स्पॉट फिक्सिंग की सुनवाई के दौरान एक ऐसा वक्त आया जब सुनवाई कर रही जज को भारतीय कानून व्यवस्था पर गुस्सा आ गया. अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश ने ऐसे हालातों को कवर करने के लिए कोई कानून ना होने पर अफसोस जताया.
सन् 2000 की मैच फिक्सिंग का जिक्र किया
न्यायाधीश ने टीम इंडिया के पूर्व कप्तान मोहम्मद अजहरूद्दीन के नाम के साथ साल 2000 में भारतीय क्रिकेट को हिला कर रख देने वाली मैच फिक्सिंग की घटना का जिक्र किया. मैच फिक्सिंग की उस समस्या का जिक्र करते हुए अदालत ने कहा कि यहां यह जिक्र करना लाजमी होगा कि साल 2000 में मैच फिक्सिंग के बारे में ऐसी ही एक स्थिति बनी थी जिसके साथ अजहरुद्दीन और अन्य के नाम जुड़े थे.
हालात जानकर भी नहीं बनाए कानून
अदालत ने कहा कि सीबीआई ने शुरुआत में जांच तो की लेकिन यह बताया गया कि भारतीय कानून के मुताबिक मैच फिक्सिंग में संलिप्त रहे इन खिलाडि़यों के खिलाफ कोई आरोप नहीं बनता है. अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश नीना बंसल कृष्णा ने कहा, 'हालात से अवगत होने के बावजूद इन हालातों को कवर करने के लिए आज की तारीख तक कोई कानून नहीं बना है.'
इनपुट: भाषा