2003 का विश्व कप पहली बार अफ्रीका पहुंचा. दक्षिण अफ्रीका, केन्या और जिम्बाब्वे ने 2003 के विश्व कप की मेजबानी की. पहली बार विश्व कप में 14 टीमों ने हिस्सा लिया. सात-सात टीमों को दो ग्रुपों में बांटा गया. हर ग्रुप से शीर्ष तीन टीमों को सुपर सिक्स में जगह मिली और फिर चार टीमें सेमीफाइनल में पहुंची. एकदिवसीय अंतरराष्ट्रीय मैच खेलने वाली 11 टीमों के अलावा आईसीसी ट्रॉफी की क्वालिफाइंग तीन टीमों- कनाडा, नामीबिया और नीदरलैंड्स ने भी हिस्सा लिया.
ग्रुप मैचों में ग्रुप ए से जिम्बाब्वे और ग्रुप बी से केन्या का सुपर सिक्स में पहुंचना सबसे बड़ी घटना थी. इंग्लैंड, पाकिस्तान, दक्षिण अफ्रीका और वेस्टइंडीज की टीमें पहले दौर में ही प्रतियोगिता से बाहर हो गईं. ग्रुप ए से भारत, ऑस्ट्रेलिया और जिम्बाब्वे की टीम सुपर सिक्स में पहुंची, तो ग्रुप बी से श्रीलंका, केन्या और न्यूजीलैंड की टीम. भारत ने छह में से पांच मैच जीते, तो ऑस्ट्रेलिया ने छह में से छह मैच.
सुपर सिक्स में न्यूजीलैंड की टीम एक ही मैच जीत पाई. केन्या की टीम भी एक ही मैच जीती लेकिन लीग मैचों के आधार पर अंक लेकर सुपर सिक्स में आने का उसे लाभ हुआ और उसने सेमीफाइनल में जगह बनाई. भारत और ऑस्ट्रेलिया के अलावा श्रीलंका भी सेमीफाइनल में पहुंचा. सुमीफाइनल में भारत का मुकाबला केन्या से हुआ और ऑस्ट्रेलिया की टीम श्रीलंका से भिड़ी. पहले सेमीफाइनल में श्रीलंका के सामने ऑस्ट्रेलिया की राह आसान नहीं रहीं. श्रीलंकाई गेंदबाज़ों की शानदार प्रदर्शन करते हुए ऑस्ट्रेलिया की टीम को 50 ओवर में 212 रन ही बना दिए.
हालांकि एंड्रयू सायमंड्स ने नाबाद 91 रन बनाए. जबकि वास ने ऑस्ट्रेलियाई खिलाड़ियों को परेशान रखा. बारी जब श्रीलंका की बल्लेबाजी की आई, तो ऑस्ट्रेलिया के तेज गेंदबाजों ने बेहतरीन गेंदबाजी की. ब्रेट ली ने तीन शीर्ष बल्लेबाजों को आउट कर श्रीलंका को परेशान रखा. बारिश के कारण डकवर्थ लुईस नियम के तहत श्रीलंका की टीम 48 रन से हार गई. श्रीलंका ने 38.1 ओवर में सात विकेट पर 123 रन ही बनाए थे.
दूसरे सेमीफाइनल में भारत और केन्या का मुकाबला हुआ. सौरभ गांगुली और सचिन तेंदुलकर की शानदार बल्लेबाजी की बदौलत भारत ने 50 ओवर में चार विकेट के नुकसान पर 270 रन बनाए. गांगुली 111 रन बनाकर नाबाद रहे. लक्ष्य का पीछा करने उतरी केन्य की टीम को भारतीय गेंदबाजों ने 46.2 ओवर में मात्र 179 रन पर समेटकर 91 रनों से आसान जीत दर्ज कर दूसरी बार विश्व कप के फाइनल में जगह बनाई.
20 साल बाद विश्व कप के फाइनल में पहुंची भारतीय टीम की फाइनल में दुर्दशा हुई. ऑस्ट्रेलिया ने पहले खेलते हुए भारतीय गेंदबाजों की जमकर धुनाई करते हुए 50 ओवर में मात्र दो विकेट खोकर 359 रनों का विशाल लक्ष्य खड़ा किया. ऑस्ट्रेलिया की तरफ से रिकी पोंटिंग 140 और डेनियम मार्टिन 88 रन बनाकर नाबाद रहे.
लक्ष्य का पीछा करने उतरी भारतीय शुरुआत से ही लखड़खड़ा गई और सचिन 4 रन बनाकर पवेलियन लौट गए. भारत की तरफ से सहवाग एकमात्र ऐसे बल्लेबाज रहे जिन्होने थोड़ा संघर्ष किया. सहवाग ने 82 रन बनाए लेकिन उनके अलावा कोई और बल्लेबाज टिककर नहीं खेल सका जिसकी बदौलत भारत 39.2 ओवर में 234 रन पर आलआउट को गई. भारत को फाइनल मुकाबले में 125 रन की करारी हार का सामना करना पड़ा.