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नहीं होगा अफगानिस्तान-AUS का टेस्ट मैच, तालिबान सरकार के इस रुख की वजह से रद्द

क्रिकेट आस्ट्रेलिया (CA) ने अफगानिस्तान पुरुष टीम के खिलाफ इस महीने के अंत में प्रस्तावित इकलौते टेस्ट मैच को स्थगित कर दिया है. ऑस्ट्रेलिया और अफगानिस्तान के बीच क्रिकेट इतिहास का यह पहला टेस्ट होता जिसे 27 नवंबर से होबार्ट के ब्लंडस्टोन एरीना में खेला जाना था. 

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Afghanistan Team
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स्टोरी हाइलाइट्स
  • ऑस्ट्रेलिया-AFG के बीच टेस्ट मैच हुआ स्थगित
  • 27 नवंबर से होबार्ट में होना था यह टेस्ट मैच

क्रिकेट आस्ट्रेलिया (CA) ने अफगानिस्तान पुरुष टीम के खिलाफ इस महीने के अंत में प्रस्तावित इकलौते टेस्ट मैच को स्थगित कर दिया है. ऑस्ट्रेलिया और अफगानिस्तान के बीच क्रिकेट इतिहास का यह पहला टेस्ट होता, जिसे 27 नवंबर से होबार्ट के ब्लंडस्टोन एरीना में खेला जाना था.

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सीए ने महिला क्रिकेट के प्रति तालिबान सरकार की विरोधी रवैए के चलते यंह फैसला लिया है. गौरतलब है कि क्रिकेट ऑस्ट्रेलिया ने सितंबर में ही धमकी दी थी कि अगर तालिबान सरकार महिलाओं और लड़कियों को गेम खेलने की अनुमति नहीं देती है, तो वह टेस्ट मैच को रद्द कर देगा. तालिबान ने बीते अगस्त महीने में अफगानी सत्ता को हथिया लिया था.

सीए ने एक बयान में कहा, 'संबंधित शेयरधारकों के साथ सलाह मशविरे के बाद उसने और अफगानिस्तान क्रिकेट बोर्ड (ACB) ने मैच को स्थगित करने और इसे बाद में खेलने पर सहमति जता दी है.

बयान में आगे कहा गया है, 'सीए अफगानिस्तान और पूरी दुनिया में महिला और पुरुषों के खेल को बढ़ावा देने के प्रति प्रतिबद्ध है. लेकिन मौजूदा अनिश्चितता को देखते हुए सीए को लगा कि इस टेस्ट मैच को बाद के लिए स्थगित करना जरूरी है. यह महज औपचारिकता थी क्योंकि सीए ने पिछले महीने कहा था कि वह ऐसा करेगा क्योंकि तालिबान ने सत्ता में काबिज होने के बाद अफगानिस्तान में महिला क्रिकेट का विरोध किया था.'

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हाल के वर्षों में अफगानिस्तान क्रिकेट टीम ने काफी तरक्की की है. लेकिन देश पर तालिबान के कब्जे बाद क्रिकेट पर इसका असर दिखाई दे रहा है. अफगान बोर्ड ने अंतर्राष्ट्रीय क्रिकेट परिषद के अन्य पूर्ण सदस्यों के समर्थन का अनुरोध किया है क्योंकि वह वर्ल्ड क्रिकेट में अपनी जगह बरकरार रखना चाहता हूं. 

संयुक्त अरब अमीरात (UAE) में टी20 विश्व कप से इतर आईसीसी की बैठक में अफगानिस्तान की स्थिति पर चर्चा होनी तय है. तालिबानी शासन में मौजूद अधिकारियों ने दावा करते हुए कहा कि वे अपनी पिछली सरकार के कठोर शासन को नहीं दोहराएंगे, जिसने अधिकांश लड़कियों की शिक्षा पर प्रतिबंध लगा दिया था और महिलाओं को बिना पुरुष अभिभावक के सार्वजनिक रूप से बाहर जाने से मना किया था. 

 

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