जिस तरह साउथ अफ्रीका आईसीसी टूर्नामेंट्स में चोकर्स साबित हुई है, लगभग वही हाल रॉयल चैलेंजर्स बंगलुरु का इंडियन प्रीमियर लीग (आईपीएल) में है. आरसीबी की टीम शुरुआत से ही आईपीएल की सबसे मजबूत टीमों में से एक रही है. पहले संस्करण से ही इस टीम में एक से बढ़कर सितारे खेले हैं. लेकिन मजे की बात यह है कि उनका प्रदर्शन उस तरह का नहीं रहा जिसकी उम्मीद सबको थी. आइए आईपीएल में बंगलुरु के अब तक के सफर पर एक नजर डालते हैं.
2008 में बंगलुरु ने खड़ी की टेस्ट टीम, रही 7वें नंबर पर..
रॉयल चैलेंजर्स बंगलुरु आईपीएल के पहले संस्करण में राहुल द्रविड़ की कप्तानी में मैदान में उतरी. जैक कैलिस, मार्क बाउचर, डेल स्टेन, मिस्बाह उल हक, रॉस टेलर, कैमरून वाइट, शिवनारायण चंद्र्पॉल, अनिल कुंबले और जहीर खान जैसे दिग्गज खिलाड़ी बंगलुरु की टीम का हिस्सा बने. लेकिन सुपर स्टार खिलाड़ियों सजी यह टीम अपने 14 में से मात्र 4 मैच ही जीत सकी. दरअसल T20 क्रिकेट के हिसाब से यह टीम बिलकुल उपयुक्त साबित नहीं हुई, और 7वें स्थान पर रही.
2009 में किस्मत बदली, लेकिन फाइनल में हारे..
रॉयल चैलेंजर्स बंगलुरु ने 2008 की टीम में बदलाव करते हुए 2009 में रॉबिन उथप्पा, रिलॉफ वेंडर मर्व, जेसी राइडर और केविन पीटरसन को टीम शामिल किया. शुरूआती मैचों के लिए केविन पीटरसन को टीम की कमान दी गई, लेकिन वेस्टइंडीज के खिलाफ सीरीज के चलते पीटरसन को बीच में ही वापस लौटना पड़ा. इसके बाद टीम की कमान अनिल कुंबले को दी गई. 2009 में लोकसभा चुनाव और सुरक्षा कारणों से आईपीएल को साउथ अफ्रीका शिफ्ट कर दिया गया. जगह में परिवर्तन बंगलुरु के किस्मत में भी बदलाव लेकर आया और उन्होंने फाइनल में जगह बनाई. लेकिन फाइनल में उन्हें डेक्कन चार्जर्स के हाथों हार का सामना करना पड़ा, और ट्रॉफी का सपना अधुरा ही रह गया.
2010 में सेमीफाइनल में आकर चुके..
2010 में रॉयल चैलेंजर्स बंगलुरु की कमान एक बार फिर अनिल कुंबले को दी गई. 2009 के लगभग सारे दिग्गज 2010 की इस टीम में मौजूद थे. लेकिन T20 की मांग को देखते हुए इंग्लैंड के ऑइन मॉर्गन और दक्षिण अफ्रीका के डिल्लन डू प्रीज को दल में शामिल किया गया. बंगलुरु ने अपने 14 में 7 मैच जीते और सेमीफाइनल में जगह बनाई. लेकिन बड़े मौकों पर आकर चूकने का सिलसिला 2010 में भी जारी रहा, और आरसीबी सेमीफाइनल में मुंबई के हाथों 35 रन से हारकर खिताब की दौड़ से बाहर हो गई.
2011 में फिर पहुंचे फाइनल में, लेकिन फिर बने चोकर..
2011 में व्यापक बदलाव करते हुए रॉयल चैलेंजर्स बंगलुरु ने क्रिस गेल, तिलकरत्ने दिलशान, एबी डिविलियर्स, डर्क नैनेस और डेनियल विटोरी को टीम में शामिल किया. विटोरी को टीम की कमान सौंपी गई. पूरे सीजन टीम का प्रदर्शन लाजवाब रहा. लेकिन फाइनल में आकर एक बार फिर आरसीबी ने आत्मसमर्पण कर दिया. फाइनल में इनका मुकाबला एमएस धोनी की टीम चेन्नई सुपर किंग्स से था. चेन्नई ने पहले बल्लेबाजी करते हुए 205 रन ठोंक डाले. जिसके जवाब में बंगलुरु की टीम मात्र 147 रन पर लुढ़क गई.
2012, 2013 और 2014 में प्ले ऑफ में भी नहीं पहुंच सके..
2011 में फाइनल में हारने के बाद 2012, 2013 और 2014 में बंगलुरु की टीम प्ले ऑफ में भी जगह नहीं बना पाई है. ऐसा नहीं है कि टीम कमजोर थी. गेल, डिविलियर्स, विराट कोहली, मुरलीधरन और युवराज जैसे दिग्गज टीम का हिस्सा थे. लेकिन बड़े मौकों पर आकर चूकने का सिलसिला थमा नहीं.
2015 में क्या ख़त्म होगा खिताब का इंतजार?
2015 में एक बार फिर रॉयल चैलेंजर्स बंगलुरु विराट कोहली की कप्तानी में मैदान पर उतर रही है. गेल और डिविलियर्स के ऊपर से दबाव हटाने के लिए इस बार न सिर्फ कई विदेशी दिग्गजों को शामिल किया गया है, बल्कि घरेलू खिलाड़ियों के पूल को भी मजबूत किया गया है. एडम मिलने, रिले रूसो, शॉन एबॉट, डैरेन सैमी और डेविड वीस जैसे खिलाड़ी इस बार टीम की संभावनाओं को बढ़ाएंगे. वहीं घरेलु खिलाड़ियों में एस बद्रीनाथ, दिनेश कार्तिक, इकबाल अब्दुल्ला और मनदीप सिंह जैसे खिलाड़ी टीम के विकल्पों को खोलेंगे. हालांकि घायल मिशेल स्टार्क और एडम मिल्ने की गैर मौजूदगी से आरसीबी की गेंदबाजी कमजोर हुई है. लेकिन सवाल सिर्फ यही है कि इस बार खिताब जीतने का इंतजार खत्म होगा?
टीम इस प्रकार है:
विदेशी खिलाड़ी- एबी डिविलियर्स, क्रिस गेल, डेरेन सैमी, मिशेल स्टार्क, निक मेडिनसन, रिले रूसो, शॉन एबॉट, एडम मिल्ने और डेविड वीस.
घरेलू खिलाड़ी- विराट कोहली (कप्तान), दिनेश कार्तिक, एस बद्रीनाथ, मनदीप सिंह, वरुण आरोन, युजवेंद्र चहल, विजय जोल, योगेश टकावले, अबु नेचिम अहमद, हर्षल पटेल, अशोक डिंडा, संदीप वारियर, मनविंदर बिस्ला, इकबाल अब्दुल्ला, जलज सक्सेना, सरफराज खान और शिशिर बवाने.