एक बार फिर साबित हो गया कि वर्ल्डकप विजेता बनने के लिए जिन-जिन खूबियों की जरूरत होती है वो ऑस्ट्रेलिया में कूट-कूट कर भरी हुई हैं. मेलबर्न क्रिकेट ग्राउंड पर न्यूजीलैंड को 7 विकेट से रौंदकर पांचवीं बार ऑस्ट्रलियाई टीम ने विश्व चैंपियन का ताज पहना है.
जिस टूर्नामेंट के लगभग हर दूसरे मैच में 300 का स्कोर बना हो, उसी टूर्नामेंट के फाइनल मुकाबले में न्यूजीलैंड ने सिर्फ 184 का टारगेट दिया. यानी कंगारू टीम के लिए पांचवीं बार खिताब जीतने का सपना सच होने की दहलीज पर था. इससे पहले 4 बार ऑस्ट्रेलिया वर्ल्ड चैंपियन बनी थी लेकिन अपने घर पर अपने दर्शकों के सामने विश्वविजेता बनने का सपना लिए वो पहली बार फाइनल खेलने उतरी थी.
छोटा टारगेट, खराब शुरुआत
डेविड वॉर्नर और एरॉन फिंच इस बड़ी जीत में अपना बड़ा योगदान देने के मकसद से मैदान में उतरे लेकिन न्यूजीलैंड की पेस बैट्री को हल्के में लेने का खामियाजा उन्हें जल्द ही उठाना पड़ा. वॉर्नर और फिंच ने शुरुआत संभलकर की. पहले ओवर में सिर्फ एक रन बना और दूसरा ओवर ऑस्ट्रेलिया के लिए झटका लेकर आया. ट्रेंट बोल्ट की चौथी गेंद इनस्विंगर थी जिसे फिंच ने सीधे बल्ले से खेला, हालांकि वो इस गेंद को लेग साइड में खेलना चाहते थे लेकिन उनका बल्ला उनके हाथ में ही घूम गया और गेंद सीधा बोल्ट के हाथों में समा गई. फिंच खाता भी नहीं खोल पाए. इस विकेट के साथ ही बोल्ट ने इस वर्ल्डकप में सबसे ज्यादा विकेट लेने के मामले में ऑस्ट्रेलिया के मिचेल स्टार्क की बराबरी कर ली.
वॉर्नर-स्मिथ ने रखी जीत की नींव
डेविड वॉर्नर अभी क्रीज पर थे और उनके साथ थे इन-फॉर्म स्टीवन स्मिथ. दोनों ने मिलकर न्यूजीलैंड के गेंदबाजों से निपटना शुरू किया. करीब 6 की औसत से रन बनाते हुए दोनों ने ऑस्ट्रेलिया को 10वें ओवर में 50 के पार पहुंचा दिया. जल्द ही दोनों की पार्टरशिप के 50 रन भी पूरे हो गए. न्यूजीलैंड के तेज गेंदबाज बीच-बीच में अच्छी गेंदें भी डाल रहे थे लेकिन बोर्ड पर स्कोर भी लगातार चल रहा था. आखिरकार 13वें ओवर में जाकर न्यूजीलैंड को सफलता मिली. वॉर्नर 46 गेंदों पर 7 चौकों की मदद से 45 रन बनाकर मैट हेनरी का शिकार बन गए. हेनरी की उठती हुई गेंद को पुल करने की कोशिश में वॉर्नर डीप स्क्वायर बाउंड्री पर खड़े इलियट को कैच थमा बैठे. इलियट ने इस लो कैच को दौड़ते हुए पकड़ा. 63 के कुल स्कोर पर ऑस्ट्रेलिया को लगा ये दूसरा झटका था.
