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नहीं रहे 'कंजूस' गेंदबाज बापू नादकर्णी, 131 गेंदों में नहीं दिया एक भी रन

बापू नादकर्णी टेस्ट क्रिकेट के इतिहास में एक ऐसा नाम है, जो अद्भुत रिकॉर्ड रखते हैं. उन्हें सबसे कंजूस गेंदबाज के तौर पर हमेशा याद किया जाएगा.

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Bapu Nadkarni
Bapu Nadkarni

  • बापू का टेस्ट क्रिकेट में अद्भुत रिकॉर्ड
  • 56 साल पहले की थी करामाती गेंदबाजी

बापू नादकर्णी टेस्ट क्रिकेट के इतिहास में एक ऐसा नाम है, जो अद्भुत रिकॉर्ड रखते हैं. उन्हें सबसे कंजूस गेंदबाज के तौर पर हमेशा याद किया जाएगा. वह टेस्ट में लगातार 131 गेंदों में एक भी रन नहीं देने का कीर्तिमान रखते है. बापू नादकर्णी ने 56 साल पहले 12 जनवरी को यह कारनामा किया था. बापू नाडकर्णी का शुक्रवार को निधन हो गया. वह 86 साल के थे. बापू नादकर्णी के परिवार में पत्नी और दो बेटियां हैं. नाडकर्णी के दामाद विजय खरे ने पीटीआई से कहा, ‘उनका उम्र संबंधी परेशानियों के कारण निधन हुआ.’

बापू ने अंग्रेजों को रन के लिए तरसाया था

बापू ने अपनी लेफ्ट आर्म स्पिन गेंदबाजी की बदौलत 1964 में मद्रास के नेहरू स्टेडियम में अंग्रेजों को रन के लिए तरसाया था. यहां खेले गए टेस्ट मैच के दौरान उन्होंने एक के बाद एक 131 गेंदें फेंकीं, जिन पर एक भी रन नहीं बना. उस पारी में उन्होंने कुल 32 ओवरों में 27 मेडन फेंके, जिनमें लगातार 21 मेडन ओवर थे. और 5 रन ही दिए. उनका गेंदबाजी विश्लेषण रहा- 32-27-5-0.

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मद्रास टेस्ट: बापू नादकर्णी के चार स्पेल

पहला स्पेल: 3-3-0-0

दूसरा स्पेल: 7-5-2-0

तीसरा स्पेल: 19-18-1-0

चौथा स्पेल: 3-1-2-0

उनकी हैरान कर देने वाली खासियत

वे नेट्स पर सिक्का रखकर गेंदबाजी करते थे. उनकी बाएं हाथ की फिरकी इतनी सधी थी कि गेंद वहीं पर गिरती थी. टेस्ट करियर में बापू की 1.67 रन प्रति ओवर की इकोनॉमी रही. बापू 41 टेस्ट खेले, 9165 गेंदों में 2559 रन दिए और 88 विकेट झटके.

बैट्समैन ओर फील्डर भी गजब के

क्रिकेट के हर डिपार्टमेंट में माहिर बापू न सिर्फ अपने स्पिन से बल्लेबाजों का बांधा, बल्कि उनकी बल्लेबाजी भी गजब की थी. वे एक हिम्मती फील्डर भी थे, जो फील्ड पर बल्लेबाज के सामने खड़े होते थे. बापू ने इंग्लैंड के खिलाफ 1963-64 सीरीज में कानपुर में नाबाद 122 रनों की पारी खेलकर भारत को हार से बचाया था.

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