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Gabba Test, Ind Vs Aus: ‘टूटा है गाबा का घमंड, जीत गया भारत’, एक सपने के सच होने की कहानी

ऋषभ पंत के बल्ले से चौका निकला था, विवेक राज़दान के मुंह से टूटा है गाबा का घमंड वाली लाइन निकली और उसके बाद गाबा के मैदान पर तिरंगा लिए टीम इंडिया की युवा पीढ़ी चक्कर लगा रही थी. लेकिन इस सबसे खास जो था वो हर उस क्रिकेट फैन की आंख का आंसू था, जिसने सीरीज़ का संघर्ष, ऑस्ट्रेलिया के साथ भारत की क्रिकेट की मैदान पर हर वो टक्कर देखी है जो पिछले दो दशकों में हुई थी.  

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Gabba Test: Ind Vs Aus (Twitter)
Gabba Test: Ind Vs Aus (Twitter)
स्टोरी हाइलाइट्स
  • ब्रिस्बेन के गाबा में मिली टेस्ट जीत का एक साल पूरा
  • भारत ने ऑस्ट्रेलिया को 2-1 से सीरीज़ में हराया था

‘टूटा है गाबा का घमंड, जीत गया है भारत...बॉर्डर-गावस्कर ट्रॉफी जाएगी गावस्कर के देश’

बचपन में सुना था 24 घंटे में एक वक्त ऐसा आता है, जब आपकी ज़ुबान पर सरस्वती बैठी होती है, जो बोलें सच हो जाता है. कई बार इस कहावत को सच होते हुए भी देखा, लेकिन आपकी ज़ुबान से निकले कुछ शब्द ऐसे भी होते हैं जो इतिहास बन जाते हैं. ऐसा इतिहास जो मौजूदा पीढ़ी बार-बार दोहराए, जिसे बार-बार सुनने को आने वाली पीढ़ी लालायित हो जाए. 

19 जनवरी, 2021 को जब ब्रिस्बेन के गाबा मैदान पर 23 साल के ऋषभ पंत ने बॉल को बाउंड्री की तरफ पहुंचाया, उस वक्त कमेंट्री कर रहे विवेक राज़दान के मुंह से जो शब्द निकले वो इतिहास थे. 19 जनवरी, 2022 आ गया है और ये शब्द तब से अबतक अनंत बार दुनिया में गूंज चुके हैं. शायद जो कहानी थी, वो इससे बेहतरीन शब्दों में बयां नहीं की जा सकती थी. 

कोरोना काल के बीच साल 2020 कैसे निकला किसी को पता नहीं निकला, हर कोई अपने घरों में था. उस साल के अंत में क्रिकेट फैन्स के लिए एक उम्मीद थी, जो जोश पैदा करती थी वो था भारत का ऑस्ट्रेलिया दौरा. विराट कोहली की अगुवाई वाली इसी टीम ने 2018 में ऑस्ट्रेलिया को उसी के घर में मात दी थी. अब मौका था इतिहास को दोहराने का और दुनिया को ये बताने का पिछली बार जो हुआ वो तुक्का नहीं था. 

पहला मुकाबला ऐसा हुआ कि वो भी इतिहास बन गया. दूसरी पारी में टीम इंडिया सिर्फ 36 रनों के स्कोर पर आउट हो गई. भारतीय क्रिकेट इतिहास का सबसे कम स्कोर, ये वो चोट थी जो ऑस्ट्रेलिया से लेकर हिन्दुस्तान तक हर भारतीय क्रिकेट प्रेमी ने महसूस की थी. कप्तान विराट कोहली पहले मैच के बाद वापस अपने घर लौट आए थे, क्योंकि वो पिता बनने वाले थे और अपने परिवार के साथ रहना चाहते थे. 

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भारत ने दूसरा टेस्ट जीता, तीसरा टेस्ट लड़कर ड्रॉ करवाया. अब बारी आखिरी मुकाबले की थी. ब्रिस्बेन का गाबा टेस्ट, जिसकी दुहाई दुनिया में दी जाती है. उछाल वाली पिच, मुंह पर पड़ने को तैयार बॉल और 31 साल का अजेय रिकॉर्ड, जहां ऑस्ट्रेलिया को तीन दशक से कोई हरा नहीं पाया. एक-एक की बराबरी पर खड़ी सीरीज़ के लिए नतीजा निकालने का इससे बेहतरीन मैदान क्या हो सकता था. लेकिन कहानी सिर्फ क्रिकेट के मैदान तक की नहीं है. 


गाबा टेस्ट जब शुरू हुआ तबतक भारतीय क्रिकेट टीम का ड्रेसिंग रूम किसी अस्पताल के वॉर्ड से कम नहीं था, जहां हर मोड़ पर एक मरीज़ बैठा था. इसका सिलसिला पहले मैच से ही शुरू हो गया था. पहले मैच में मोहम्मद शमी को चोट लगी, दूसरे में उमेश यादव चोट लगवा बैठे. तीसरा मैच आया तो रविचंद्रन अश्विन, रवींद्र जडेजा, जसप्रीत बुमराह चोट लगवा बैठे थे. विराट कोहली घर जा चुके थे, ईशांत शर्मा दौरे पर चोट की वजह से आए नहीं थे. यानी प्लेइंग-11 में शामिल होने वाले आधे खिलाड़ी आपके पास मौजूद ही नहीं थे.

