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इस विश्वकप को रोचक बना रही हैं ये 10 बातें

क्रिकेट विश्वकप में आप पहली बार स्टंप के ऊपर की गिल्लियों में एलआईडी लाइट लगी देख रहे हैं. इसलिए अब  खिलाड़ी स्टंप उखाड़कर साथ नहीं ले जा पाएंगे. लेकिन इसके अलावा ये 10 बातें और हैं, जो इस विश्वकप में नयापन लाई हैं-

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क्रिकेट विश्वकप में आप पहली बार स्टंप के ऊपर की गिल्लियों में एलआईडी लाइट लगी देख रहे हैं. लेकिन इस टेक्नोलॉजी ने खिलाड़ियों के जीत की खुशी मनाने के एक तरीके में खलल डाला है. अब वे स्टंप उखाड़कर साथ नहीं ले जा पाएंगे. लेकिन इसके अलावा ये 10 बातें और हैं, जो इस विश्वकप में नयापन लाई हैं-

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1. पावरप्ले और फिल्डिंग की बाध्यता:
ज्यादातर इनिंग में 30 गज दायरे के बाहर पांच के बजाए चार खिलाड़ी ही रखे जा सकेंगे. इसके अलावा पावरप्ले तीन की बजाए दो कर दिए गए हैं. पहले दस ओवर के दौरान सिर्फ दो खिलाड़ी 30 गज दायरे के बाहर रहेंगे, जबकि 40 ओवर से पहले लिए जाने वाले पांच ओवर के बैटिंग पावरप्ले के दौरान तीन खिलाडि़यों को ही बाहर रखा जा सकेगा. यही वजह है कि ज्यादातर मैचों में टीम स्कोन 300 के पार पहुंच रहा है.

2. दो नई बॉल:
पिछले वर्ल्डकप से कुछ समय पहले से 35 ओवर के बाद बॉल को बदला जाने लगा था. लेकिन बदली हुई गेंद नई नहीं होती थी. लेकिन इस विश्वकप में दोनों छोर से गेंदबाजों को नई गेंद दी जा रही है. यानी वे पूरी इनिंग के दौरान सख्त बनी रहती है. तेज गेंदबाजों को इसका फायदा मिलता है, इसलिए ओपनर्स को खेलने में कठिनाई महसूस हो रही है. जबकि बाद के ओवर में रन भी खूब बन रहे हैं. हां, ऐसी बॉल से रिवर्स स्विंग न के बराबर मिल रही है. एक वजह यह भी है मैच हाई स्कोरिंग होने की.

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3. पार्ट टाइम बॉलर का रोल कम हुआ:
पिछले विश्वकप तक कप्तानों ने पार्ट टाइम बॉलर का खूब उपयोग किया. युवराज सिंह से तो 10-10 ओवर‍ करवा लिए गए. लेकिन इस बार चूंकि बॉल लगभग पूरी इनिंग सख्त बनी रहती है और रक्षात्मक फील्डिंग लगाने की गुंजाइश कम है, इसलिए पार्ट टाइम बॉलर इस बार रिस्की माने जा रहे हैं.

4. स्विंग और सीम की ओर झुकाव:
पिछले विश्वकप में स्पिन बॉलिंग का दबदबा रहा. लेकिन इस बार ऑस्ट्रेलिया और न्यूजीलैंड में स्विंग और सीम से मदद मिल रही है. और वैसे भी 30 गज के बाहर खिलाडि़यों की संख्या घटा लेने से बाउंड्री बचाना मुश्किल हो गया है.

5. चकिंग की काली छाया:
इस बार वैसे भी स्पिनर्स पर चकिंग की काली छाया मंडरा रही है. आईसीसी ने बॉलिंग एक्शन को लेकर सख्ती की हुई है. सईद अजमल और सुनील नरेन विश्वकप से बाहर हैं. सिर्फ शाहिद आफरीदी ही हैं, जिन पर संदेह रहा लेकिन वे खेल रहे हैं.

6. एक नई पीढ़ी का आगाज:
सचिन तेंडुलकर, जैक कालिस, ग्रीम स्मिथ, वीरेंद्र सहवाग, जहीर खान, मुथैया मुरलीधरन, रिकी पोंटिंग, केविन पीटरसन जैसे खिलाड़ी इस विश्वकप में नहीं हैं. इन महान खिलाडि़यों की जगह इस बार सुर्खियां बटोर रहे हैं विराट कोहली, कोरी एंडरसन, आरोन फिंच, मिशेल स्टार्क और मोइन अली.

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7. डीआरएस:
विश्वकप शुरू होने से सप्ताहभर पहले ही आईसीसी ने कन्फर्म किया कि डीआरएस सिस्टम के कौन-कौन से टूल इस टूर्नामेंट में शामिल किए जाएंगे. रियल टाइम स्निकोमीटर तो है, लेकिन हॉट स्पॉट नहीं है.

8. प्राइज मनी:
विश्वकप की प्राइज मनी में 25 फीसदी का इजाफा किया गया है. पिछले विश्वकप में यह 8 मिलियन डॉलर थी, जो अब 10 मिलियन डॉलर कर दी गई है. इसके अलावा विजेता टीम को अपराजेय रहने पर 4 मिलियन डॉलर अतिरिक्त मिलेंगे. पहली बार क्वार्टर फाइनल में न पहुंच पाने वाली टीमों को भी अवार्ड मिलेगा. ऐसी हर टीम को 35 हजार डॉलर दिए जाएंगे. इसके अलावा ग्रुप स्टेज की हर जीत पर 45 हजार डॉलर भी मिलेंगे.

9. नॉकआउट में कोई सुपर ओवर नहीं:
2011 में विश्वकप के दौरान मैच टाई होने की स्थिति में सुपरओवर का प्रावधान किया गया था. लेकिन इस बार ऐसा सिर्फ फाइनल में हो पाएगा.

10. रन रेट:
विश्वकप के दौरान टीम का रन रेट काफी अहम होता है. पिछले विश्वकप में टीमों का कुल रन रेट पांच के ऊपर चला गया, जबकि 2007 विश्वकप में यह 4.95 था. हालांकि, 2014 की शुरुआत से ऑस्ट्रेलिया में खेल रही टीमों ने 5.32 और न्यूजीलैंड में 5.66 के औसत से रन बनाए हैं. ऐसे में यह विश्वकप यदि सबसे हाई स्कोरिंग विश्वकप हो तो आश्चर्य नहीं होगा.

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