83 Movie: कपिल देव की कप्तानी में 1983 वर्ल्ड कप की जीत ने भारत में क्रिकेट के खेल को एक नई राह प्रदान की थी. उस वर्ल्ड कप जीत के लम्हे को दोबारा याद दिलाने के लिए शुक्रवार को '83' मूवी रिलीज हो रही है. कबीर खान के निर्देशन में कपिल देव के लीड रोल में रणवीर सिंह दिखाई दे रहे हैं.
वर्ल्ड क्रिकेट के महान ऑलराउंडरों में से एक कपिल देव ने 1983 के विश्व कप में भारतीय टीम को ऐतिहासिक जीत दिलाई थी. कपिल को टीम इंडिया का पहला तेज गेंदबाज माना जाता है. गेंदबाजी में तो कपिल देव कहर बनकर टूटते ही थे, लेकिन उनकी तूफानी बैटिंग के भी क्रिकेट फैंस दीवाने थे. अभी भी कपिल देव के नाम विश्व कप जीतने वाले सबसे कम उम्र के क्रिकेट कप्तान होने का रिकॉर्ड है.
... मां से मिली प्रेरणा
चंडीगढ़ में जन्मे कपिल देव रामलाल निखंज की सबसे बड़ी प्रेरणा उनकी मां थीं, जिन्होंने अपने बेटे को अभ्यास के लिए ग्राउंड पर भेजा और उनके खान-पान का विशेष ध्यान रखा. मां को क्या पता था कि उनका प्यारा बेटा अंततः भारतीय क्रिकेट इतिहास का चेंजमेकर बनकर उभरेगा.
कपिल देव बमुश्किल 14 साल के होंगे, जब उन्होंने डीएवी स्कूल के लिए खेलना शुरू किया था. दाएं हाथ के मध्यम गति के गेंदबाज ने देश प्रेम आजाद के मार्गदर्शन में क्रिकेट की बारिकियां सीखीं. 15 साल की उम्र में कपिल देव को बॉम्बे में एक लिव-इन कोचिंग कैंप में शामिल होने के लिए आमंत्रित किया गया, जिसका संचालन भारत के पूर्व टेस्ट क्रिकेटर हेमू अधिकारी ने किया था.
आखिरकार कपिल देव की मेहनत रंग लाई, जब उन्होंने 17 साल की कच्ची उम्र में नवंबर 1975 में पंजाब के खिलाफ फर्स्ट क्लास डेब्यू किया. उस पदार्पण मुकाबले में कपिल देव ने छह विकेट चटकाकर हरियाणा को जीत दिलाने में अहम रोल अदा किया था. उस सीजन में कपिल देव ने कुल ओवरऑल 30 मुकाबलों में 121 विकेट चटकाए. इसके बाद अगले सीजन में भी अपनी घातक गेंदों से जम्मू-कश्मीर, बंगाल, सर्विसेज जैसी टीमों को नेस्तनाबूद कर दिया था.
लगातार शानदार प्रदर्शन के बाद कपिल देव को 1978 में पाकिस्तान के खिलाफ फैसलाबाद टेस्ट के जरिए टीम इंडिया के लिए पदार्पण का मौका मिला. वह डेब्यू मुकाबले में बड़ी छाप नहीं छोड़ सके, लेकिन उस श्रृंखला के तीसरे मुकाबले में दुनिया ने कपिल देव को प्रतिभाशाली ऑलराउंडर के रूप में उभरते हुए जरूर देखा.
कप्तान बनने के बाद डरे हुए थे कपिल
1982-83 में श्रीलंका के खिलाफ खेले जाने वाले मैचों के लिए सेलेक्टर्स ने चौंकाते हुए कपिल देव को भारतीय टीम का कप्तान बनाया गया. कपिल देव ने इस जिम्मेदारी को बखूबी निभाया, जिसके चलते उन्हें 1983 विश्व कप के लिए भी भारतीय टीम का कप्तान बनाए रखा गया.