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अजिंक्य रहाणे की अगुवाई में टीम इंडिया के सामने तब मैच जीतने की नहीं, 11 खिलाड़ियों को मैच लायक बनाने की चुनौती थी. ऐसे में आखिरी बाण निकाला गया, यानी जो भी खड़ा है वह युद्धभूमि में आखिरी दम तक लड़ेगा. ऐसे-ऐसे खिलाड़ियों को खिलाया गया, जो इस दौरे पर सिर्फ इसलिए आए थे ताकि वो नेट्स में बल्लेबाजों को बॉल डाल सकें. 

ब्रिस्बेन के गाबा मैदान में उस दिन भारत की तरफ से दो खिलाड़ियों ने डेब्यू किया, कुछ खिलाड़ी ऐसे थे जो अपना दूसरा या तीसरा मैच खेल रहे थे. नेट बॉलर के तौर पर ऑस्ट्रेलिया गए टी. नटराजन, वाशिंगटन सुंदर डेब्यू करने वाले वो दो खिलाड़ी थे. भारत की बॉलिंग यूनिट का अंदाज़ा सिर्फ ये बताकर लगाया जा सकता है कि मोहम्मद सिराज उस मैच में टीम इंडिया के लीड बॉलर थे, जिन्होंने उससे पहले सिर्फ दो-तीन मैच खेले थे. 

पहली बैटिंग ऑस्ट्रेलिया की आई, जिसने 369 का स्कोर खड़ा कर दिया. टी. नटराजन ने अपने पहले मैच की पहली पारी में ही तीन विकेट निकाल लिए थे. एक मैच में जीत, एक मैच को ड्रॉ कराने के बाद टीम इंडिया के हौसले बुलंद थे, रोहित शर्मा-भुभमन गिल ओपनिंग करने आए लेकिन टीम इंडिया को शुरुआती झटके लग गए. स्कोर 186 पर 6 हो चुका था, यानी अब कोई विकेट गिरा तो पहली पारी में ही पिछड़ने का डर था.

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लेकिन उसके बाद वाशिंगटन सुंदर, शार्दुल ठाकुर के बीच एक शतकीय साझेदारी हुई. मिचेल स्टार्क, पैट कमिंस, जोश हेज़लवुड की तेज़ तर्रार बॉलिंग के सामने ये दो युवा बल्लेबाज टिके रहे और सिर्फ टिके ही रहे. इसके बाद दोनों ने हाथ खोले और क्रिकेट की किताब में आने वाले हर शॉट को उसी नज़ाकत के साथ खेला. बिल्कुल ज़मीन पर गिर चुकी टीम इंडिया एक बार फिर खड़ी हो गई थी. दोनों ने 300 के पार स्कोर पहुंचाया, विकेट गिरा और फिर देखते ही देखते पूरी टीम 336 पर ऑलआउट हो गई.

दूसरी पारी में ‘सीनियर’ बॉलर मोहम्मद सिराज का जादू चला, उन्होंने पांच विकेट निकाले. मोहम्मद सिराज के लिए ये दौरा हमेशा याद करने वाला रहा. जो वो खुद क्वारनटीन में तो पिता की मौत हो गई, वो मिलने वापस हिन्दुस्तान नहीं आ सके. कोरोना नियमों के कारण किसी के साथ अपना दुख नहीं बांट पाए. सीरीज़ में ही टेस्ट डेब्यू हुआ, ऑस्ट्रेलियाई दर्शकों ने उनपर आपत्तिजनक टिप्पणी की. और सीरीज़ के आखिरी मैच तक बॉलिंग यूनिट के सबसे सीनियर बॉलर बन गए. लेकिन पांच विकेट लेने के बाद जब वो ड्रेसिंग रूम में जाती हुई टीम इंडिया की अगुवाई कर रहे थे और बॉल हाथ में लिए ग्राउंड में लहरा रहे थे उसने बीते कुछ महीनों के सारे गम को भुला दिया.  

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टीम इंडिया को ये मुकाबला जीतने के लिए 98 ओवर में 324 रनों का टारगेट मिला था. रोहित शर्मा जल्दी आउट हो गए, लेकिन तब युवा शुभमन गिल ने अपना जौहर दिखाया. शुभमन गिल के रुख ने साफ कर दिया कि यहां सिर्फ ड्रॉ या मैच बचाने की नहीं सोची जा रही है, टीम इंडिया टारगेट को चेज़ करने जाएगी. शुभमन गिल ने अपनी उस पारी में 8 चौके, 2 छक्के मारे. एक तरफ टेस्ट में वनडे वाला रुख दिख रहा था तो सामने दीवार खड़ी थी.