कप्तान की फेयरवेल पारी
माइकल क्लार्क ने अपने करियर में कई बड़ी पारियां खेलीं लेकिन जो पारी वो आज खेलने जा रहे थे उसका मौका उन्हें दोबारा नहीं मिलने वाला था. क्लार्क का ये आखिरी वन-डे थे जिसे वो वर्ल्ड कप ट्रॉफी के साथ खत्म करना चाहते थे और इसलिए उन्होंने बल्लेबाजी भी वैसी ही की. भविष्य के कप्तान स्टीवन स्मिथ दूसरे छोर पर थे जिनके साथ मिलकर उन्होंने स्कोर को आगे बढ़ाना शुरू किया. इस वर्ल्ड कप में माइकल क्लार्क की फॉर्म पर कई बार सवाल उठे लेकिन इस पारी में वो जवाब देने आए थे. गेंद उनके बल्ले के बीचों-बीच आ रही थी और क्लार्क की बल्लेबाजी ऐसी थी जैसे कोई युवा खिलाड़ी अपने करियर की शुरूआत में बल्लेबाजी कर रहा हो. स्मिथ और क्लार्क ने मिलकर 21वें ओवर में ऑस्ट्रेलिया का स्कोर 100 के पार पहुंचा दिया. जल्द ही दोनों की पार्टनरशिप के 50 रन सिर्फ 64 गेंदों में पूरे हो गए. पारी के 27वें ओवर में क्लार्क ने 56 गेंदों पर 5 चौकों और 1 छक्के की मदद से अपनी हाफ सेंचुरी भी पूरी कर ली.
स्मिथ की एक और स्पेशल पारी
वर्ल्ड कप 2015 में स्टीवन स्मिथ ने अपने बल्ले से ऑस्ट्रेलिया को कई बार जीत दिलाई. फाइनल के लिए भी उन्होंने एक स्पेशल पारी बचाकर रखी थी. पहले डेविड वॉर्नर और फिर माइकल क्लार्क के साथ मिलकर उन्होंने अपनी टीम को जीत की मंजिल तक पहुंचाने के लिए जान लड़ा दी. खूंटा गाड़कर बल्लेबाजी करना किसे कहते हैं, दबाव में बल्लेबाजी करना किसे कहते हैं, एक बड़ी टीम की बल्लेबाजी का आधार बनना किसे कहते हैं, स्टीवन स्मिथ की ये पारी इन सब सवालों का जवाब थी.
अलविदा क्लार्क
माइकल क्लार्क की ऐसी फॉर्म किसी ने लंबे समय से नहीं देखी थी लेकिन चैंपियन उसी को कहते हैं जो वक्त पर ऐसा खेल दिखाए कि लोग दातों तले उंगलियां दबा लें. 29वें ओवर में ऑस्ट्रेलिया के 150 रन पूरे हो चुके थे. इसके बाद तो जैसे क्लार्क ने अपने बल्ले से तूफान ला दिया. टिम साउदी के 31वें ओवर में पहली 4 गेंदों पर क्लार्क ने 4 चौके जड़े तो पूरी स्टेडियम झूम उठा. जीत से सिर्फ 9 रन पहले 32वें ओवर में क्लार्क की इस बेमिसाल पारी का अंत हेनरी ने किया. क्लार्क ने 72 गेंदों पर 10 चौकों और 1 छक्के की मदद से 74 रन बनाए. उनकी आखिरी पारी में उनका स्ट्राइक रेट 102.77 का रहा. क्लार्क जब पेवेलियन लौट रहे थे तो मैदान में मौजूद हर शख्स खड़ा होकर तालियां बजा रहा था. क्लार्क बल्ला उठाकर सबका अभिवादन कर रहे थे. उनकी आंखों में आंसू भी थे क्योंकि ये आखिरी बार था जब चैंपियन क्लार्क ऑस्ट्रेलिया के लिए मैदान पर उतरे थे.
पांचवी बार वर्ल्ड चैंपियन बना ऑस्ट्रेलिया
स्मिथ के साथ शेन वॉटसन क्रीज पर थे. जीत तय थी ही. स्मिथ ने 32वें ओवर की आखिरी गेंद पर इस वर्ल्डकप में अपनी पांचवीं हाफ सेंचुरी पूरी कर ली. ऑस्ट्रेलियाई खेमा खिताब के लिए बेताब हो चला था. आखिरकार जीत आई 34वें ओवर की पहली गेंद पर. हेनरी की गेंद को स्मिथ ने 4 रन के लिए पुल किया और पूरा स्टेडियम जीत के जोश में चिल्ला उठा. ऑस्ट्रेलियाई ड्रेसिंग रूम का हर खिलाड़ी पलक झपकते ही मैदान पर था. इस स्पेशल जीत में जिस स्पेशल खिलाड़ी का हाथ रहा वो थे स्टीवन स्मिथ. स्मिथ 71 गेंदों पर 56 रन बनाकर नाबाद रहे. इस वर्ल्ड कप को जिन बहुत सारी बातों के लिए याद किया जाएगा उनमें से एक स्टीवन स्मिथ भी होंगे. ऑस्ट्रेलियाई टीम अपने कप्तान को एक बड़ी जीत, एक वर्ल्डकप और एक ऐसी याद देने में कामयाब हुआ जिसकी कल्पना दुनिया का हर कप्तान करता है.
