
कहते हैं जब आपसे कोई उम्मीद न हो, तब आप अपना बेस्ट करते हैं. जून 1983 का महीना सिर्फ भारतीय क्रिकेट नहीं, बल्कि पूरे भारत के लिए ऐतिहासिक है. 1975 और 1979 के विश्व कप को मिलाकर इस स्टेज पर सिर्फ 1 जीत दर्ज करने वाली भारतीय टीम ने 25 जून 1983 को विश्व कप अपने नाम किया था.
शायद जब यह टूर्नामेंट शुरू हो रहा था तब कोई अगर इस बात को सपने में भी कहता तब भी किसी को भरोसा नहीं होता. 9 जून से शुरू हुए इस टूर्नामेंट में टीम इंडिया ने पहले मैच में दमदार वेस्टइंडीज और इसके बाद जिम्बाब्वे को हराकर अच्छी शुरुआत की थी मगर अगले दो मुकाबलों में हार की वजह से 1975 और 1979 की यादें ताजा होने लगी थीं.
1983 का विश्व कप भारतीय क्रिकेट के लिए सबसे महत्वपूर्ण पड़ाव है. इस विश्व कप की जीत ने भारतीय क्रिकेट की भावी पीढ़ी को तैयार किया है. सचिन तेंदुलकर से लेकर सौरव गांगुली, राहुल द्रविड़ जैसे खिलाड़ियों के लिए क्रिकेट खेलने के लिए प्रेरित किया. वहीं, मध्यम वर्ग के परिवारों ने भी कपिल देव को अपने जैसा ही पाया.
पिछले 2 विश्व कप में भारतीय टीम का काफी निराशाजनक प्रदर्शन रहा था. 1975 में भारतीय टीम ने दो विश्व कप को मिलाकर खेले 6 मुकाबलों में सिर्फ 1 जीत ईस्ट अफ्रीका के खिलाफ दर्ज की थी. 1983 के विश्व कप में भी भारतीय टीम से किसी चमत्कार की उम्मीद नहीं थी, लेकिन टीम ने काफी अच्छी शुरुआत करते हुए वर्ल्ड चैम्पियन वेस्टइंडीज को पहले ही मैच में 34 रनों के अंतर से हरा दिया था. इस मुकाबले की रिकॉर्डिंग नहीं है. ब्रॉडकॉस्टर ने इस मैच को हल्के (भारतीय टीम) में लेते हुए इस मुकाबले को ब्रॉडकास्ट नहीं किया था.
अब इस जीत के बाद कपिल देव के मुताबिक टीम में जीत की विश्वास पैदा हुआ वर्ना इसके पहले टीम ने भी किसी भी हाल में जीत की उम्मीद नहीं की थी. कपिल खुद बताते हैं कि 1983 का विश्व कप जाने से पहले टीम सिर्फ खेल का आनंद लेने के लिए ही मैदान पर उतरी थी.
वेस्टइंडीज के खिलाफ पहली जीत के बाद टीम ने जिम्बाब्वे को भी मात दी. इन दो मुकाबलों के बाद टीम इंडिया लगातार दो मुकाबले हारी, ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ टीम को 162 रनों से बड़ी हार का सामना करना पड़ा था. चौथे मुकाबले में भी वेस्टइंडीज के खिलाफ टीम इंडिया को 66 रनों से बड़ी हार का सामना करना पड़ा.
भारत बनाम ऑस्ट्रेलिया
पहले दो मुकाबलों में जीत के बाद टीम इंडिया में आत्मविश्वास बढ़ गया था, लेकिन ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ टीम इंडिया का विश्व कप में तीसरा मुकाबला एक रियलिटी चेक की तरह से था. ऑस्ट्रेलिया ने इस मुकाबले में 60 ओवरों में 320 रन बनाए थे. उस वक्त 300 का स्कोर खड़ा करना काफी मुश्किल होता था.
ऑस्ट्रेलिया के लिए ओपनिंग बल्लेबाज ट्रेवर चैपल ने इस मुकाबले में शतकीय पारी खेली थी. इस मुकाबले में टीम इंडिया के लिए सिर्फ कपिल देव अच्छा प्रदर्शन कर पाए थे. कपिल ने इस मुकाबले में 5 विकेट झटके और बल्ले से 27 गेंदों में 40 रन बनाए थे. ऑस्ट्रेलिया के भारी भरकम स्कोर के सामने भारतीय टीम 37.5 ओवरों में ही ऑलआउट हो गई थी. भारतीय टीम सिर्फ 158 रन ही बना पाई थी.
भारत बनाम वेस्टइंडीज
टीम इंडिया अपने पहले 3 प्रैक्टिस मैच हारने के बाद मैनचेस्टर में वेस्टइंडीज के खिलाफ पहले मुकाबले में जीत दर्ज की थी. इस जीत के बाद भारतीय टीम को एकबार फिर से लीग राउंड में वेस्टइंडीज से भिड़वना था. दूसरे मुकाबले में भारतीय टीम को वेस्टइंडीज के खिलाफ भी एक बड़ी हार का सामना करना पड़ा था. वेस्टइंडीज के स्टार विव रिचर्ड्स ने तूफानी शतक लगाकर टीम इंडिया को पटखनी दी थी. वेस्टइंडीज के लिए रिचर्ड्स ने 146 गेंदों में 119 रनों की पारी खेली थी,
इस पारी की बदौलत कैरेबियन टीम ने भारतीय टीम के लिए 283 रनों का लक्ष्य सामने रखा था. इस मुकाबले में भारतीय टीम ने शुरुआत में काफी मजबूती दिखाई लेकिन दिलीप वेंगसरकर को मैल्कम मार्शल की एक बाउंसर से चोट लग गई. वेंगसरकर को जबड़े में 7 टांके लगे थे. वेंगसरकर को बीच में ही रिटायर्ड हर्ट होकर वापस जाना पड़ा जिसके बाद भारतीय टीम वेस्टइंडीज के तेज गेंदबाजों का सामना नहीं कर पाई और 216 रनों पर सिमट गई.
इन दो मुकाबलों में कपिल देव ने शानदार प्रदर्शन किया था. ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ 5 विकेट और तेजतर्रार बल्लेबाजी के साथ वेस्टइंडीज के खिलाफ भी 36 रनों की पारी खेली थी. कपिल के प्रदर्शन से साफ नजर आने लगा था कि उनका खेल इस टीम की किस्मत बदलने वाला है. बतौर खिलाड़ी कपिल देव ने जिम्बाब्वे के खिलाफ 175 रनों की पारी खेलकर भारतीय क्रिकेट की दिशा और दशा पूरी तरह से बदल दी थी.
जिम्बाब्वे के खिलाफ 17 रन पर 5 विकेट खोने के बाद कपिल देव की पारी ने टीम इंडिया के लिए विश्व कप जीतने के सपने को साकार करने के रास्ते खोले थे. उस टीम के कई खिलाड़ी आज भी विश्व कप जीत के साथ भारत में क्रिकेट को लेकर हुए बदलाव को लेकर कपिल देव की पारी को श्रेय देते हैं.
दो मुकाबलों में हार के बाद जिम्बाब्वे के खिलाफ कपिल की पारी ने टीम को आगे आने वाले मुकाबलों के लिए भी तैयार कर दिया था. जिम्बाब्वे के बाद टीम ने चेम्सफर्ड में ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ आखिरी लीग मैच में 118 रनों से हराया था.