कप्तानी को लेकर कपिल देव कहते हैं, 'कभी-कभी आपको कुछ चीजें समय से पहले मिल जाती हैं और बाद में आपको एहसास होता है. मैं 23-24 साल का था जब उन्होंने मुझे कप्तान बनाया था. मैं डरा हुआ था क्योंकि मैं सोच रहा था कि मैं इन सीनियर खिलाड़ियों को कैसे संभालूंगा. लेकिन मैं खुश था क्योंकि चयनकर्ताओं को लगा कि मैं कप्तान बनने के काबिल हूं.'
पूर्व कप्तान ने खुलासा किया कि अपने 'हीरो' का नेतृत्व करना थोड़ा अजीब था. कपिल देव कहते हैं, 'मुझे थोड़ा अजीब लग रहा था कि मैं कप्तान बन गया और मेरे हीरो मेरे अंडर खेल रहे थे. तो, वह बहुत कठिन समय था. मैंने केवल एक ही बात सोची थी कि मैदान पर मैं कप्तान हूं, लेकिन मैदान के बाहर वे सभी मेरे कप्तान हैं.'
भारत ने वर्ल्ड कप अभियान की शुरूआत शुरुआत करते हुए वेस्टइंडीज को 34 रनों से शिकस्त दी थी. वर्ल्ड कप के इतिहास में यह भारत की दूसरी जीत थी, वहीं वेस्टइंडीज को पहली बार विश्व कप में हार का स्वाद चखना पड़ा था. इसके बाद भारत ने जिम्बाब्वे को भी पांच विकेट से मात दी.
तीसरे मुकाबले में भारत का सामना ऑस्ट्रेलिया से हुआ. ऑस्ट्रेलियाई टीम ने शानदार प्रदर्शन करते हुए इस मुकाबले को 162 रनों से जीता था. ऑस्ट्रेलिया ने पहले बैटिंग करते हुए ट्रेवर चैपल के शतक की बदौलत 320 रन बना दिए थे. कप्तान कपिल देव ने शानदार प्रदर्शन करते हुए 43 रन देकर पांच विकेट चटकाए थे. वर्ल्ड कप में पहली बार किसी भारतीय गेंदबाज ने पांच विकेट चटकाए थे.
जवाब में ऑस्ट्रेलिया के आगे भारत ने घुटने टेक दिए और पूरी टीम 158 रनों पर ढेर हो गई. कपिल देव ने 40 रनों की पारी खेलकर भारत को शर्मनाक हार से बचा लिया. इसके बाद चौथे मुकाबले में भी भारत को् वेस्टइंडीज ने 66 रनों से हरा दिया, ऐसे में भारत को सेमीफाइनल पहुंचने के लिए जिम्बाब्वे एवं ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ अपने अगले दो मुकाबले हर हाल में जीतने थे.
डंकन फ्लेचर के ऑलराउंड प्रदर्शन की बदौलत ऑस्ट्रेलिया को हरा चुकी जिम्बाब्वे की टीम ने भारत की शुरुआत बिगाड़ दी थी. सुनील गावस्कर और के. श्रीकांत की सलामी जोड़ी बिना कोई रन बनाए पवेलियन लौट गई. विकेटों का गिरना जारी रहा. मोहिंदर अमरनाथ (5), संदीप पाटिल (1) और यशपाल शर्मा (9) ने सस्ते में विकेट गंवाए. यानी 17 रनों पर 5 विकेट खोकर भारतीय टीम मुश्किल में थी.
कपिल देव की वो अद्भुत पारी...
जिस समय भारत के विकेट गिर रहे थे, उस समय कप्तान कपिल नहाने में व्यस्त थे. इस दौरान जैसे ही विकेट गिरता कोई शख्स उनके वॉशरूम का दरवाजा खटखटा कर बताता कि विकेट लगातार गिर रहे हैं. कपिल बताते हैं कि उन्हें ठीक से याद भी नहीं कि उनके शरीर से साबुन उतारा था कि नहीं. कपिल जल्दी से निकले और खिलड़ियों से पूछा कि क्या हुआ तो साथियों ने उन्हें बताया कि खिलाड़ी मैदान पर जा रहे हैं और जल्द आउट होकर लौट रहे हैं. यही सिलसिला लगा हुआ है.
