विराट कोहली के बडे़ प्रशंसक सर विवियन रिचर्ड्स का मानना है लोगों को भारत के टेस्ट कप्तान की मैदान पर आक्रामकता की अधिक आलोचना नहीं करनी चाहिए. क्योंकि विराट में अपने रवैये की बराबरी करने के लिए जरूरी गुण मौजूद हैं.
विराट के रवैये में मुझे कुछ गलत नहीं दिखता
रिचर्ड्स के मुताबिक, 'मुझे विराट के रवैये में कुछ भी गलत नजर नहीं आता. वह धोनी से काफी अलग है. मेरा मानना है कि अगर आप मैदान पर जज्बा और आक्रामकता दिखा रहे हो तो आपके खेल में ऐसा स्तर भी होना चाहिए जो इसकी बराबरी करे और विराट में यह गुण है. वह चीज को उसी तरह वापस कर सकता है जैसे उसे मिल रही है. मुझे ऐसे लोग पसंद हैं जो संघर्ष करने के लिए तैयार रहते हैं और विराट उनमें से एक है.' उन्होंने आगे कहा, 'विराट काफी जज्बा लेकर आता है और भारतीय क्रिकेट का भविष्य उज्जवल नजर आता है.'
कोहली की तकनीक में कोई कमी नहीं
इंग्लैंड में मूव होती गेंदों के खिलाफ विराट की विफलता और हाल में वनडे क्रिकेट में फार्म में गिरावट के बारे में पूछने पर रिचर्ड्स ने कोहली की बल्लेबाजी में किसी भी तरह की तकनीकी खामी के सुझाव को खारिज कर दिया. वेस्टइंडीज की ओर से 121 टेस्ट और 187 वनडे खेलने वाले रिचर्ड्स ने कहा, 'वह अब भी युवा है. वह सिर्फ 26 साल का है. अब भी उसका काफी प्रदर्शन बाकी है. मैंने विराट को जितना भी देखा है यह युवा लगता है जो अपने खेल में सुधार करना चाहता है. जब आप अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट खेलते हो तो कुछ समस्याएं आती हैं लेकिन आपको दो चीजों की जरूरत होती है- सकारात्मक रवैया और दृढता.'
भारतीय बल्लेबाजों की मदद करना मेरे लिए खुशी की बात
रिचर्ड्स से यह पूछे जाने पर कि अगर बीसीसीआई उनसे संपर्क करता है तो क्या वे भारतीय बल्लेबाजों की मदद करने के इच्छुक हैं? रिचर्ड्स ने कहा, 'क्यों नहीं. अगर उनका क्रिकेट बोर्ड चाहता है कि मैं मदद करूं तो मुझे युवा भारतीय बल्लेबाजों की मदद करने में काफी खुशी होगी. मेरा मानना है कि मेरे पास काफी सूचना और जानकारी है जो युवाओं के लिए फायदेमंद साबित हो सकती है. अगर बीसीसीआई चाहता है तो मैं प्रतिभावान क्रिकेटरों की मदद करना चाहूंगा.' कैरेबियाई प्रीमियर लीग से ब्रांड दूत के रूप में जुड़े रिचर्ड्स का अब भी मानना है कि जो क्रिकेटर खेल में गंभीरता से आगे बढ़ना चाहता है उसके लिए खेल का पारंपरिक प्रारूप(टेस्ट) ही सर्वोच्च है.
इनपुट: भाषा