पूर्व कप्तान सुनील गावस्कर ने महेंद्र सिंह धोनी को भारत का बेस्ट वनडे कप्तान करार देते हुए सोमवार को कहा कि उनका दौर अभी खत्म नहीं हुआ है और वह अभी भारतीय क्रिकेट में काफी योगदान दे सकते हैं.
बांग्लादेश के खिलाफ भारत तीन मैचों की सीरीज के पहले दोनों मैच हार गया जिसके बाद धोनी ने कहा कि अगर भारतीय क्रिकेट को मदद मिलती है तो वह कप्तानी छोड़ने के लिये तैयार हैं. गावस्कर ने हालांकि कहा कि यह स्वाभाविक प्रतिक्रिया थी और इसका फैसला धोनी पर छोड़ देना चाहिए.
उन्होंने कहा, 'यह फैसला उन पर छोड़ देना चाहिए. आप उनसे उनकी उपलब्धियां नहीं छीन सकते. वह अब तक भारत का बेस्ट कप्तान है. उन्होंने हर उपलब्धि हासिल की चाहे वह टी-20, वनडे, चैंपियंस ट्रॉफी या वर्ल्ड कप हो. वह भारत को टेस्ट क्रिकेट में नंबर एक रैकिंग तक ले गए. इसलिए उनकी उपलब्धियां अनगिनत हैं.'
'कप्तानी का फैसला धोनी पर छोड़ दें'
गावस्कर ने कहा, 'धोनी इसके लिए सम्मान का हकदार है और यह फैसला उन्हें करना है कि क्या वह इस पद के लिए खुद को उपयुक्त मानते हैं या फिर उनमें अभी जोश बाकी है. मुझे नहीं लगता कि उन्हें कप्तानी से हटाना सही होगा. यह फैसला उन पर छोड़ देना चाहिए.' गावस्कर से पूछा गया कि धोनी का अब भी वनडे कप्तान होना क्या भारतीय क्रिकेट के लिए फायदेमंद है उन्होंने कहा, 'हां, मेरा मानना है कि उनका कप्तान होना भारतीय क्रिकेट के लिए फायदेमंद है. वह अभी काफी योगदान दे सकते हैं.'
'जीत का श्रेय बांग्लादेश को भी दीजिए'
गावस्कर ने कहा, 'हां, बांग्लादेश के खिलाफ परिणाम दुर्भाग्यपूर्ण है लेकिन इसके लिए कुछ श्रेय बांग्लादेश को भी दीजिए. उन्होंने बेहतरीन क्रिकेट का नजारा पेश किया. बांग्लादेश के पास एक नया गेंदबाज (मुस्तफिजुर रहमान) है और भारतीय बल्लेबाजों के पास उसकी बाएं हाथ से की गई एंगल लेती गेंदों का कोई जवाब नहीं है. मैं समझता हूं कि बांग्लादेश से हार को पचाना आसान नहीं लेकिन हमें जल्दी में कोई प्रतिक्रिया नहीं करनी चाहिए.'
'36 साल की उम्र में कप्तानी बोझ बन सकती है'
खराब दौर से गुजर रहे धोनी पहले वनडे के दौरान बांग्लादेश की तेज गेंदबाजी की नई सनसनी मुस्तफिजुर से मैदान पर टकरा गए थे जिसके कारण उन्हें अपनी मैच फीस का 75 प्रतिशत हिस्सा गंवाना पड़ा। गावस्कर से पूछा गया कि क्या धोनी के व्यवहार में कोई बदलाव आया है, उन्होंने कहा, 'नहीं ऐसा नहीं है. वह अच्छा लगता है. वह अभी 33 साल का है और हो सकता है कि 35 या 36 साल की उम्र में वह केवल खिलाड़ी के रूप में खेलना चाहे क्योंकि कप्तान के रूप में आपकी अतिरिक्त जिम्मेदारी होती है. आपको टीम में प्रत्येक के बारे में सोचना होता है और यह 36 साल में बोझ हो सकता है लेकिन अभी नहीं. मुझे लगता है कि वह अभी काफी योगदान दे सकते हैं.'
इनपुटः भाषा