टेस्ट करियर में बिना शतक लगाए सबसे ज्यादा रन बनाने के रिकॉर्ड की बात करें, तो इस सूची में दूसरा नाम चेतन चौहान का है. भारत के इस पूर्व सलामी बल्लेबाज ने 40 टेस्ट मैचों में 2084 रन बनाए और उनका उच्चतम स्कोर 97 रहा. करियर में बिना शतक लगाए (1969-1981) दो हजार रन बनाने वाले वह दुनिया के पहले क्रिकेटर हैं. वैसे बिना शतक लगाए सबसे ज्यादा रन बनाने के रिकॉर्ड शेन वॉर्न के नाम है. उन्होंने (1992-2007) 145 टेस्ट मैचों में 3154 रन बनाए और उनका उच्चतम स्कोर 99 रहा था.
चेतन चौहान का आज (21 जुलाई) जन्मदिन है. वह 73 साल के हो गए. उनका जन्म 1947 में बरेली में हुआ था. सुनील गावस्कर के सलामी जोड़ी के तौर पर मशहूर रहे चेतन चौहान ने खूब सुर्खियां बटोरीं. गावस्कर और चौहान की जोड़ी ने टेस्ट की 60 पारियों में 54.85 की औसत से 3127 रन बनाए. दोनों ने कुल 11 शतकीय साझेदारियां कीं, जिनमें से 10 पहले विकेट के लिए रहीं.
🔹 40 Tests, 7 ODIs
🔹 2,237 international runs
The former India opener shared 11 century stands in Tests with Sunil Gavaskar, including a highest of 213 at The Oval.
Happy birthday to Chetan Chauhan! pic.twitter.com/DKkF8jsadu
— ICC (@ICC) July 21, 2020
सुनील गावस्कर और चेतन चौहान के बीच 1979 के ओवल टेस्ट में हुई ओपनिंग पार्टनरशिप आज भी याद की जाती है. इंग्लैंड के खिलाफ 438 रनों के बड़े लक्ष्य का पीछा करते हुए दोनों ने पहले विकेट के लिए 213 रन जोड़े थे. तब चौहान 80 रन बनाकर आउट हुए, जबकि गावस्कर ने दोहरा शतक (221) जड़ा था. हालांकि भारतीय टीम 429/8 रन ही बना पाई और जीत हासिल करने से वंचित रह गई.
सुनील गावस्कर और चेतन चौहान की जोड़ी
चेतन चौहान ने सितंबर 1969 में न्यूजीलैंड के खिलाफ मुंबई में अपना डेब्यू टेस्ट मैच खेला था. मजे की बात है कि उन्होंने पहले 25 मिनट तक कोई रन नहीं बनाया, लेकिन उसके बाद न्यूजीलैंड के तेज गेंदबाज ब्रूस टेलर की गेंद पर चौका लगाकर खाता खोला और अगली गेंद पर छक्का जड़ा.
चेतन चौहान ने 40 टेस्ट मैचों में 31.57 के एवरेज से 2084 रन बनाए, जिसमें 16 अर्धशतक शामिल हैं. उन्होंने 7 वनडे इंटरनेशनल मैचों में 21.86 के एवरेज से 153 रन बनाए. 1981 में चेतन चौहान का इंटरनेशनल क्रिकेट का सफर खत्म हो गया, लेकिन वह 1984/85 तक प्रथम श्रेणी क्रिकेट खेलते रहे. वह महाराष्ट्र और दिल्ली की तरफ से रणजी ट्रॉफी खेले. पिता के ट्रांसफर होने के बाद 13 साल की उम्र में वह पुणे शिफ्ट हो गए थे.
चौहान ने अपना आखिरी टेस्ट 1980-81 में न्यूजीलैंड दौरे पर खेला था. एक इंटरव्यू में वह कह चुके हैं, 'मुझे नहीं पता कि उन्होंने (चयनकर्ता) मेरे साथ ऐसा क्यों किया. मैं अच्छी लय में था. मेरा फॉर्म कई भारतीय खिलाड़ियों से अच्छा था, लेकिन इंग्लैंड के खिलाफ अगली सीरीज के लिए मेरा चयन नहीं हुआ. इससे मैं हैरान रह गया था.'
चेतन चैहान टीम इंडिया के मैनेजर भी रह चुके हैं. 2001 में भारत-ऑस्ट्रेलिया सीरीज के दौरान वह उस भारतीय टीम के मैनेजर रहे, जिसने 2001 के ऐतिहासिक कोलकाता टेस्ट में ऑस्ट्रेलिया को मात दी थी. 2007-08 के ऑस्ट्रेलिया दौरे पर भी वह मैनजर रहे, इसी दौरे में 'मंकीगेट विवाद' छाया था.