चेतेश्वर पुजारा, मौजूदा वक्त में टेस्ट क्रिकेट की असली मिसाल. गाबा टेस्ट की उस पारी में चेतेश्वर पुजारा के शरीर पर करीब एक दर्जन से ज्यादा बार बॉल लगी, उनका हेल्मेट टूटा, हाथ में चोट लगी, कंधे पर बॉल खाई लेकिन पुजारा ने अंगद की तरह पांव जमा दिया. या सीमेंट कंपनी का एक फेमस विज्ञापन भी यहां इस्तेमाल हो सकता है कि ये दीवार टूटती क्यों नहीं है. एक तरफ पुजारा खड़े रहे, लेकिन दूसरी तरफ विकेट गिरना शुरू हो गए थे. 

ऑस्ट्रेलिया के लिए जो पहले छोटी-सी रोशनी की किरण थी, अब वह कमरे की खिड़की से आ रही धूप बन चुकी थी. उम्मीद जागी तो टीम इंडिया के खेमे में डर भी लगा, क्योंकि एक तरफ अब बर्फ यानी चेतेश्वर पुजारा थे तो सामने आग आई थी यानी ऋषभ पंत. मैच अगर ड्रॉ करवाना हो या फिर जितवाना हो, आपके पास दोनों ऑप्शन एक साथ थे.

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लेकिन ऋषभ पंत ने अपने को सूट करता हुआ ऑप्शन चुना, ऑस्ट्रेलिया के उस बॉलिंग अटैक पर वो टूट पड़े. शायद मन बनाकर आए हो कि आज आर होगा या पार होगा, समझदारी भरी पारी भी खेली और आक्रामक शॉट भी लगाएं. खासकर नाथन लॉयन को ऋषभ पंत की उस पारी को ज़रूर भूलना चाहेंगे. पुजारा आउट हुए तो मयंक, शार्दुल के साथ उन्होंने पारी को आगे बढ़ाने की कोशिश की. लेकिन अंत में वाशिंगटन सुंदर के साथ छोटी-सी पार्टनरशिप करके ऋषभ पंत ने आखिरी चौका अपने बल्ले से लगाया और गाबा के घमंड को तोड़ दिया.  

उस मैच का सार इतना ही है, लेकिन ये घटना इस सार से कहीं ज्यादा बड़ी है. 90’s के वक्त वाले क्रिकेट फैन्स के लिए साल 2001 में कोलकाता का टेस्ट मैच सबसे ऐतिहासिक थी, उसके बाद पर्थ को वो मुकाबला आया जब सिडनी में मिले जख्मों को धोया गया. लेकिन आज की पीढ़ी के लिए गाबा से बढ़कर कुछ भी नहीं है. 

वो भी तब जब आप अपनी फ्रंट टीम नहीं थे, शायद बी या सी टीम थे. उस वक्त में गाबा को जीतना काफी बड़ा था. इसके अलावा जो दर्द था, वो अपनों के चोटिल होने का था और पिछले मैचों में हुई लड़ाई का था.

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क्योंकि इससे पहले सिडनी टेस्ट में जिस पार्टनरशिप ने ऑस्ट्रेलिया के मुंह से जीत का नवाला छीन लिया और भारत को एक हार से बचा लिया. उस पार्टनरशिप के हिस्सा रविचंद्रन अश्विन को ऑस्ट्रेलिया के कप्तान टिम पेन ने मज़ाक के तौर पर ही लेकिन धमकी तो दी थी कि तुम्हें हम गाबा में देखेंगे. 
("Can't wait to get you to the Gabba, Ash, tell you what… ooh, ooh")

खुद की फॉर्म, विकेटकीपिंग पर उठ रहे सवाल, पिछले मैच में मिली हार, जीत के बीच रोड़ा बनी पार्टनरशिप से परेशान कप्तान टिम पेन के सामने उस वक्त इसके अलावा कोई चारा भी नहीं था. वो बार-बार रविचंद्रन अश्विन से उलझ रहे थे, अश्विन उन्हें तपाक से जवाब भी दे रहे थे. खैर, अश्विन गाबा के मुकाबले में नहीं खेले, लेकिन उनके साथियों ने ज़रूर टिम पेन को जवाब दिया. 

ऋषभ पंत के बल्ले से चौका निकला था, विवेक राज़दान के मुंह से टूटा है गाबा का घमंड वाली लाइन निकली और उसके बाद गाबा के मैदान पर तिरंगा लिए टीम इंडिया की युवा पीढ़ी चक्कर लगा रही थी. लेकिन इस सबसे खास जो था वो हर उस क्रिकेट फैन की आंख का आंसू था, जिसने सीरीज़ का संघर्ष, ऑस्ट्रेलिया के साथ भारत की क्रिकेट की मैदान पर हर वो टक्कर देखी है जो पिछले दो दशकों में हुई थी.  

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