आज के युवा इनके विषय में कम ही जानते होंगे लेकिन टीम इंडिया जिस क्रिकेट में आज अपना परचम पूरी दुनिया में लहरा रही है उसे इस मुकाम तक पहुंचाने में बहुत बड़ा किरदार निभाने वाले इस क्रिकेटर के योगदान को भुला पाना नामुमकिन है.
जब भी जेहन में टीम इंडिया की क्रिकेट में सबसे बड़ी जीत की बात उभरती है तो 1983 वर्ल्ड कप सामने आ जाता है. जी हां, उस यादगार जीत से ही भारतीय क्रिकेट परवान चढ़ने लगा और उस वर्ल्ड कप के सबसे बड़े हीरो बनकर उभरे थे मोहिंदर अमरनाथ. सेमीफाइनल और फाइनल दोनों में ये अमरनाथ ही थे जिनके शानदार प्रदर्शन की बदौलत कपिल देव के नेतृत्व में टीम ने अभूतपूर्व सफलता दर्ज की. इन दोनों ही मुकाबले में अमरनाथ को ‘मैन ऑफ द मैच’ चुना गया. आजादी के बाद भारत के पहले कप्तान लाला अमरनाथ के बेटे मोहिंदर अमरनाथ का आज जन्मदिन है. चलिए आज के युवा क्रिकेटरों और इस खेल के चाहने वालों को 1950 में जन्में जिमी के नाम से मशहूर इस शानदार क्रिकेटर की कुछ बेहद खास बातें बताता हूं.
दुनिया के बेहतरीन बल्लेबाजों में शुमार
अमरनाथ कितने बेहतरीन बल्लेबाज थे इसका सबूत इससे ही मिल जाता है कि पर्थ के वाका जैसी तेज पिच पर उन्होंने अपने टेस्ट करियर का पहला शतक लगाया. तब ऑस्ट्रेलियाई तेज गेंदबाज ज्यौफ
थॉमसन अपनी उफान पर थे. इसी टेस्ट की पहली पारी में उन्होंने भारत की ओर से सर्वाधिक 90 रन बनाए. वाका के मैदान सहित सिडनी, एंटिगुआ, क्वींस पार्क ओवल, गद्दाफी समेत अमरनाथ ने टेस्ट
क्रिकेट में कुल 11 शतक लगाए. उन्होंने इनमें से छह शतक दूसरी पारी में जड़े. टेस्ट क्रिकेट में अमरनाथ ने 24 अर्धशतक भी लगाए. इन अर्धशतकों में 95, 91, 90, 89, 85, 86, 80, 79, 78,
और 70 रनों की पारियां भी शामिल हैं. इसके अलावा वो 11 बार अर्धशतक बनाने से तो चूके लेकिन उनका स्कोर 40 से अधिक रहा. अमरनाथ ने 1969 में अपने टेस्ट करियर की शुरुआत करने के बाद 69 टेस्ट खेले और 42.50 की औसत से 4378 रन बनाए.
1983 का वो ऐतिहासिक वर्ल्ड कप प्रदर्शन
इंग्लैंड के खिलाफ सेमीफाइनल मुकाबले में जिमी ने डेविड गावर और माइक गेटिंग सरीखे बल्लेबाजों को आउट किया और अपने 12 ओवरों में केवल 27 रन ही बनने दिए. जब बल्लेबाजी करने उतरे तो 46 रन बनाकर जीत की मजबूत नींव रखी. टीम जीती और अमरनाथ मैन ऑफ द मैच चुने गए.
फाइनल में वेस्टइंडीज की खतरनाक बॉलिंग लाइनअप के सामने टीम इंडिया को पहले बल्लेबाजी करने उतरना पड़ा. मैल्कॉम मार्शल, माइकल होल्डिंग, जॉयल गार्नर, एंडी रॉबर्ट्स की खौफनाक गेंदबाजी के आगे पूरी भारतीय टीम केवल 54.4 ओवरों में 183 रन बनाकर आउट हो गई. इस दौरान केवल अमरनाथ ही ऐसे बल्लेबाज थे जो सबसे अधिक पिच पर टिके. वो पिच पर टिके रहे और 80 गेंद खेलकर तेज गेंदबाजी की धार को कुंद करने में लगे रहे. इस दौरान उन्होंने महत्वपूर्ण 26 रन भी बनाए.
