आज टीम इंडिया के 'गब्बर' शिखर धवन कोटला के लिए 'खास' हैं. घरेलू मैदान पर उनके फैंस 'कुछ तूफानी' के इंतजार में हैं. आखिर आज उनका बर्थडे जो ठहरा. विराट ब्रिगेड का यह धुरंधर 5 दिसंबर को 32 साल का हो गया. दिल्ली टेस्ट के चौथे दिन जैसे ही श्रीलंका की आखिरी जोड़ी टूटेगी, धवन और मुरली विजय की सलामी जोड़ी भारत की दूसरी पारी की शुरुआत करने उतरेगी.
शिखर धवन हैं तीन बच्चों के पिता, बड़ी बेटी की उम्र है 16 साल
दक्षिण अफ्रीका दौरे से पहले शिखर धवन के लिए अपने बल्ले का मुंह खोलने का यह बेहतर मौका है. बहन की शादी की वजह से नागपुर टेस्ट से बाहर रहे धवन कोलकाता में मौजूदा सीरीज के पहले टेस्ट की दूसरी पारी में शतक से चूक (94 रन) से गए थे. और अब उनके लिए दिल्ली टेस्ट में जोरदार वापसी का शानदार चांस है. यहां पहली पारी में वह 23 रन बनाकर लौट गए थे.
चार साल पहले मोहाली में ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ धवन के बल्ले का कमाल पूरी दुनिया ने देखा था. उन्होंने ताबड़तोड़ बल्लेबाजी करते हुए न सिर्फ 85 गेंदों पर शतक ठोका, बल्कि टेस्ट डेब्यू में सबसे तेज शतक बनाने का वर्ल्ड रिकॉर्ड भी बना डाला. उस मैच में धवन ने पहली पारी में 174 गेंदों में 187 रनों की धुआंधार पारी खेली थी.
टॉप-3: डेब्यू टेस्ट में सबसे तेज शतक
1. 85 गेंद- शिखर धवन (भारत), विरुद्ध ऑस्ट्रेलिया, मोहाली 2013
2. 93 गेंद- ड्वेन स्मिथ (वेस्टइंडीज), विरुद्ध द. अफ्रीका, केपटाउन 2004
3. 105 गेंद- मैट प्रायर (इंग्लैंड), विरुद्ध वेस्टइंडीज, लॉर्ड्स 2007
Fastest debut Test century ✅
Highest debut Test score for India ✅
Fastest to 3,000 ODI runs for India ✅
India's top scorer at #CWC15 ✅
Top scorer at #CT13 and #CT17 ✅
Happy Birthday to @SDhawan25! pic.twitter.com/WTlLklcwK7
— ICC (@ICC) December 5, 2017
शिखर धवन 2004 के अंडर-19 वर्ल्ड कप में प्लेयर ऑफ द टूर्नामेंट रहे थे. लेकिन उन्हें टेस्ट टीम में मौका मिलन में 9 साल लग गए. दरअसल, शीर्ष क्रम में वीरेंद्र सहवाग और गौतम गंभीर जैसे स्थापित बल्लेबाजों के रहते टीम इंडिया में एंट्री बहुत मुश्किल थी.
हालांकि डेब्यू के बाद द. अफ्रीका दौरै में उनका कोई उल्लेखनीय प्रदर्शन नहीं रहा, लेकिन उसके बाद फरवरी 2014 में न्यूजीलैंड दौरे में धवन ने 115 और 98 रनों की शानदार टेस्ट पारियां खेलीं. इसके बाद एकबार फिर उनका बल्ला उनसे रूठ गया.
लेकिन, धवन 2015 के वनडे वर्ल्ड कप में 51.50 की औसत से 412 रन बनाने में सफल रहे. उसी साल वह विदेशी धरती (फातुल्लाह और गॉल) पर लगातार पारियों में शतक (173 ओर 134) जमाने वाले तीसरे भारतीय ओपनर बने.