1983 में गावस्कर का प्रदर्शन औसत था. पहले मैच में वेस्टइंडीज के खिलाफ 19 और दूसरे मैच में जिम्बाब्वे के खिलाफ केवल चार रन.
टीम प्रबंधन ने उनकी जगह दिलीप वेंगसकर को मौका दिया लेकिन इसके बाद जो हुआ उसने सबको चौंका दिया और गावस्कर एक बार फिर अंतिम एकादश में शामिल कर लिए गए.
गावस्कर को हटाने के बाद टीम दो मैच खेली. एक ऑस्ट्रेलिया और दूसरा वेस्टइंडीज के खिलाफ और दोनों ही मैच बड़े अंतर से हार गई. गावस्कर को फिर खिलाया गया. ये वो मैच था जिसमें आधी टीम 17 रनों पर आउट हो गई थी और फिर कपिल देव ने 175 नॉट आउट की ऐतिहासिक पारी खेली.
1983 वर्ल्ड कप के दौरान गावस्कर ने छह मैच खेले और रन बनाए केवल 59. उनका औसत 9.83 और उच्चतम स्कोर 25 था. गावस्कर जीत के लिए कितने लकी साबित हो रहे थे कि उनके बल्ले से ये 25 रन भी बहुत महत्वपूर्ण मौके पर ही निकले.