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बांग्लादेश क्रिकेट टीम ने टॉप टीमों को दिए क्रिकेट के पांच बड़े सबक

क्रिकेट जगत की सबसे बड़ी वनडे टीम बनकर उभर रही है बांग्लादेश. इस टीम ने वनडे में दुनिया की टॉप टीमों को हराकर क्रिकेट जगत को सन्न कर दिया है.

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बांग्लादेश क्रिकेट टीम
बांग्लादेश क्रिकेट टीम

क्रिकेट जगत की सबसे बड़ी वनडे टीम बनकर उभर रही है बांग्लादेश. इस टीम ने वनडे में दुनिया की टॉप टीमों को हराकर क्रिकेट जगत को सन्न कर दिया है. पाकिस्तान के खिलाफ 3-0 से क्लीन स्वीप के बाद बांग्लादेश ने पहले भारत को तीन मैचों की वनडे सीरीज में 2-1 से पटखनी दी और फिर बुधवार को दक्षिण अफ्रीका को भी 2-1 से ढेर कर दिया. इनमें से किसी ने भी ने अपनी दोयम दर्जे की टीम नहीं भेजी थी और फुल स्ट्रेंथ टीम को ही बांग्ला शेरों से मुंह की खानी पड़ी.

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बांग्लादेश में क्रिकेट का नया दौर आ चुका है और इससे अब सभी बड़ी टीमें डरना शुरू कर चुकी हैं. डर जायज भी है क्योंकि इस टीम ने क्रिकेट जगत को पांच बड़ी सीख दी है. वर्ल्ड कप 2015 में पहली बार ये टीम वर्ल्ड कप नॉक आउट में पहुंची तो 2017 चैंपियंस ट्रॉफी के लिए भी अपना नाम पक्का कर लिया है. पहला मौका होगा जब बांग्लादेश वनडे टीम रैंकिंग में टॉप 8 टीमों में शामिल रहते हुए चैंपियंस ट्रॉफी का टिकट कटाया.

1- निडर हैं बांग्ला शेर- बांग्लादेश क्रिकेट टीम का सबसे मजबूत पक्ष है उसका निडर होना. टीम जब खेलती है तो वो उसे रिजल्ट का डर नहीं सताता है. टीम हार के डर से ऊपर उठ चुकी है. फिल्म मैरीकॉम का एक डायलॉग है 'किसी को इतना भी मत डराओ कि उसके अंदर का डर खत्म हो जाए.' बांग्लादेशी टीम कुछ ऐसे ही खेलने लगी है. हालांकि अभी विदेशी पिच पर उनका असली इम्तेहान होना बाकी है. पाकिस्तान, भारत और दक्षिण अफ्रीका तीनों टीमों के खिलाफ बांग्लादेश का खेलने का अंदाज एक जैसा था.

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2- सिर्फ कप्तान ही नहीं पूरी टीम आक्रामक- हर टीम के कप्तान का अपना अलग तरीका होता है. ऐसा माना जाता है कि आक्रामक कप्तान टीम को सही दिशा में आगे बढ़ाता है. सकारात्मक आक्रामकता अगर आगे ले जाती है तो वहीं नकारात्मक आक्रामकता आपको नष्ट भी कर सकती है. बांग्लादेशी टीम का हर खिलाड़ी आक्रामक होकर खेलता है. कप्तान मशरफे मुर्तजा के साथ हर क्रिकेटर विरोधी पर हावी हो जाता है. विकेट मिलने पर टीम का सेलिब्रेशन भी आक्रामक अंदाज में ही होता है. अपने अंदाज से ही बांग्लादेशी टीम विरोधी टीम के पसीने छुड़ा देती है.

3- हम साथ-साथ हैं- तीसरी सीख ये कि बांग्लादेशी क्रिकेटरों ने दुनिया को दिखाया है कि एकजुट होकर कैसे खेला जाता है. टीम में युवा और अनुभवी खिलाड़ियों का परफेक्ट मिक्स्चर है. टीम में चार शानदार ऑलराउंडर खिलाड़ी हैं. गेंदबाजी टीम की मजबूती बनी है तो बल्लेबाजों ने भी अपना काम बखूबी निभाया.

टीम की सबसे अच्छी बात है कि वो एक खिलाड़ी पर निर्भर नहीं रहती है. महमुदुल्लाह, शाकिब अल हसन, नासिर हुसैन और मशरफे मुर्तजा ऑलराउंडर हैं और किसी भी स्थिति से टीम को निकालने का माद्दा रखते हैं. महमुदुल्लाह भारत के खिलाफ सीरीज में चोटिल थे लेकिन तस्किन अहमद ने उनकी कमी नहीं खलने दी. टीम की बेंच स्ट्रेंथ भी मजबूत है.

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4- सौम्य की 'रौद्र' बल्लेबाजी- सौम्य सरकार का बस नाम ही सौम्य है लेकिन वो बहुत खतरनाक बल्लेबाज हैं. पिछले कुछ समय में इस बल्लेबाज ने बांग्लादेश के लिए जिस तरह से बल्लेबाजी की है वो हर किसी ने देखा है. 16 वनडे में उन्होंने करीब 50 की औसत से रन ठोके हैं.

करीब 103 स्ट्राइक रेट वाले सौम्य आते ही रौद्र रूप दिखाते हैं और विरोधी गेंदबाजों को शुरू से ही दबाव में डाल देते हैं. एक समय था कि बल्लेबाज के नाम पर बांग्लादेश के पास तमीम इकबाल और मुशफिकुर रहीम के अलावा कोई नहीं था. लेकिन सौम्य के रूप में टीम को एक ऐसा बल्लेबाज मिल गया है जो ताबड़तोड़ बल्लेबाजी करते हुए टीम को धमाकेदार शुरुआत देता है. सौम्य से सलामी बल्लेबाजों को पारी के आगाज की टिप लेनी चाहिए.

5- मशरफे का 'मैजिक'- मशरफे मुर्तजा ने कप्तानी की नई मिसाल कायम की है. आक्रामक होने के साथ मशरफे में सूझबूझ की भी कमी नहीं है. वो टीम को फ्रंट से लीड करते हैं. खुद के प्रदर्शन से टीम के सामने उदाहरण पेश करते हैं.

मशरफे मुश्किल समय पर खुद मोर्चा संभालने से कतराते नहीं हैं और ना ही एक्सपेरिमेंट करने से पीछे हटते हैं. टीम को ऐसे ही कप्तान की जरूरत होती है. फील्ड प्लेसमेंट से लेकर बैटिंग ऑर्डर में बदलाव को लेकर मुर्तजा के फैसले फिलहाल हिट होते नजर आ रहे हैं.

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