ऑस्ट्रेलिया और भारत के बीच मैच के दौरान गहमागहमी ना हो, खिलाड़ी आपस में उलझे ना ऐसा कम ही होता है. लेकिन ऑस्ट्रेलियाई क्रिकेटर फिलिप ह्यूज के निधन के बाद जब दोनों टीमें बॉर्डर गावस्कर ट्रॉफी का पहला टेस्ट मैच खेलने एडिलेड में उतरीं तो उनके हाव भाव बिल्कुल बदले हुए नजर आए. मैच के चौथे दिन हालांकि यह क्रम टूटा और मैदान पर ऑस्ट्रेलियाई बल्लेबाज डेविड वार्नर और भारतीय तेज गेंदबाज वरुण एरोन के बीच तीखी बहस हो गई. मैच के बाद वार्नर ने माना कि उन्हें अपने ऊपर काबू रखना चाहिए था.
मैच के तीसरे दिन जब विराट कोहली के हेलमेट पर मिशेल जॉनसन की बाउंसर गेंद लगी तो आस पास खड़े सभी ऑस्ट्रेलियाई खिलाड़ी उनसे हाल पूछने आ गए थे. भारत-ऑस्ट्रेलिया के बीच मैच में ऐसे नजारे कम ही देखने को मिलते हैं. लेकिन दोनों टीमों के बीच की खामोशी मैच के चौथे दिन टूट गई.
मैच के बाद वार्नर ने कहा, 'क्रिकेट ऐसे ही खेला जाता है, जब आपके मुताबिक चीजें नहीं होती हैं तो इस तरह की घटनाएं हो जाती हैं. उसके (एरोन) लिए नोबॉल फेंकना और मेरे लिए बोल्ड होने के बाद क्रीज पर वापस लौटना ऐसा ही था. मैंने कुछ ऐसे रिऐक्ट किया जैसा मुझे नहीं करना चाहिए था. लेकिन इसके बाद मुझे पारी की नई शुरुआत करनी पड़ी. आपको क्रिकेट ऐसे ही खेलना होता है.'
वार्नर ने कहा, 'मुझे ऐसा लगता है कि दुनिया जानती है कि मैं इस तरह की चीजों में पड़ता हूं और ऐसे ही क्रिकेट खेलता हूं. यह ऐसा ही है. मैं अपनी चीज उन तक ले जाना चाहता हूं. अगर इसके लिए मुझे थोड़ा बहस करनी पड़े तो मैं करूंगा और कई बार मैं अपनी सीमा लांघ जाता हूं.'
क्या है पूरा मामला...
यह घटना 34वें ओवर की थी जब एरोन को गेंद सौंपी गई थी. एरोन ने दूसरे ओवर में वार्नर को बोल्ड कर दिया जो उस समय 66 रन पर खेल रहे थे. अंपायर ने हालांकि इसे नोबॉल करार दिया जिससे वार्नर को जीवनदान मिल गया. वार्नर लौटे और मैदान के बीच विकेट का जश्न मना रहे एरोन की तरफ घूरकर देखा. अगली गेंद उन्होंने छोड़ दी. इसके बाद वार्नर, एरोन, शेन वाटसन और शिखर धवन आपस में उलझ गए और अंपायर को उन्हें शांत कराने के लिए दखल देना पड़ा. अगली गेंद के बाद अंपायर इयान गूड ने सिली मिडऑन पर खड़े धवन से बात की जबकि भारतीय कप्तान विराट कोहली ने वार्नर को शांत कराने की कोशिश की.