टीम इंडिया का 36 साल बाद इंग्लैंड की धरती पर दूसरी बार खिताब जीतने का सपना न्यूजीलैंड के हाथों सेमीफाइनल में हार के साथ खत्म हो गया. वर्ल्ड कप में टीम इंडिया के निराशाजनक अंत के 8 दिन के बाद ही बीसीसीआई ने पूरा कोचिंग स्टाफ बदलने के लिए वैकेंसी निकाल दी है. अब उम्मीद है कि भारतीय क्रिकेट टीम को जल्द ही मुख्य कोच के साथ नया कोचिंग स्टॉफ भी मिल जाएगा.
हेड कोच रवि शास्त्री और कप्तान विराट कोहली की जुगलबंदी भी भारतीय टीम को वर्ल्ड चैम्पियन बनाने में नाकाम रही. इस नाकामी के बाद अब भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड (बीसीसीआई) ने नया कोचिंग स्टाफ बनाने का फैसला लिया है. वर्तमान कोच रवि शास्त्री जुलाई 2017 में टीम के मुख्य कोच चुने गए थे. टीम इंडिया को अब अगले महीने वेस्टइंडीज दौरा (3 अगस्त से 3 सितंबर) करना है, वहां के बाद दक्षिण अफ्रीका की टीम भारत आएगी, ऐसे में इस अहम सीरीज के लिए टीम के पास मुख्य कोच का पद बेहद जरुरी हो जाता है.
29 साल, 15 कोच, 4 विदेशी
1990 से बात करें तो बीसीसीआई ने टीम इंडिया के लिए अब तक 15 कोच चुने हैं जिनमें 4 कोच विदेशी थे. भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड (बीसीसीआई) एक बार फिर टीम इंडिया के नए कोच की तलाश में है. सन 2000 के बाद से 7 पूर्व क्रिकेटर 8 बार टीम इंडिया के कोच बने जिसमें 4 विदेशी और 3 भारतीय शामिल हैं. वर्तमान कोच रवि शास्त्री पिछले 19 साल के इतिहास में 2 बार कोच बनाए गए.
मैच फिक्सिंग का जिन्न सामने आने के बाद बीसीसीआई ने सन 2000 में पहली बार किसी विदेशी क्रिकेटर को मुख्य कोच के रूप में चुना. 2000 से 2015 तक लगातार 4 विदेशी क्रिकेटर भारतीय टीम के मुख्य कोच रहे थे. न्यूजीलैंड के जॉन राइट 2000 में टीम इंडिया के पहले विदेशी कोच नियुक्त किए गए थे. तब से लेकर अब तक टीम के साथ 8 कोच बनाए जा चुके हैं.
जॉन राइट के हेड कोच बनाए जाने से पहले बीसीसीआई टीम के लिए मैनेजर की नियुक्ति करता था जिसका काम कोचिंग के अलावा घरेलू और विदेशी दौरों के दौरान टीम का प्रबंधन भी देखना होता था.
बीसीसीआई कोचिंग स्टॉफ में नए सिरे बदलाव करने की मुहिम में जुट गई है. देसी-विदेशी कोचों की कामयाबी पर चर्चा करने से पहले एक नजर डालते हैं 2000 के बाद से टीम इंडिया की कोचिंग जिम्मेदारी संभालने वाले कोच के प्रदर्शन पर.
अब तक के कोच
जॉन राइट (2000-2005): न्यूजीलैंड के पूर्व कप्तान जॉन राइट सन 2000 में टीम इंडिया के कोच बने और वह इस पद पर सबसे ज्यादा समय (5 साल) रहने वाले वाले एकमात्र कोच हैं. मैच फिक्सिंग के दंश से भारतीय टीम निकलने की कोशिश कर रही थी, लेकिन इस बीच टीम की कमान सौरव गांगुली को सौंपी गई. नए कप्तान ने नए कोच के साथ गजब की जुगलबंदी की और न सिर्फ टीम को एकजुट किया बल्कि देश-विदेश में कई बड़ी जीत दिलाने में अहम निभाई.
राइट की कोचिंग में टीम इंडिया का प्रदर्शन
टेस्ट | जीत | हार | ड्रॉ |
51 | 20 | 14 | 16 |
वनडे | जीत | हार | रद्द/टाई |
159 | 67 | 55 | 7/0 |
ग्रेग चैपल (2005-07): जॉन राइट के बाद टीम इंडिया को ग्रेग चैपल के रूप में एक और विदेशी कोच मिला. वह 2005 से 2007 के बीच कोच रहे. हालांकि इनका कार्यकाल बेहद विवादित रहा. चैपल के साथ विवाद के कारण सौरव गांगुली को टीम से बाहर होना पड़ा. पाकिस्तान में भारत ने टेस्ट सीरीज गंवाई. हालांकि दक्षिण अफ्रीका में भारत को पहली बार टेस्ट मैच में जीत मिली, लेकिन राहुल द्रविड़ की अगुवाई में 2007 के वर्ल्ड कप में पहले ही दौर में टीम का बाहर होना बेहद दुखद रहा. इस करारी शिकस्त के कारण चैपल का कार्यकाल नहीं बढ़ाया गया.
