आईसीसी ने अपने प्रेसिडेंट मुस्तफा कमाल के बयान को दुर्भाग्यपूर्ण बताया है. आईसीसी ने उनके बयान को निजी बताया और कहा कि उन्हें आईसीसी की आलोचना से पहले सोचना चाहिए था. गौरतलब है कि मुस्तफा कमाल ने क्वार्टरफाइनल में भारत के हाथों बाग्लादेश की हार के बाद अंपायरिंग की आलोचना की थी. हम आपको बता दें कि मुस्तफा कमाल बांग्लादेश के मंत्री भी हैं.
खराब हुई अंपायरिंग, इसलिए हारा बांग्लादेश
अपने ही प्रेसिडेंट के बयान की निंदा करते हुए आईसीसी के सीईओ डेव रिचर्ड्सन ने कहा, आईसीसी ने मुस्तफा कमाल के बयान का संज्ञान लिया है. ये बयान निजी तौर पर दिए गए थे. आईसीसी प्रेसिडेंट होने के नाते उन्हें आईसीसी के ही अधिकारियों की की निष्ठा पर सवाल उठाने से पहले सोचना चाहिए था.
उन्होंने आगे कहा, 'रोहित शर्मा के खिलाफ नो बॉल का फैसला फिफ्टी-फिफ्टी का मामला था. खेल की भावना के हिसाब से अंपायर का फैसला अंतिम होता है और उसका सम्मान किया जाना चाहिए. और इस ओर इशारा करना कि अंपयारों ने किसी एजेंडे के तहत फैसले दिए, इसे हम पूरी तरह से खारिज करते हैं.'
आपको बता दें कि क्वार्टर फाइनल मुकाबले में बांग्लादेश की हार के बाद ICC के अध्यक्ष मुस्तफा कमाल ने अंपायरों के खिलाफ मोर्चा खोल दिया. हेडलाइंस टुडे से एक्सक्लूसिव बातचीत में मुस्तफा कमाल ने कहा कि भारत-बांग्लादेश मैच में अंपायरिंग का स्तर बहुत खराब था. इस मैच में कई फैसले बांग्लादेश के खिलाफ गए और वह इस मुद्दे को आईसीसी की बैठक में उठाएंगे.
उन्होंने कहा, 'कई फैसले बांग्लादेश के खिलाफ गए. अगर अंपायरों ने जानबूझकर ऐसा किया तो यह क्रिकेट के खिलाफ जुर्म है.' मुस्तफा कमाल का मानना है कि रोहित शर्मा आउट थे पर अंपायर ने उस गेंद को नो बॉल करार दिया था. वैसे कई क्रिकेट जानकारों का भी मानना है कि किस्मत ने रोहित शर्मा का साथ दिया था.