इसके बाद 183 रन के मामूली से लगने वाले टारगेट को उन्होंने अपनी गेंद से वेस्टइंडीज के लिए नामुमकिन बना दिया. वेस्टइंडीज की टीम केवल 140 रनों पर ढेर हो गई और अमरनाथ ने तीन बल्लेबाजों को पवेलियन की राह पकड़ाई. सेमीफाइनल की ही तरह उन्होंने फाइनल में भी बहुत किफायती गेंदबाजी की. सात ओवरों में केवल 12 रन दिए और एक बार फिर मैन ऑफ द मैच चुने गए.
मार्शल, इमरान और गावस्कर बने मुरीद
अस्सी के दशक में अपनी तेज
गेंदबाजी के बूते पूरी दुनिया पर राज करने वाले पाकिस्तान के इमरान खान और
वेस्टइंडीज के मैल्कॉम मार्शल भी अमरनाथ की बल्लेबाजी कौशल के मुरीद हो गए
थे.
बात 1982-83 की है. तब अमरनाथ ने पाकिस्तान (5) और वेस्टइंडीज (6) के खिलाफ
खेले गए 11 टेस्ट मैचों में एक हजार से अधिक रन ठोक डाले. उनके समकालिक
सुनील गावस्कर ने अपनी
किताब ‘आइडल्स’ में अमरनाथ को तात्कालिक दुनिया का सर्वश्रेष्ठ बल्लेबाज
बताया. तो इमरान खान ने अपनी किताब ‘ऑल राउंड व्यू’ में अमरनाथ को 1982-83
के प्रदर्शन के आधार पर
दुनिया का बेहतरीन बल्लेबाज बताया.
‘हैंडल द बॉल’ आउट होने वाले एकमात्र भारतीय
मोहिंदर अमरनाथ को उनके हैंडल द बॉल नियम के तहत आउट होने वाले एकमात्र भारतीय क्रिकेटर के तौर पर भी याद किया जाता है. 1986 में वो ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ इस नियम के तहत आउट दिए गए थे.
क्रिकेट में ‘हैंडल द बॉल’ उन 10 नियमों में शामिल है, जिसके तहत एक बल्लेबाज आउट करार दिया जाता है. हालांकि इस नियम के तहत अब तक केवल कुम मिलाकर 9 बल्लेबाज ही आउट हुए हैं. सात टेस्ट मैच में जबकि केवल दो वनडे में और मोहिंदर अमरनाथ वनडे में इस नियम के तहत आउट दिए जाने वाले पहले बल्लेबाज हैं. इसके अलावा वो अपने करियर में ऑब्स्ट्रक्टिंग द फील्ड नियम के तहत भी आउट दिए जाने वाले बल्लेबाज हैं. वो क्रिकेट की दुनिया के एकमात्र ऐसे बल्लेबाज हैं जो इन दोनों नियमों के तहत आउट हो चुका है.
सेलेक्टर्स के साथ छत्तीस का आंकड़ा
अमरनाथ को भारतीय क्रिकेट के राजनीतिक ढांचे से लोहा लेने के लिए भी याद किया जाता है. इसकी वजह से वो अक्सर टीम से बाहर भी किए गए. बेहतरीन बल्लेबाज होने के बावजूद मोहिंदर अमरनाथ का करियर बहुत लंबा नहीं चला इसके पीछे सेलेक्टर्स के साथ उनका छत्तीस का आंकड़ा सबसे बड़ा कारण रहा. उन्होंने एक बार सेलेक्टर्स को ‘बंच ऑफ जोकर्स’
तक कह डाला था.