चैपल की कोचिंग में टीम इंडिया का प्रदर्शन
टेस्ट | जीत | हार | ड्रॉ |
20 | 8 | 4 | 8 |
वनडे | जीत | हार | रद्द/टाई |
67 | 32 | 27 | 7/1 |
टी-20 | जीत | हार | रद्द |
1 | 1 | 0 | 0 |
गैरी कर्स्टन (2007-11): दक्षिण अफ्रीका के पूर्व क्रिकेटर गैरी कर्स्टन को ग्रेग चैपल की जगह टीम इंडिया का मुख्य कोच बनाया गया. महेंद्र सिंह धोनी के साथ उनकी जोड़ी बेहद कामयाब रही और दोनों की ही शानदार रणनीति की बदौलत भारत 1983 के बाद 2011 में दूसरी बार वर्ल्ड चैम्पियन बनने में कामयाब हआ. टीम इंडिया को वर्ल्ड चैम्पियन बनाने के बाद जब बतौर कोच उनका करियर बुलंदी पर था तो उन्होंने बीसीसीआई के साथ अपने करार को आगे बढ़ाने से मना कर दिया. साथ ही उन्होंने दक्षिण अफ्रीका और श्रीलंका में टेस्ट सीरीज को बराबरी पर खत्म किया.
कर्स्टन की कोचिंग में टीम इंडिया का प्रदर्शन
टेस्ट | जीत | हार | ड्रॉ |
34 | 16 | 6 | 11 |
वनडे | जीत | हार | रद्द/टाई |
95 | 57 | 29 | 7/1 |
टी-20 | जीत | हार | रद्द |
13 | 7 | 6 | 0 |
डंकन फ्लेचर (2011-15): गैरी कर्स्टन की कामयाबी के बाद बीसीसीआई ने फिर से विदेशी कोच पर भरोसा जताया और बुजुर्ग कोच डंकन फ्लेचर को मुख्य कोच बनाया. जिम्बाब्वे की ओर से टेस्ट और वनडे खेलने वाले डंकन फ्लेचर (2011 से 2015) के कोचिंग कार्यकाल में टीम इंडिया 2015 के वर्ल्ड कप के सेमीफाइनल तक पहुंचने में कामयाब रही थी. फ्लेचर के कार्यकाल के दौरान महेंद्र सिंह धोनी क्रिकेट की तीनों विधाओं (टेस्ट, वनडे और टी-20) में टीम के कप्तान थे. टेस्ट में टीम का प्रदर्शन बेहद खराब रहा.
फ्लेचर की कोचिंग में टीम इंडिया का प्रदर्शन
टेस्ट | जीत | हार | ड्रॉ |
39 | 13 | 17 | 9 |
वनडे | जीत | हार | रद्द/टाई |
96 | 54 | 33 | 8/1 |
टी-20 | जीत | हार | रद्द |
25 | 15 | 9 | 1 |
रवि शास्त्री (2014-16): डंकन फ्लेचर के बेहद खराब कार्यकाल के बाद बीसीसीआई का विदेशी कोच के रूप में मोहभंग हो गया और रवि शास्त्री को टीम का डायरेक्टर बनाया गया. वह 2014 से 2016 तक टीम डायरेक्टर के रूप में रहे. टीम डायरेक्टर और कोच के रूप में रवि शास्त्री के कार्यकाल में ही महेंद्र सिंह धोनी ने टेस्ट से संन्यास लिया और विराट कोहली टेस्ट टीम जबकि धोनी वनडे और टी-20 टीम के कप्तान थे. उनके इस कार्यकाल में भारत ने श्रीलंका में और घर में दक्षिण अफ्रीका के खिलाफ टेस्ट सीरीज जीता था. एशिया कप टी-20 में जीत के बाद टी-20 वर्ल्ड कप के सेमीफाइनल में भी टीम इंडिया पहुंची. साथ ही टी-20 क्रिकेट में ऑस्ट्रेलिया को उसके ही घर में पहली बार हराया.
शास्त्री की कोचिंग में टीम इंडिया का प्रदर्शन
टेस्ट | जीत | हार | ड्रॉ |
14 | 5 | 5 | 4 |
वनडे | जीत | हार | रद्द/टाई |
41 | 24 | 15 | 2 |
टी-20 | जीत | हार | रद्द |
22 | 14 | 7 | 1 |
संजय बांगड़ (2016): रवि शास्त्री के पहले कार्यकाल के बाद संजय बांगड़ ने 2016 में टीम इंडिया के अंतरिम कोच के रूप में काम किया. टीम इंडिया के जिम्बाब्वे दौरे पर उन्होंने बतौर अंतरिम कोच के रूप में काम किया. बांगड़ इस समय भारतीय क्रिकेट टीम के बल्लेबाजी कोच हैं.
