टीम इंडिया के कैप्टन कूल एम एस धोनी ने टेस्ट क्रिकेट को अलविदा कह दिया है और नए कप्तान के रूप में विराट कोहली उनकी जगह लेंगे. विराट कोहली एडिलेड टेस्ट के जरिए पहले ही अपनी कप्तानी से सबको प्रभावित कर चुके हैं, लेकिन अभी उन्हें काफी कुछ सीखना है. धोनी की कप्तानी में ही टीम इंडिया पहली बार टेस्ट में बेस्ट टीम बनी. उन्होंने टीम को जहां कुछ यादगार जीत दिलाईं तो वहीं उनकी अगुवाई में टीम कुछ शर्मनाक हार भी झेलनी पड़ी. अब विराट उनकी जगह टीम की कमान संभालने जा रहे हैं. टेस्ट क्रिकेट में महेंद्र सिंह धोनी के 20 खास रिकॉर्ड
पांच ऐसी बातें जो विराट को धोनी से सीखने की जरूरत हैः
1- कूल टेम्परामेंटः धोनी को कैप्टन कूल ऐसे ही नहीं कहा जाता. मैच में कैसी भी स्थिति हो धोनी बड़े ही कूल अंदाज में रहते हैं. कितना भी प्रेशर हो धोनी के चेहरे पर शिकन नहीं आती है. जीत हो, हार हो या मैच ड्रॉ हो उनके चेहरे के हाव भाव में ज्यादा फर्क नहीं होता है. इस मामले में विराट कोहली उनसे सीखने की जरूरत है कि परिस्थिति कैसी भी हो टेम्परामेंट कूल होना चाहिए बिल्कुल हमारे कैप्टन कूल की तरह.
2- एक्सपेरिमेंट से डरे नहीं: धोनी एक ऐसे कप्तान रहे हैं, जो कभी भी एक्सपेरिमेंट करने से पीछे नहीं हटे. कई बार एक्सपेरिमेंट सफल हुए तो कई बार उसका खामियाजा भी भुगतना पड़ा लेकिन धोनी एक्सपेरिमेंट करने से पीछे नहीं हटते थे. गेंदबाजी में बदलाव हो, फील्ड प्लेसमेंट हो या बल्लेबाजी ऑर्डर में तब्दीली करनी हो धोनी कभी भी एक्सपेरिमेंट से डरे नहीं. यह क्लालिटी उन्हें बाकी कप्तानों से अलग करती है. तो विराट अगर आपको भी लंबे समय तक टीम की बागडोर संभालनी है तो एक्सपेरिमेंट से पीछे मत हटना.
3- साथी खिलाड़ियों के लिए बनें मिसालः माही के नाम से मशहूर धोनी ऑन फील्ड हों या ऑफ फील्ड साथी खिलाड़ियों का हमेशा सम्मान किया है. स्लेजिंग का जवाब धोनी ने कभी स्लेजिंग ने नहीं दिया बल्कि अपने बल्ले से दिया है. यह विराट के लिए बहुत अहम सबक होगा. धोनी खुद भी आक्रामक कप्तान रहे हैं लेकिन अति आक्रामकता से बचते रहे हैं. विराट कोहली के एटीट्यूड में अति आक्रामकता साफ दिखाई देती है. कप्तान टीम के बाकी खिलाड़ियों के लिए आइने जैसा होता है और उसका जैसा आचरण होता है साथी खिलाड़ी भी वैसा ही करते हैं. आक्रामकता बुरी बात नहीं है लेकिन विराट को अति आक्रामकता से बचना होगा, यह टीम इंडिया के लिए खतरनाक साबित हो सकती है.
4- किसी से सलाह लेने में हिचकिचाने का नहीं: धोनी की कप्तानी का यूएसपी रहा है कि वो कभी भी किसी भी खिलाड़ी से सलाह लेने में हिचकिचाए नहीं. सचिन तेंदुलकर, राहुल द्रविड़, सौरव गांगुली और अनिल कुंबले जैसे सीनियर खिलाड़ी हों या धोनी से जूनियर खिलाड़ी उन्होंने जरूरत पड़ने पर हर किसी की सलाह ली. विराट कोहली को भी सफल कप्तान बनने के लिए ऐसा करते रहना होगा.
5- टीम के लिए स्टैंड लेनाः विराट कोहली का खराब फॉर्म हो, या इंग्लैंड में जडेजा-एंडरसन विवाद जब भी खिलाड़ियों को कैप्टन कूल के सपोर्ट की जरूरत हुई धोनी ने उन्हें निराश नहीं किया. मीडिया में बात करते हुए धोनी हमेशा ध्यान रखते रहे हैं कि उन्हें क्या बोलना है और क्या नहीं. विराट को यह अहम सीख धोनी से लेनी होगी. इसके अलावा धोनी कभी हार के लिए बेवजह बहाना नहीं बनाते दिखे हैं, वो बहुत क्लीयर कट बोलते हैं. कोई गेंदबाज अगर कुछ गेंद खराब फेंक दे तो धोनी उसके पास जाकर उसका उत्साह बढ़ाते थे और यह बहुत बड़ी चीज होती है. साथी खिलाड़ियों पर धोनी ने हमेशा विश्वास किया है.
धोनी ने भी शायद इसीलिए संन्यास का फैसला लिया है क्योंकि उन्हें लगने लगा है कि विराट इस जिम्मेदारी के लिए तैयार हो चुके हैं.