44 दिन और 49 मैचों का सफर जब अपने आखिरी पड़ाव पर पहुंचा तो ये तय था कि या तो इतिहास दोहराया जाएगा या फिर नया इतिहास रचा जाएगा. मेलबर्न क्रिकेट ग्राउंड पर करीब 1 लाख लोग इसी ऐतिहासिक लम्हे का गवाह बनने पहुंचे थे. वर्ल्डकप के तमाम रिकॉर्ड ऑस्ट्रेलिया के खाते में जमा थे, इसलिए उनके खेमे में जोश भरपूर था लेकिन इस वर्ल्डकप में न्यूजीलैंड की दमदार फॉर्म, एक भी मैच ना हारने का सिलसिला और लीग राउंड में ऑस्ट्रेलिया को पटखनी देने का कारनामा उन्हें भी एक मजबूत विरोधी के तौर पर पेश कर रहा था. रनों से भरी मेलबर्न की पिच पर टॉस अहम था. किस्मत का साथ न्यूजीलैंड को मिला और ब्रैंडन मैक्कलम ने झट से बल्लेबाजी चुन ली. अपने वन-डे करियर का आखिरी मैच खेल रहे क्लार्क भी चाहते तो बल्लेबाजी करना ही थे लेकिन टॉस हारे थे इसलिए उन्हें गेंदबाजी में ही पहले दम दिखाना था. सेमीफाइनल के दबाव भरे मैच में शानदार प्रदर्शन करने वाले 11 खिलाड़ियों पर ही दोनों टीमों ने भरोसा जताया और टीम में बिना किसी बदलाव के खिताब की फाइनल जंग में उतर पड़े. न्यूजीलैंड के ओपनर ब्रैंडन मैक्कलम और मार्टिन गप्टिल अपने करियर की सबसे बड़ी पारी खेलने मैदान में उतरे.
न्यूजीलैंड को झटके पर झटका
मैक्कलम और गप्टिल पूरे टूर्नामेंट में न्यूजीलैंड को शानदार शुरुआत देते आए थे. एकबार फिर से उन्हें यही करना था लेकिन फाइनल का दबाव इस जोड़ी पर भारी पड़ गया. कप्तान मैकलम ने पारी के पहले ही ओवर में ऐसी गलती की जो उन्हें शायद जीवनभर भुलाए ना भूलेगी. मिचेल स्टार्क के ओवर की पांचवीं गेंद एकदम सीधी थी, मैकलम को उसे सीधे बल्ले से खेलना था लेकिन इससे पहले कि उनका बल्ला नीचे आता गेंद ऑफ स्टंप लेकर उड़ चुकी थी. मैदान में मौजूद दर्शक अपनी सीटों से खड़े होकर स्टार्क के लिए तालियां बजा रहा था और ब्रैंडन मैकलम खामोशी से बिना कोई रन बनाए पेवेलियन की तरफ लौट रहे थे. न्यूजीलैंड ने 1 रन पर 1 विकेट खो दिया था. केन विलियम्सन क्रीज पर आए तो उनपर एक बड़ी जिम्मेदारी थी. मार्टिन गप्टिल के साथ मिलकर उन्होंने धीरे-धीरे न्यूजीलैंड की पारी को आगे बढ़ाने का सिलसिला शुरू किया. स्टार्क, हेजलवुड और जॉनसन की ऑस्ट्रेलियाई पेस बैट्री ने कहर बरपाना शुरू कर दिया. जितनी गेंदों पर रन बन रहे थे उससे ज्यादा गेंदों पर न्यूजीलैंड के बल्लेबाज बीट हो रहे थे. अगले 10 ओवर तक विलियम्सन और गप्टिल ने बेहद धीमी बल्लेबाजी की.
