यजुवेंद्र चहल एक ऐसा नाम जो क्रिकेट विश्व में रातों रात मशहूर हो गया. जींद (हरियाणा) के इस लेग स्पिनर के पास शतरंज का दिमाग है, जिसे वह चेसबोर्ड पर आजमाया करते थे और अब क्रिकेट पिच पर उसका बखूबी इस्तेमाल कर रहे हैं. इसकी बानगी इंग्लैंड के खिलाफ 1 फरवरी को बंगलुरु में दिखी, जब उन्होंने छह विकेट लेकर इंग्लैंड के छक्के छुड़ा दिए.
अंडर-12 में नेशनल चैंपियन चहल खेल चुके हैं वर्ल्ड यूथ चैंपियनशिप
26 वर्षीय चहल क्रिकेट में पदार्पण से पूर्व शतरंज में भी अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भारत की ओर से खेल चुके हैं. सात वर्ष की छोटी उम्र से ही चहल को शतरंज और क्रिकेट दोनों में गहरी रुचि थी. वे अंडर-12 में नेशनल चेस चैंपियन रहे. उन्होंने कोजीकोड में एशियन यूथ चैंपियनशिप में भाग लिया. इसके बाद चहल ने ग्रीस वर्ल्ड यूथ चैंपियनशिप में भी भारत का प्रतिनिधित्व किया. उनका नाम अब भी फिडे की आधिकारिक साइट पर है. उन्हें 1946 फिडे रेटिंग मिली थी.
स्टार्सअनफोल्डेड से साभार
स्पॉन्सर नहीं मिलने की वजह से शतरंज खेलना छोड़ा
पेशे से वकील उनके पिता केके चहल का कहना है कि यजुवेंद्र शतरंज का उभरता सितारा था. शतरंज में आगे बढ़ने के लिए 50 लाख रु. सालाना की जरूरत थी, लेकिन उसे कोई स्पॉन्सर नहीं मिला. हालांकि इसके बावजूद वह कंप्यूटर के सहारे चेस की बारीकियों को तलाशता रहा.
2013 के चैंपियंस लीग T-20 फाइनल में पहली बार सुर्खियों में आए
क्रिकेट में पहली बार चहल का नाम तब सुर्खियों में आया, जब उन्होंने चैंपियंस लीग टी-20 फाइनल में रॉयल चैलेंजर्स बंगलुरु के खिलाफ 3 ओवर में 9 रन देकर 2 विकेट निकाले. जिसकी बदौलत मुंबई इंडियंस ने 2013 का खिताब जीता. और इसी प्रदर्शन के सहारे चहल को रॉयल चैलेंजर्स बंगलुरु का कॉन्ट्रैक्ट मिल गया. जबकि 2016 में जिम्बाब्वे दौरे में उन्होंने पहला वनडे इंटरनेशनल खेला.