न्यूजीलैंड के पूर्व क्रिकेट कप्तान क्रिस केर्न्स को ब्रिटेन की एक अदालत ने मैच फिक्सिंग मामले में झूठी गवाही देने और न्यायिक प्रक्रिया को गुमराह करने के आरोपों से बरी कर दिया है. 45 वर्षीय इस क्रिकेटर ने इंडियन प्रीमियर लीग (आईपीएल) के पूर्व चेयरमैन ललित मोदी के खिलाफ मुकदमा जीता था जिन्होंने 2010 में ट्विटर के जरिए उन पर मैच फिक्सिंग के आरोप लगाए थे.
मानहानि के इस मामले में क्रिस केर्न्स को 90,000 पौंड स्टर्लिंग मिलने थे लेकिन उन पर आरोप लगाए गए कि उन्होंने अदालत में झूठ बोला था कि उन्होंने क्रिकेट के साथ कभी धोखाधड़ी नहीं की. लेकिन अब नौ सप्ताह तक चली सुनवाई के बाद लंदन के साउथवर्क क्राउन कोर्ट में सात महिलाओं और पांच पुरुषों की ज्यूरी ने केर्न्स को झूठी गवाही देने और न्यायिक प्रक्रिया को गुमराह करने का दोषी नहीं पाया.
केर्न्स को दोषी नहीं पाए जाने के फैसले के बाद मोदी के वकीलों द्वारा जारी बयान में कहा गया, ‘मैं साउथवर्क क्राउन कोर्ट के फैसले से अवगत हूं. जैसा आप जानते हैं कि मैं ज्यादा नहीं कह सकता हूं क्योंकि 2012 के मानहानि के मामले के बाद मुझ पर इस विषय पर बोलने से रोक लगा दी गई थी. मैं आने वाले समय में विचार करूंगा कि कि केर्न्स के खिलाफ मेरे खुद के दीवानी दावे इससे कैसे प्रभावित होते हैं.’
क्या है पूरा मामला
इंडियन प्रीमियर लीग (आईपीएल) के पूर्व चीफ ललित मोदी ने नवंबर 2014 में क्रिस केर्न्स के खिलाफ ये केस दर्ज किया था. मोदी ने मानहानि के मुकदमे में हुए नुकसान और लागत के लिए 4.3 मिलियन डॉलर (26.4 करोड़ रुपये) की मांग की थी. मोदी ने इसके अलावा लंदन हाईकोर्ट से 2012 में मानहानि के मामले को धोखाधड़ी के आधार पर रद्द करने की अपील भी की थी जिसे केर्न्स ने जीता था. मोदी ने तब बताया था कि उन्होंने यह मामला इसलिए दर्ज किया क्योंकि केर्न्स पर मानहानि से संबंधित मामले में गलत साक्ष्य पेश करने के आरोप हैं.
केर्न्स ने मोदी के खिलाफ 2010 के उनके एक ट्वीट को लेकर मुकदमा दायर किया था. यह मुकदमा जीतने पर उन्हें 140,000 डॉलर (86 लाख रुपये) की धनराशि मिली थी. मोदी ने इस आलराउंडर पर भंग इंडियन क्रिकेट लीग (आईएसएल) के दौरान भ्रष्टाचार में लिप्त रहने का आरोप लगाया था.