बांगड़ की कोचिंग में टीम इंडिया का प्रदर्शन
वनडे | जीत | हार | रद्द/टाई |
3 | 3 | 0 | 0 |
टी-20 | जीत | हार | रद्द |
3 | 2 | 1 | 0 |
अनिल कुंबले (2016-17): महान लेग स्पिनर और पूर्व कप्तान अनिल कुंबले 2016 में टीम इंडिया के कोच बने, लेकिन उनकी नियुक्ति बेहद चौंकाने वाली थी क्योंकि रवि शास्त्री भी इस रेस में थे और वह उनसे बाजी मार ले गए. क्रिकेट एडवाइजरी कमिटी (सीएसी) ने कुंबले को मुख्य कोच के रूप में चुना और 1 साल के करार का प्रस्ताव दिया. इस दौरान टीम इंडिया ने लाजवाब खेल दिखाया और वेस्टइंडीज में टेस्ट सीरीज जीती. कुंबले के कार्यकाल में टीम इंडिया ने 13 में से महज 1 टेस्ट मैच में हार का सामना किया. लेकिन टीम में उनके सख्त बर्ताव के कारण कप्तान विराट कोहली से अनबन हो गई और उनका कार्यकाल आगे नहीं बढ़ाया गया.
कुंबले की कोचिंग में टीम इंडिया का प्रदर्शन
टेस्ट | जीत | हार | ड्रॉ |
17 | 12 | 1 | 4 |
वनडे | जीत | हार | रद्द/टाई |
13 | 8 | 5 | 0 |
टी-20 | जीत | हार | रद्द |
5 | 2 | 2 | 1 |
रवि शास्त्री (11 जुलाई 2017 से जारी): अनिल कुंबले की विदाई के बाद रवि शास्त्री फिर से कोच बने. उनकी कोचिंग में टीम इंडिया हाल में वर्ल्ड कप के सेमीफाइनल में पहुंची लेकिन आगे नहीं बढ़ सकी. हालांकि द्विपक्षीय सीरीज में टीम इंडिया का प्रदर्शन अच्छा रहा.
शास्त्री की कोचिंग में टीम इंडिया का प्रदर्शन
टेस्ट | जीत | हार | ड्रॉ |
18 | 13 | 2 | 2 |
वनडे | जीत | हार | रद्द/टाई |
49 | 40 | 8 | 1 |
टी-20 | जीत | हार | रद्द |
34 | 23 | 9 | 2 |
देसी या विदेशी: कामयाब कौन?
बात जहां देसी-विदेशी कोच की अगुवाई में टीम की सफलता की आती है तो सन् 2000 के बाद लगातार 4 विदेशी कोचों की कोचिंग में भारत एक बार वर्ल्ड चैम्पियन (गैरी कर्स्टन) बना, तो एक बार वर्ल्ड कप के सेमीफाइनल (डंकन फ्लेचर) में पहुंचा. तो ग्रैग चैपल के कार्यकाल में भारत वर्ल्ड कप के पहले ही दौर में बाहर हो गया. हालांकि पहले विदेशी कोच जॉन राइट की कोचिंग में टीम इंडिया ने दुनिया के किसी भी मैदान पर संघर्ष करने का जज्बा सीखा और जीत हासिल की.
2000 से 2015 तक यानी 15 सालों में 4 विदेशी कोचों के रहते भारत ने कुल 142 टेस्ट मैच खेले जिसमें 57 में जीत मिली तो 44 मुकाबले ड्रॉ पर खत्म हुए. हालांकि 41 मुकाबलों में भारत को हार भी मिली. तो पिछले 5 साल में भारतीय कोचों की कोचिंग में टीम इंडिया ने 49 टेस्ट मैचों में से 30 में जीत मिली वहीं 8 में हार मिली.
नए कोच की रेस में कौन-कौन?
टेस्ट मैचों में विदेशी-देसी कोचों की हार-जीत के लिहाज से देखें तो विदेशी कोच की जीत का औसत 40 फीसदी है तो हार का औसत 28.87 फीसदी है. दूसरी ओर, भारतीय कोचों की कोचिंग में पिछले 5 सालों में जीत का औसत 61 फीसदी रहा है. महज 16.32 फीसदी मैचों में टीम को हार मिली है.
बीसीसीआई ने अब नए कोच के लिए आवेदन मांग लिए हैं तो अभी आवेदन करने की अंतिम तारीख 30 जुलाई है, लेकिम अभी से कई नामों पर कयास लगने शुरू हो गए हैं, इन नामों में रवि शास्त्री तो हैं ही, उनके अलावा मिकी ऑर्थर, टॉम मूडी, ट्रेवर बायलिस, महेला जयवर्धने और गैरी कर्स्टन के नाम आगे चल रहे हैं. अब देखना है कि बीसीसीआई इस बार किसे कोच बनाती है.