने वाला प्रदर्शन करते हुए बड़ी-बड़ी टीमों को धूल चटाई. भारतीय टीम के खिताबी सफर में एक ऐसा खिलाड़ी भी शामिल था, जिसकी सफलता की चर्चा नहीं के बराबर की जाती है. मध्यक्रम के इस माने हुए बल्लेबाज की बदौलत भारत ने जीत के साथ अपने अभियान की शुरुआत की थी. जी हां! बात हो रही है यशपाल शर्मा की. आज के दिन ही (11 अगस्त) साल 1954 में यशपाल शर्मा का लुधियाना में जन्म हुआ था.
1983 के वर्ल्ड कप में भारतीय टीम को अपने पहले ही मैच में लगातार दो बार के चैम्पियन वेस्टइंडीज का सामना करना पड़ा. पिछले दोनों विश्व कप में खराब प्रदर्शन करने वाली टीम इंडिया को वेस्टइंडीज ने पहले बल्लेबाजी के लिए भेजा. उनका यह फैसला लगभग सही साबित होता दिखा. 76 के स्कोर पर तीसरा विकेट गिरने पर यशपाल शर्मा बैटिंग करने उतरे. 141 रनों के स्कोर तक तो आधी टीम पैवेलियन लौट चुकी थी, लेकिन यशपाल ने अपना धैर्य बनाए रखा.
मैनचेस्टर के ओल्ड ट्रैफर्ड मैदान पर हुए उस मैच में यशपाल शर्मा ने 120 गेंदों का सामना कर भारतीय पारी को संवारा. उन्होंने न सिर्फ बेहतरीन स्ट्रोक्स खेले, बल्कि विकेटों के बीच तालमेल बैठाते हुए दौड़ लगाकर भी रन बटोरे. यशपाल ने अकेले 89 रन (9 चौके) बनाए, जिससे भारत का स्कोर निर्धारित 60 ओवरों में 262/8 तक जा पहुंचा. यशपाल की उस शानदार पारी की बदौलत भारत ने ग्रुप-बी के अपने पहले ही मैच में बड़ा उलटफेर कर दिया और वेस्टइंडीज को 34 रनों से मात दी. इसी जीत के साथ भारत के विश्व चैम्पियन बनने की बुनियाद पड़ी.
यशपाल शर्मा ने उसी वर्ल्ड कप के दौरान ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ मैच में आक्रामक पारी खेलते हुए 40 गेंदों में 40 रन बनाए, जिसमें एक ही चौका था. मजे की बात है कि उस मैच में यह न सिर्फ भारत की ओर से सर्वाधिक निजी स्कोर था, बल्कि जवाबी पारी में ऑस्ट्रेलिया की ओर से भी इतने रन किसी ने नहीं बनाए. दरअसल, 248 रनों का पीछा करते हुए ऑस्ट्रेलियाई टीम मदन लाल, रोजर बिन्नी (4-4 विकेट) और बलविंदर संधू (2 विकेट) की धारदार गेंदबाजी के आगे 129 रनों पर सिमट गई थी.
यशपाल शर्मा ने सेमीफाइनल में मेजबान इंग्लैंड के खिलाफ जीत में अहम भूमिका निभाई था. उन्होंने सर्वाधिक 61 रनों की पारी खेली, जिसमें 2 छक्के और 3 चौके शामिल रहे. भारत ने वह महत्वपूर्ण मुकाबला 6 विकेट से जीता और फाइनल में पहुंच गया. इसके बाद जो हुआ, वह इतिहास के पन्नों में शामिल हो गया. भारतीय टीम ने वेस्टइंडीज का लगातार तीसरा वर्ल्ड कप जीतने का सपना तोड़ दिया और पहली बार वर्ल्ड कप पर कब्जा जमाया. 1983 के वर्ल्ड कप में कपिल देव (303 रन) के बाद भारत के लिए सर्वाधिक रन यशपाल शर्मा (240) ने ही बनाए थे.
यशपाल शर्मा ने 42 वनडे इंटरनेशनल (1978-1985) में भारत का प्रतिनिधित्व किया और 28.48 के एवरेज से 883 रन बनाए. इस दौरान उनके बल्ले से कोई शतक तो नहीं निकला, लेकिन उनके करियर से जुड़ा दिलचस्प फैक्ट ये रहा कि वह वनडे में कभी 'शून्य' पर आउट नहीं हुए.
यशपाल शर्मा ने 1979-1983 के दौरान 37 टेस्ट मैचों में 33.45 के एवरेज से 1606 रन बनाए, जिसमें दो शतक और 9 अर्धशतक शामिल रहे. टेस्ट मैचों में उनका उच्चतम स्कोर 140 रन रहा. उनका दूसरा टेस्ट शतक बेहद खास रहा. दरअसल, उन्होंने 1982 में इंग्लैंड के खिलाफ मद्रास टेस्ट में गुंडप्पा विश्वनाथ के साथ रिकॉर्ड 316 रनों की साझेदारी (तीसरे विकेट के लिए) की थी.
विश्वनाथ (222) और यशपाल (140) ने उस टेस्ट मैच के दूसरे दिन कोई विकेट नहीं गिरने दिया था. दोनों देशों के बीच 29 वर्षों तक किसी भी विकेट के लिए यह सर्वाधिक रनों की भागीदारी रही. 2011 में इयान बेल और केविन पीटरसन ने ओवल में 350 रनों की पार्टनरशिप कर यह रिकॉर्ड तोड़ा था. 13 जुलाई 2021 को दिल का दौरा पड़ने से यशपाल शर्मा का 66 साल की उम्र में निधन हो गया.