इसके बाद जो हुआ वह इतिहास बन गया था. कप्तान कपिल देव ने रोजर बिन्नी (22) के साथ 60, मदन लाल (17) के साथ 62 और सैयद किरमानी (24) के साथ 126 रनों की नाबाद साझेदारी कर 60 ओवरों की पारी में भारत को 266/8 के स्कोर पर पहुंचा दिया. कपिल देव ने 138 गेंदों में नाबाद 175 रनों की ऐतिहासिक पारी खेली. उन्होंने अपनी पारी में 16 चौके और 6 छक्के जड़े.
लेकिन कपिल देव की इस पारी का लुत्फ टनब्रिज वेल्स में नेविल मैदान में मौजूद दर्शक ही उठा सके क्योंकि बीबीसी के कर्मचारी हड़ताल पर थे, जिसके चलते इस मैच का टीवी पर प्रसारण नहीं हो पाया था. जाहिर है कपिल देव की यह ऐतिहासिक पारी सिर्फ वही लोग देख पाए, जो उस वक्त स्टेडियम में मौजूद थे. कपिल देव की पारी का नतीजा था कि भारत इस मुकाबले को 31 रनों से जीतने में सफल रहा. भारतीय टीम ने अपने आखिरी लीग मुकाबले में ऑस्ट्रेलिया को 118 रनों से हराकर सेमीफाइनल में जगह बना ली.
सेमीफाइनल मुकाबले में इंग्लैंड को पांच विकेट से रौंद भारत फाइनल में पहुंच चुका था. 25 जून को हुए फाइनल मुकाबले में वेस्टइंडीज ने टॉस जीतकर भारत को पहले बल्लेबाजी के लिए आमंत्रित किया. विंडीज के गेंदबाजों ने इस फैसले को सही साबित करते हुए भारतीय टीम को 54.4 ओवरों में सिर्फ 183 रनों पर समेट दिया. भारत की ओर से कृष्णमाचारी श्रीकांत ने सबसे ज्यादा 38 रन बनाए, जो बाद में फाइनल का सर्वाधिक व्यक्तिगत स्कोर साबित हुआ.
कपिल देव का यादगार कैच
शुरुआती झटका लगने के बाद विवियन रिचर्डस ने ताबड़तोड़ बल्लेबाजी करते हुए 33 रन बना डाले. निगाहें जमा चुके रिचर्ड्स ने मदन लाल की गेंद पर अचानक मिड विकेट की तरफ एक ऊंचा शॉट खेला. कपिल ने अपने पीछे की तरफ लंबी दौड़ लगाते हुए एक अद्धभुत कैच लपक लिया. विंडीज ने 57 के स्कोर पर तीसरा विकेट गंवाया. इस बेशकीमती विकेट के साथ भारतीय टीम का जोश दोगुना हो गया.
रिचर्ड्स का आउट होना था कि वेस्टइंडीज की पारी बिखर गई. एक समय 76 रन पर 6 विकेट गिर गए थे. आखिरकार पूरी टीम 52 ओवरों में 140 रनों पर सिमट गई. आखिरी विकेट के तौर पर माइकल होल्डिंग का विकेट गिरा और लॉर्ड्स का मैदान भारत की जीत के जश्न में डूब गया.
कपिल देव ने अपने 16 साल के टेस्ट करियर 131 मैच खेले, जिसमें उन्होंने 31.05 की औसत से 5248 रन बनाए और 434 विकेट अपने नाम किए. कपिल देव ने टेस्ट करियर में 8 शतक और 27 अर्धशतक जमाए थे. उन्होंने एक पारी में 23 बार 5 विकेट और मुकाबले में दो बार 10 विकेट भी अपने नाम किए.
इस ऑलराउंडर ने भारत की ओर से कुल 225 वनडे इंटरनेशनल खेले, जिसमें उन्होंने 95.07 के स्ट्राइक रेट और 23.79 की औसत से कुल 3783 रन बनाए थे. वनडे क्रिकेट में कपिल देव के नाम एक शतक और 14 अर्धशतक दर्ज हैं. इसके अलावा उन्होंने 27.45 की एवरेज से 253 विकेट भी अपने नाम किए थे.