मुंबई इंडियंस की टीम आईपीएल-8 का खिताब अपने नाम कर चुकी है. इस जीत में मुंबई के लिए हर खिलाड़ी ने मैदान पर दमदार प्रदर्शन किया. जी जान से क्रिकेट खेली. लेकिन कुछ लोगों ने पर्दे के पीछे रहकर मुंबई इंडियंस की जीत में बेहद अहम किरदार निभाया.
इस सीजन रिकी पॉन्टिंग को बड़ी उम्मीदों के साथ मुंबई इंडियंस ने कोच बनाया. लेकिन किस्मत देखिए पद संभालते ही शुरू के 6 में से 5 मैचों में हार का मुंह देखना पड़ गया. ऐसा लगने लगा कि पॉन्टिंग की प्रतिष्ठा ही दांव में लग गई है. ऑस्ट्रेलिया के लिए खेलते हुए रिकी पॉन्टिंग अपनी आक्रामक कप्तानी के लिए खासे चर्चा में रहे. लेकिन ऐसा लगा कि आईपीएल में उनकी रणनीतियां औंधे मुंह गिर रही हैं.
लेकिन पॉन्टिंग कहां हार मानने वाले थे. पॉन्टिंग ने जिस अंदाज में टीम को एक सूत्र में बांधा वो काबिल-ए-तारीफ है. हो सकता है कि शुरुआत में पॉन्टिंग को खिलाड़ियों और उनके स्किल्स को समझने में थोड़ा समय लगा हो, लेकिन जब एक बार उन्होंने सबको समझ लिया फिर टीम ने पीछे मुड़कर देखा ही नहीं. यह अपने आप में बड़ी ताज्जुब की बात है कि एक टीम अपने 6 में से 5 मैच हार जाए, स्थिति ऐसी बन जाए कि एक मैच हारे तो टूर्नामेंट से बाहर. जरा सोचिए कि टीम के खिलाड़ियों को पॉन्टिंग ने कौन सी घुट्टी पिलाई होगी कि किसी ने हौसला नहीं हारा.
कहते हैं एक कोच उतना ही अच्छा होता है जितना कि उनकी टीम. लेकिन इस बात से भी इनकार नहीं किया जा सकता कि कभी कभी कोच की भूमिका से भी टीम के भाग्य का फैसला हो जाता है. रोहित शर्मा भी इस बात को मानते हैं कि रिकी पॉन्टिंग ने उनकी कप्तानी को निखार दिया, जिससे उन्हें टीम को लेकर आगे बढ़ने में आसानी हुई. पॉन्टिंग के ट्रिक्स रोहित और टीम के लिए काफी लाभदायक रहे.
आईपीएल जीतने के बाद पॉन्टिंग ने बॉलीवुड के किसी हीरो के अंदाज में कहा 'मैंने पहले ही कहा था, मैं यहां जीतने आया हूं.' और शायद इसी एक लाइन ने इस बात को भी बयां कर दिया कि रिकी पॉन्टिंग किस बला का नाम है.