ऐसे कई क्रिकेटर हुए जिन्हें भारतीय टेस्ट टीम में पदार्पण का मौका तो मिला, लेकिन इसके बाद दोबारा कभी नहीं चुने गए. यानी डेब्यू मैच उनके अंतरराष्ट्रीय करियर का पहला और आखिरी टेस्ट साबित हुआ. टीम में फिर से नहीं चुने जाने की चाहे जो भी वजह रही हो... लेकिन उस एकमात्र टेस्ट के बाद ऐसे खिलाड़ी गुमनामी के अंधेरे में खो गए.
भारत की ओर से सिर्फ एक टेस्ट खेलने वालों की लिस्ट में बाएं हाथ के तेज गेंदबाज राशिद पटेल का भी नाम शामिल है. बड़ौदा की ओर से खेलने वाला यह गेंदबाज भारत की ओर से सिर्फ एक टेस्ट ही खेल पाया. इस दौरान उनका योगदान शून्य रहा, सिवाय एक कैच के.
वह नवंबर 1988 में अपने एकमात्र टेस्ट की दोनों पारियों में जीरो रन पर आउट हुए. इस तेज गेंदबाज को न्यूजीलैंड के खिलाफ मुंबई टेस्ट की दोनों पारियों में एक भी विकेट नहीं मिला. इसके बाद उन्हें एक वनडे इंटरनेशनल मैच में भी आजमाया गया, लेकिन वहां भी वह विकेट के लिए तरस गए.
... लेकिन राशिद पटेल का नाम क्रिकेट के उस काले अध्याय में जरूर दर्ज हो गया, जिसका वह अहम किरदार साबित हुए. क्रिकेट में छींटाकशी कोई नई बात नहीं है. मैदान पर स्लेजिंग का एक लंबा इतिहास रहा है, लेकिन यह मारपीट में बदल जाए, तो इस क्या कहेंगे...? स्टंप उखाड़कर बल्लेबाज को पीटने के लिए आगे बढ़ना 'जेंटलमैन गेम' कहे जाने वाले क्रिकेट को शर्मसार कर गया.
राशिद पटेल-रमण लांबा
दिलीप ट्रॉफी फाइनल: 25-29 जनवरी 1991, वेन्यू - कीनन स्टेडियम, जमशेदपुर
नॉर्थ जोन और वेस्ट जोन के बीच जमशेदपुर के कीनन स्टेडियम में खेला गया पांच दिवसीय फाइनल का आखिरी दिन भारतीय घरेलू क्रिकेट के इतिहास के लिए काला दिन साबित हुआ. दरअसल, वेस्ट जोन से खेल रहे राशिद पटेल नॉर्थ जोन के सलामी बल्लेबाज रमण लांबा पर स्टंप्स से हमला करने के लिए आगे बढ़े. लांबा खुद को बचाते रहे. स्टेडियम में बैठा हर कोई हैरान था कि आखिरी ये क्या हो गया...?
मैच के आखिरी दिन राशिद ने आपा खोया...
मैच का पांचवां और आखिरी दिन था. पहली पारी के आधार नॉर्थ जोन का विजेता होना तय था. कपिल देव की कप्तानी वाली नॉर्थ जोन की टीम ने पहले बल्लेबाजी करते हुए 729/9 रनों का पहाड़ खड़ा कर अपनी पारी घोषित की थी. जवाब में रवि शास्त्री की कप्तानी वाली वेस्ट जोन की टीम 561 रनों पर ऑल आउट हो गई थी. यानी बड़े स्कोर वाले इस मैच में चार दिन बीत गए. आखिरी दिन नॉर्थ जोन फिर ने बचे हुए समय में अपनी दूसरी पारी शुरू की. लेकिन 10वें ओवर में जो हुआ, वो अच्छा नहीं हुआ.
बीमर फेंकी.. लांबा का सिर बाल-बाल बचा
नॉर्थ जोन की दूसरी पारी की शुरुआत एक बार फिर अजय जडेजा और पहली पारी में 180 रन बनाने वाले रमण लांबा ने की. दोनों जोरदार बल्लेबाजी कर रहे थे. स्कोर 59/0 (9.5 ओवर) तक पहुंच गया था. राशिद पटेल गुस्से में राउंड द विकेट गेंदें डाल रहे थे. वह लांबा को डेंजर एरिया के पास गेंद फेंक रहे थे. लांबा ने इस बीच बैट का हैंडल दिखा अपनी नाराजगी जताई. फिर क्या था राशिद ने अपना आपा खो दिया और लगभग आधी पिच पर आकर लांबा पर बीमर फेंकी. लांबा का सिर बाल-बाल बचा.
स्टंप उखाड़ा और लांबा को दौड़ाया...
राशिद यहीं नहीं रुके. वह घूम कर आए, स्टंप उखाड़ा और लांबा पर वार करने की कोशिश में उन्हें बाउंड्री लाइन तक दौड़ाया, इस बीच लांबा खुद को बचाते रहे. आखिरकार किसी तरह यह लड़ाई रुकी. मैदान पर यह वाकया देख दर्शक भी उत्तेजित हो गए और पत्थर फेंकने शुरू कर दिए. विनोद कांबली बाउंड्री के पास फील्डिंग कर रहे थे. उन्हें चोट लगी. इसके बाद सारे खिलाड़ी पवेलियन में कैद हो गए. अंदर ही विजेता कप्तान को ट्रॉफी दे दी गई. आखिरकार राशिद पटेल पर 13 महीने का प्रतिबंध लगाया गया. लांबा भी इस लपेटे में आए उन्हें भी 10 महीने के लिए बैन कर दिया गया.
दुर्भाग्य से 1998 में रमण लांबा का दुखद अंत हुआ. बांग्लादेश में क्लब क्रिकेट खेलने के दौरान शॉर्ट लेग पर फील्डिंग करते वक्त उनके सिर में चोट लगी. वह बिना हेलमेट के फील्डिंग कर रहे थे. बल्लेबाज मेहराब हुसैन ने जोरदार शॉट मारा और वह लांबा के सिर पर जा लगा. दिल्ली से एक न्यूरोसर्जन को बुलाया गया, लेकिन लांबा को बचाया नहीं जा सका महज 38 वर्ष की उम्र में उनका निधन हो गया.