इस दौरान न्यूज़ीलैंड का औसत सिर्फ 3 रन प्रति ओवर था. 12वें ओवर में क्लार्क ने गेंदबाजी में अचानक बदलाव किया और ग्लेन मैक्सवेल को गेंद थमा दी. मैक्सवेल ने अपनी दूसरी ही गेंद पर वो कर दिखाया जिसकी किसी ने कल्पना भी नहीं की थी. एक शॉर्ट ऑफ लेंथ ऑफब्रेक गेंद को पंच करने के लिए गप्टिल थोड़ा पीछे हुए लेकिन गेंद उतनी स्पिन नहीं हुई जितनी उम्मीद थी. जबतक गप्टिल का बल्ला गेंद तक पहुंचता गेंद उनके ऑफस्टंप की गिल्लियां बिखेर चुकी थी. 34 गेंदों पर सिर्फ 15 रन बनाकर इस टूर्नामेंट में न्यूजीलैंड के सबसे बड़े स्टार मार्टिन गप्टिल की विदाई हुई. विलियम्सन के साथ मिलकर उन्होंने 10.3 ओवर में सर्फ 32 रन जोड़े. 11.2 ओवर में न्यूजीलैंड का स्कोर 33 रन पर 2 विकेट था. अगले ओवर में विलियम्सन भी चलते बने. जॉनसन की एक लेंथ गेंद को सीधे पुश करने की कोशिश में वो जॉनसन को ही कैच थमा बैठे. विलियम्सन ने 33 गेंदों पर 12 रन बनाए. पारी के 50 रन भी पूरे नहीं हुए थे और न्यूज़ीलैंड के तीन अहम बल्लेबाजी पेवेलियन लौट चुके थे.
इलियट-टेलर ने संभाली पारी
सेमीफाइनल मैच में दक्षिण अफ्रीका के खिलाफ मैचजिताऊ पारी खेलने वाले ग्रांट इलियट और स्टार बल्लेबाज रॉस टेलर पर अब सारी जिम्मेदारी आ पड़ी. दोनों पर ना सिर्फ विकेट बचाने का दबाव था बल्कि अपनी टीम को एक ऐसे स्कोर तक भी पहुंचाना था जहां से न्यूजीलैंड इस मुकाबले को जीतने के बारे में सोच सके. दोनों ने मिलकर पहले तो पारी को जमाया और फिर तेजी से रन बनाने भी शुरू कर दिए. हालांकि 20वें ओवर में न्यूजीलैंड को एक और झटका लग सकता था लेकिन रिव्यू ने उन्हें बचा लिया. मैक्सवेल की गेंद पर अंपायर धर्मसेना ने इलियट को एलबीडब्ल्यू करार दिया लेकिन टेलर के कहने पर इलियट ने इसके खिलाफ रिव्यू ले लिया. रीप्ले से साफ था कि गेंद लेगस्टंप से बाहर जा रही थी. अंपायर को फैसला बदलना पड़ा. इसके बाद करीब 5 की औसत से खेले हुए इलियट और टेलर ने न्यूजीलैंड को 27वें ओवर में 100 के पार पहुंचा दिया. इसके बाद जमकर बल्लेबाजी कर रहे इलियट ने 51 गेंदों पर 3 चौकों और एक छक्के की बदौलत अपनी हाफ सेंचुरी भी पूरी कर ली. जिस साझेदारी की जरूरत न्यूजीलैंड को थी वो जम चुकी थी. 128 गेंदों पर दोनों ने 100 रन जोड़ डाले. 35वें ओवर तक न्यूजीलैंड का स्कोर 150 पर पहुंच चुका था.
