आईपीएल के बबल से बाहर निकलकर घर पहुंचे उमरान मलिक. अब्दुल समद के बाद आईपीएल में खेलने वाले जम्मू के दूसरे खिलाड़ी थे उमरान. उमरान ने लगातार 150 किलोमीटर प्रति घंटा के ऊपर गेंदबाज़ी की और आईपीएल के 2022 के संस्करण में सनसनी बनकर उभरे. उमरान मलिक को सनराइज़र्स हैदराबाद ने नेट बॉलर के रूप में लिया था और फिर 2021 में टी. नटराजन की जगह वो कोविड रीप्लेसमेंट के रूप में टीम का हिस्सा बने. इसके बाद अब्दुल समद और उमरान मलिक ही वो 2 खिलाड़ी थे जिन्हें सनराइज़र्स हैदराबाद ने अगले सीज़न के लिये रीटेन किया.
अपने घर के बाहर प्रशंसकों के साथ खड़े उमरान मलिक. साथ में उनके पिता (काली टोपी) अब्दुल राशिद मालिक. उमरान के पिता की जम्मू में शहीदी रोड पर फल और सब्ज़ी की दुकान है. ये उनका पुश्तैनी बिज़नेस है और स्कूल के दिनों में उमरान का भी काफ़ी वक़्त उस दुकान पर बीता है. उमरान को सिर्फ़ तेज़ गेंदबाज़ी का ही नहीं बल्कि तेज़ बाइक चलाने का भी शौक था.
तवी नदी के किनारे बसा गुज्जर नगर जहां उमरान का बचपन गुज़रा. उमरान के पिता कुल 7 भाई थे और वो सबसे बड़े थे. जॉइंट फ़ैमिली में रहने वाले उमरान का परिवार बच्चों के बड़े होने पर मलिक नगर जम्मू आ गया. उमरान की 2 बड़ी बहनें हैं जिसमें एक की शादी हो चुकी है. घर के सबसे छोटे होने के चलते उमरान को सभी का ख़ूब प्यार मिला.
उमरान के पिता अब्दुल राशिद के साथ उनकी मां सीमा बेग़म. सीमा बेग़म उमरान के खाने-पीने का ख़ूब ख़याल रखती हैं और बताती हैं कि उसे सीखें बहुत पसंद है. उमरान को नॉन-वेज खाना ही पसंद है, दाल वगैरह बिल्कुल भी नहीं. उमरान की मां बताती हैं, "ये छोटा था तो इससे पापा पूछते थे कि बड़ा होके क्या बनेगा. तो ये ठीक से बोल भी नहीं पता था लेकिन कहता था कि पापा मैं इंडिया का प्लेयर बनूंगा."
उमरान मलिक के परिवार का मलिक मार्केट वाला घर. गुज्जर नगर वाले घर के आंगन में चार साल का इमरान छोटा सा बल्ला लेकर घूमा करता था और अपनी बाजी (दादी) का दोपहर का खाना दूभर कर देता था. वो चाहता था कि उसकी बाजी उसे गेंद फेंकें और वो बल्ले से पीटकर गेंद को घर के तमाम हिस्सों में पहुंचाए. उसने अपने दादा की घड़ी तोड़ दी थी. लेकिन बाजी ने उसे गेंद फेंकनी बंद नहीं की.
घर के दुआरे पर लगे पत्थर पर लिखा है 'इमरान का प्यारा घर.' घर में, आस-पड़ोस में उमरान को सभी इमरान ही बुलाते हैं. ऐसा मालूम देता है कि अंग्रेज़ी के कीबोर्ड पर अंग्रेज़ी के अक्षर I और U के अगल-बगल होने के चलते नाम भरते वक़्त इमरान का उमरान हो गया हो.
जम्मू के शहीदी चौक पर स्थित उमरान के परिवार की सब्ज़ी और फल की दुकान. घर पर इमरान से मिलने वालों का तांता लगा था इसलिये उमरान के पिता यहां नहीं हैं. फ़िलहाल दुकान उमरान के चाचा संभाल रहे हैं. 2021 में आईपीएल सीज़न निपटा के वापस आने के बाद एक बार उमरान दुकान पर बैठ गया. उसके पिता ने कहा कि अब वो वहां न बैठा करे. उमरान ने कहा कि जब मेरे पापा दुकान पर बैठ सकते हैं तो वो क्यूं नहीं.
दुकान जम्मू और कश्मीर की प्रदेश कांग्रेस कमिटी के हेडक्वार्टर के नीचे ही है. उमरान के छोटे चचेरे भाई अमान अपने बचपन के दिन याद करते हुए किस्सा सुनाते हैं, "दिन में कई बार भाई (उमरान) बिता करता था दुकान पर. मैं स्कूल से पैदल वापस आता था तो वो मुझे रोक लेते थे. दुकान पर बुलाते और बोलते 'तू स्कूल से पैदल आ रहा है. ले, सेब खा.' वो ऐसे ही मुझे दुकान पर रखा सामान खिलाते थे. बोलते थे 'अपने साथ भी ले जा, रास्ते में खा लेना'. बहुत दिलदार भाई हैं. कभी नहीं सोचा कि अपना सामान जा रहा है."
उमरान के कमरे में रखी हुई ट्रॉफ़ियां. उमरान अपना कमरा सजवा रहे हैं. उसमें उन्होंने कई तरह की लाइटें लगवाई हैं. उसे अच्छे कपड़े पहनने का भी ख़ूब शौक है. बचपन में उमरान छोटे बाल रखता था और छोटी-छोटी चीज़ें भूल जता था. इस वजह से उसने यार-दोस्त उसे आमिर खान की फ़िल्म के चलते गजनी बुलाने लगे.
जम्मू का परेड ग्राउंड जहां फ़िलहाल उमरान के कोच रणधीर सिंह मन्हास कुछ बच्चों को प्रैक्टिस करवाते हैं. 2017 में ऐसे ही एक प्रैक्टिस सेशन के दौरान 17 साल का उमरान मलिक उनके पास आया था और पूछा था कि क्या वो नेट्स में गेंद फेंक सकता था. रणधीर सिंह मन्हास कहते हैं कि मैंने तो बस उसे गेंद फेंकने की एक जगह दे दी, बाकी उमरान ख़ुद-ब-ख़ुद सीखता चला गया. मन्हास कुछ ही महीनों में रिटायर होने वाले हैं.
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