श्रीलंका में मौजूदा हालात काफी खराब होते जा रहे हैं. भारतीय उपमहाद्वीप का चारों तरफ से समुद्र से घिरा यह देश बेहद कठिन आर्थिक संकट से जूझ रहा है. इस संकट के बाद श्रीलंका के लोग सरकार की नीतियों के खिलाफ सड़कों पर निकल आए. जिससे घबराकर श्रीलंका की सरकार को देश में आपातकाल का ऐलान करना पड़ा.
श्रीलंका की सरकार पर बिफरे दिग्गज खिलाड़ी
आर्थिक संकट से जूझ रहे श्रीलंका को लेकर राजस्थान रॉयल्स (RR) के क्रिकेट डायरेक्टर कुमार संगकारा, मुंबई इंडियंस (MI) के हेड कोच महेला जयवर्धने और पंजाब किंग्स (PBKS) की तरफ से खेल रहे विकेटकीपर बल्लेबाज भानुका राजपक्षे ने अपनी प्रतिक्रिया दी है. 2011 विश्व कप में श्रीलंका टीम की कमान संभाल चुके संगकारा ने लिखा, 'श्रीलंका के लोगों की मुश्किलें देखकर काफी दुख हो रहा है, लोग अपनी रोजमर्रा की जरूरतों को पूरा नहीं कर पा रहे हैं. हर दिन कठिन होता जा रहा है.'
महान बल्लेबाजो में शुमार संगकारा ने आगे लिखा, 'लोग गुस्से में है, कुछ लोग इस गुस्से का गलत फायदा भी उठा रहे हैं. इस वक्त सभी को निजी और राजनीतिक दूरियों को भुलाते हुए एक साथ बेहतर श्रीलंका के लिए काम करना चाहिए.' उन्होंने आगे लिखा, 'श्रीलंका के लोग दुश्मन नहीं है, उन्हें हर हाल में बचाना चाहिए, उनके भविष्य के लिए काम होना चाहिए.' वहीं महेला जयवर्धने ने श्रीलंका की सरकार के फैसलों पर सवाल खड़े किए है.
पूर्व श्रीलंकाई कप्तान महेला जयवर्धने ने कहा, 'आपातकाल और कर्फ्यू को देखकर दुख हो रहा है. सरकार श्रीलंका के लोगों की जरूरतों को अनदेखा नहीं कर सकती है. लोगों को जेल में बंद करना ठीक नहीं है, मुझे उन वकीलों पर गर्व है जो लोगों के बचाव में उतरे हैं.' जयवर्धने ने नेतृत्व पर सवाल खड़े करते हुए लिखा, 'असली नेता अपनी गलतियों को मान लेता है. यह इंसानी गलती है, इसे इस काम में माहिर लोग ही सही कर सकते हैं.'
श्रीलंकाई सरकार की नीतियों पर सवाल खड़े करते हुए जयवर्धने ने लिखा, 'जो लोग अभी हमारी अर्थव्यवस्था चला रहे थे उन्होंने जनता का भरोसा खो दिया है, उन्हें तुरंत इस्तीफा देना चाहिए.' वहीं, पंजाब किंग्स के लिए खेल रहे विकेटकीपर बल्लेबाज भानुका राजपक्षे ने लिखा, 'भले ही मैं श्रीलंका से हजारों किलोमीटर दूर हूं, लेकिन मैं अपने लोगों का दर्द समझ सकताी हूं. वहां हर दिन बिताना मुश्किल होता जा रहा है.'
उन्होंने आगे श्रीलंका सरकार द्वारा लगाए गए आपातकाल की निंदा करते हुए कहा, 'अब उनके सबसे जरूरी अधिकार भी छीन लिए गए हैं. यह सिर्फ उनकी आवाज दबाने के लिए किया गया है. लेकिन जब 22 मिलियन (2.2 करोड़) लोग एक साथ बोलते हैं, तब आप उन्हें नकार नहीं सकते हैं. श्रीलंकाई बिना किसी डर के जीने का अधिकार रखते हैं. मैं सभी लोगों से कहना चाहता हूं कि श्रीलंका के लोग आपके दुश्मन नहीं हैं. हरहाल में आपको उनकी रक्षा करनी है.'