गए टेलर, उधड़ गई न्यूजीलैंड की पारी
72 गेंदों पर 40 रन बनाने के बाद टेलर का धैर्य जवाब दे गया. 36वें ओवर की पहली ही गेंद पर फॉकनर ने टेलर को फंसा लिया. उनकी स्लो लेगकर्टर को ड्राइव करने की कोशिश में टेलर विकेटकीपर हेडिन के हाथों धर लिए गए. हेडिन ने एक हाथ से डाइव लगाते हुए शानदार कैच पकड़ा. अंपायर को इस फैसले के लिए टीवी रीप्ले का सहारा लेना पड़ा. सेमीफाइनल के दूसरे हीरो कोरी एंडरसन अब क्रीज पर थे. एक बार फिर हर कोई उनकी और इलियट की एक बेहतरीन साझेदारी की उम्मीद कर रहा था लेकिन फॉकनर ने एक गेंद बाद ही सारी उम्मीदें तोड़ कर रख दीं. फॉकनर की फुल लेंथ बॉल पर एंडरसन का स्लो रिएक्शन उन्हें ले डूबा. गेंद उनके पैड से लगती हुई स्टंप्स में समा गई. एंडरसन खाता तक नहीं खोल पाए. अगले ओवर में मिचेल स्टार्क ने न्यूजीलैंड के विकेटकीपर बल्लेबाज ल्यूक रॉन्की का शिकार किया. क्लार्क ने शानदार कप्तानी करते हुए स्टार्क के लिए स्लिप रखी, जिसका ईनाम उन्हें रॉन्की के कैच के रूप में मिला. स्टार्क की गेंद पर रॉन्की ने बल्ला अड़ाया और गेंद बल्ले का बाहर किनारा लेती हुई सीधे क्लार्क के पास पहुंच गई. फाइनल मैच में खाता ना खोल पाने वाले रॉन्की न्यूज़ीलैंड के तीसरे बल्लेबाज बने. 35 से 40 ओवर के बीच पावरप्ले में न्यूज़ीलैंड ने सिर्फ 15 रन बनाए और 3 विकेट गंवाए. 151 पर 6 विकेट खोकर कीवी टीम बैकफुट पर थी.
ऑस्ट्रेलिया ने कसा फंदा
पावरप्ले के बाद ऑस्ट्रेलिया ने पहले ही ओवर में न्यूजीलैंड को फिर से झटका दे दिया. 41वें ओवर में जॉन्सन की जबरदस्त यॉर्कर का जवाब डेनियल विटोरी के पास नहीं था. गेंद उनके पैड से लगती हुई स्टंप्स में जा घुसी . अपने वन-डे करियर की आखिरी पारी में विटोरी ने 21 गेंदों पर 9 रन बनाए. अगले ओवर में जमकर खेल रहे ग्रांट इलियट भी गलती कर गए. फॉकनर की स्लोअर गेंद को लेग साइड पर उड़ाकर खेलने में वो जल्दबाजी कर गए और गेंद उनके बल्ले का किनारा लेकर विकेटकीपर हेडिन के पास चली गई. इलियट ने 82 गेंदों पर 83 रन की शानदार पारी खेली जिसमें 7 चौके और 1 छक्का शामिल थे.
200 बनना हुआ मुहाल
न्यूज़ीलैंड के गेंदबाज अब बल्लेबाजी कर रहे थे और रन बनने मुश्किल ही नहीं बहुत मुश्किल हो गए थे. 45वें ओवर में मैट हेनरी बिना खाता खोले जॉनसन का शिकार बन गए, उन्हें कवर प्वाइंट पर स्टार्क ने लपका. न्यूजीलैंड के लिए 200 का स्कोर अब दूर की कौड़ी लगने लगा. जॉनसन के इसी ओवर की आखिरी गेंद को बोल्ट ने शॉर्टलेग पर खेला, जहां खड़े मैक्सवेल ने फुर्ती दिखाते हुए उसे नॉनस्ट्राइकर एंड पर सीधे विकेट में दे मारा. टिम साउदी गेंद से पहले क्रीज में नहीं लौट पाए और इसी के साथ न्यूज़ीलैंड की पारी का अंत 183 रन पर हो गया. विश्वविजेता बनने के लिए कंगारू टीम को 184 रन बनाने थे. ऑस्ट्रेलिया की जमीन पर वर्ल्डकप फाइनल जैसे मुकाबले में उसे दिया गया ये टारगेट बेहद मामूली था, जिसे बचाने के लिए न्यूजीलैंड के गेंदबाजों को जमीन-आसमान एक करने की ज़रूरत थी, जो वो कर नहीं पाए.