वेस्टइंडीज के पूर्व ऑलराउंडर कार्ल हूपर ने कहा कि आईपीएल का आकर्षक अनुबंध हासिल करने की इच्छा के कारण कैरेबियाई टीम को टेस्ट क्रिकेट में नुकसान पहुंच रहा है. प्रतिभाशाली युवाओं का एकमात्र लक्ष्य इस धनाढ्य टी-20 लीग में खेलना है.
खिलाड़ियों और वेस्टइंडीज क्रिकेट बोर्ड के बीच पूर्व में विवाद जगजाहिर है. हूपर का मानना है कि आईपीएल ने लंबी अवधि के प्रारूप में टीम की परेशानियां बढ़ाई हैं.
वेस्टइंडीज की तरफ से 102 टेस्ट मैच खेलने वाले हूपर दो टेस्ट मैचों की सीरीज में कमेंट्री करने के लिए 16 साल बाद भारत आए हैं. उन्होंने कहा, ‘हमें इससे (वेस्टइंडीज क्रिकेट पर आईपीएल के प्रभाव) अवगत होना चाहिए. टी-20 क्रिकेट बना रहना चाहिए.'
हूपर ने कहा, 'आपको आज पांच साल पहले की तुलना में अधिक लीग में खेलने का मौका मिल रहा है. इससे हम प्रभावित हो रहे हैं, क्योंकि वेस्टइंडीज के अधिकतर युवा खिलाड़ियों का लक्ष्य किसी आईपीएल टीम से अनुबंध करना होता है.’
अपने नए घर एडिलेड में कई रेस्टोरेंट चलाने वाले हूपर ने कहा, ‘इससे उसकी वेस्टइंडीज क्रिकेट में उपलब्धता पर असर पड़ता है और इसमें टेस्ट क्रिकेट भी शामिल है.’
भुगतान विवाद और विश्वभर के टी-20 लीग में खेलने के विकल्प के कारण क्रिस गेल, ड्वेन ब्रावो, कीरोन पोलार्ड और सुनील नरेन जैसे खिलाड़ी छोटे प्रारूपों में खेलने को प्राथमिकता दे रहे हैं.
हूपर ने कहा, ‘आईपीएल केवल छह हफ्ते के लिए होता है, लेकिन हमारी स्थिति यह है कि सुनील नरेन जैसे गेंदबाज जिन्होंने अपने अंतिम टेस्ट मैच (2013 में) छह विकेट निकाले थे, वह फिर से हमारे लिए नहीं खेले. यही बात गेल और पोलार्ड पर भी लागू होती है.’
उन्होंने कहा, ‘पोलार्ड अगर 26-27 की उम्र में टेस्ट क्रिकेट खेलते, तो हो सकता था कि वह बहुत अच्छा टेस्ट क्रिकेटर बन जाते, लेकिन उन्होंने छोटे प्रारूपों में खेलना ही उचित समझा. इस तरह से हमने एक खिलाड़ी गंवा दिया. इविन लुइस भी टेस्ट क्रिकेट खेल सकते हैं, लेकिन वह नहीं चाहते. इस तरह से छोटे प्रारूप हमारी प्रगति में रोड़ा अटका रहे हैं.’
हूपर ने एक अन्य उदाहरण दिया, जिससे टेस्ट टीम को नुकसान पहुंच सकता है. उन्होंने कहा, ‘शिमरोन हेटमेयर जैसा खिलाड़ी, जिसने सीपीएल में अच्छा प्रदर्शन किया. अब उन्हें अगले सत्र में आईपीएल में चुना जा सकता है और मुझे इस लीग के कारण उन्हें गंवाना अच्छा नहीं लगेगा.’