वर्ल्ड कप 2015 में टीम इंडिया का विजय रथ पूरे शान से आगे बढ़ रहा है. भारतीय बल्लेबाजों से इतर टीम इंडिया के तेज गेंदबाज का कहर भी विरोधियों पर जमकर बरसा है. मोहम्मद शमी ने अभी तक 17, जबकि उमेश यादव ने 14 और मोहित शर्मा ने 11 विकेट चटकाए हैं. गौर करने वाली बात यह है कि टीम इंडिया के ये वही तेज गेंदबाज हैं, जिन्हें आम तौर पर कमजोर माना जाता रहा है और खुद कैप्टन कूल महेंद्र सिंह धोनी ने भी इस ओर चुटकी ली थी.
समय का खेल देखिए, जिन गेंदबाजों पर हर को कभी सीरियस नहीं लिया जा रहा था, उन्होंने वर्ल्डकप में अभी तक विरोधियों के 70 में से 43 विकेट अपने नाम किए हैं. भारत ने जब से ऑस्ट्रेलिया की सरजमीं पर कदम रखा तब से यही सवाल पूछा जा रहा था कि भारतीय बल्लेबाज उछाल भरी पिचों पर शॉर्ट पिच गेंदों का सामना कैसे करते हैं. लेकिन तीन महीने बाद भारतीय तेज गेंदबाज शॉर्ट पिच गेंदों का शानदार इस्तेमाल करके विरोधी बल्लेबाजों के लिए मुश्किलें पैदा कर रहे हैं.
खास बात यह भी है कि भारतीय तेज गेंदबाजों ने जो 43 विकेट अपने नाम किए हैं, उनमें से 25 विकेट शॉर्ट गेंद पर मिले हैं. कुछ दिन पहले धोनी ने अपनी तीन साल पहले की प्रेस कांफ्रेंस का जिक्र किया था, जब उनसे आईसीसी के प्रति ओवर दो बाउंसर की स्वीकृति देने के बारे में पूछा गया था. धानी ने बताया था, 'एक बाउंसर तो इनसे ठीक से डाली नहीं जाती, दो बाउंसर क्या मैं घर लेकर जाउंगा.'
उस दिन व्यंग्य से भरे कैप्टन कूल के इस बयान को उलटने के लिए भारतीय तेज गेंदबाजों ने कड़ी मेहनत की. यह स्वाभाविक है कि ऑस्ट्रेलिया में तेज गेंदबाजों को अधिक विकेट मिलते हैं, लेकिन एक सच्चाई यह भी है कि इससे पहले भारतीय टीम कभी भी पिच को इतनी अच्छी तरह इस्तेमाल नहीं कर पाई. टूर्नामेंट में मोहम्मद शमी की जगह एकमात्र मैच खेलने वाले भुवनेश्वार कुमार ने भी एक विकेट हासिल किया है. इनमें से मोहित ने बाउंसर का प्रभावी इस्तेमाल किया, क्योंकि वह बाउंसर के साथ अपनी गति को नियंत्रित कर सकते हैं. मोहित 130 किमी प्रति घंटा के आसपास रफ्तारी वाली गेंद से अचानक 140 किमी प्रति घंटा की रफ्तार वाली गेंद डाल सकते हैं. पाकिस्तान के पूर्व तेज गेंदबाज और यूएई के मौजूदा कोच आकिब जावेद ने हाल में पर्थ में कहा था, 'मोहित की बाउंसर सबसे प्रभावी है. यहां तक कि धोनी भी इस बात से सहमत हैं कि मोहित शॉर्ट बॉल का शानदार इस्तेमाल करते हैं.'
-इनपुट भाषा से